किरेन रिजिजू के हाथ से कानून मंत्रालय गया, अर्जुन मेघवाल नए कानून मंत्री
PEN POINT, DEHRADUN : बुधवार सुबह भारत सरकार में कानून मंत्री किरेन रिजिजू से मोदी सरकार ने कानून मंत्रालय वापिस ले लिया है। अब उनकी जगह राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल को कानून मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी आदेश में किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय लेकर उन्हें अर्थ सांइस मंत्रालय दिया गया है।
बीते लंबे समय से न्यायपालिका को लेकर अपने बयानों से चर्चा में रहे किरेन रिजिजू की कानून मंत्रालय से छुट्टी के पीछे कई कारण गिनाए जा रहे हैं। न्यायपालिका और सरकार के बीच लंबे समय से एक तलवार खींची हुई है। कानून मंत्री न्यायपालिका, न्यायाधीशों की नियुक्तियों के कॉलोजियम सिस्टम की कई बार सार्वजनिक मंचों से तीखी आलोचना कर चुके हैं, तो वहीं न्यायाधीशों ने भी समय समय पर किरेन रिजिजू को उनके अंदाज में जवाब दिया है। न्यायपालिका और सरकार के बीच रिश्तों में कड़वाहट आने के बावजूद भी कानून मंत्री के रूप में किरेन रिजिजू की ओर से इस कड़वाहट को खत्म करने के बावजूद इसे और ज्याद बढ़ाने का काम किया गया।
वहीं, बीते महीनों में एक के बाद एक कई मामलों में केंद्र सरकार को न्यायपालिका में मुंह की खानी पड़ी है, कई मामलों में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के काम करने के तरीकों पर भी तीखी टिप्पणी की है। हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से भी एलजी मामले में केंद्र सरकार के काम के रवैये पर तीखी टिप्पणी की थी। तो सर्वोच्च न्यायालय ने भी बीते महीनों में कई ऐसे मामलों में केंद्र सरकार की उम्मीदों से परे जाकर फैसले दिए हैं जिसका बुरा असर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि पर पड़ा साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के काम करने के तरीकों पर भी सवाल उठे।
ऐसे में न्यायपालिका की ओर से लगातार मिल रही आलोचनाओं, और मामलों में हार के बाद तय माना जा रहा था कि किरेन रिजिजू की जल्द ही कानून मंत्रालय से विदाई तय है। अब उनकी जगह अर्जुन मेघवाल कानून मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार देखेंगे।
किरेन रिजिजू के कुछ चर्चित बयान
’न्यायाधीशों को चुनाव लड़ने या सार्वजनिक जांच का सामना करने की जरूरत नहीं है फिर भी वह अपने फैसलों से जनता की नजरों में हैं। लोग आपको देख रहे हैं आपका आकलन कर रहे हैं। आपके फैसले, आप न्याय कैसे करते हैं….लोग देख सकते हैं और आकलन करके अपनी राय बनाते हैं।’
“भारत में अगर लोकतंत्र को फलना-फूलना है तो एक मजबूत और स्वतंत्र न्यायपालिका का होना जरूरी है। हालांकि रिजिजू ने ये भी कहा कि सरकार और न्यायापालिका के बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन विवाद नहीं है।”
” देश में न्यायपालिका बनाम सरकार जैसा कुछ नहीं है। यह लोग हैं, जो सरकार का चुनाव करते हैं…सर्वोच्च हैं और देश भारत के संविधान के अनुसार चलता है।”