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नैनीताल डीएम ने सांसद के सामने भाजपा विधायक को ही पिला ही डांट की घुट्टी

Pen Point, Dehradun : गाहे बगाहे भाजपा सरकार पर आरोप लगते रहे हैं कि मुख्यमंत्री की सरपरस्ती में प्रदेश में विधायकों, मंत्रियों पर अफसर भारी पड़ रहे हैं। प्रदेश में अफसरशाही हावी होने की बाते भी उठती रही हैं। लेकिन, इन बातों के उठते ही प्रदेश के मुख्य सचिव सभी अफसरों को जनप्रतिनिधियों का सम्मान देने का निर्देश देकर इन सवालों पर मिट्टी डालते रहे हैं लेकिन अफसर कहां मानने वाले। शुक्रवार को हल्द्वानी में इस बात की तस्दीक भी हो गई कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के निर्देश अफसर पानी में घोलकर पी रहे है। हल्द्वानी में नैनीताल सांसद की मौजूदगी में हो रही बैठक में नैनीताल डीएम ने लालकुंआ से भाजपा विधायक को ही डांट की घुट्टी पिला दी। विधायक और जिलाधिकारी के बीच बहस ज्यादा बढ़ने लगी तो नैनीताल सांसद अजय भट्ट को दोनों के बीच दखल देकर मामला शांत करवाना पड़ा।
यूं तो भाजपा सरकार में राज्य में अफसरशाही के हावी होने के आरोप लगते आ रहे हैं। बीते दिनों सुदूर जनपद के एक सत्तारूढ़ दल के विधायक प्रमुख सचिव के पास शिकायत लेकर पहुंचे कि उनके जनपद का सीडीओ उनका फोन नहीं उठाता, तो प्रमुख सचिव ने सीडीओ को फोन कर विधायक जी के फोन उठाने के निर्देश दिए। हालांकि, शिकायत विधायक को जिलाधिकारी से भी थी लेकिन पहले चरण में उन्होंने सीडीओ को ही नरम करवाने की गुहार लगाई। खैर, यह किस्सा तो सचिवालय के गलियारों में अफसर चटखारे लेकर एक दूसरे को सुना कर जनप्रतिनिधियों की बेबस हालात पर मुस्कुरा रहे हैं। लेकिन, शुक्रवार को नैनीताल में जो हुआ उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अफसरशाही जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधियों से कैसा व्यवहार कर रहे हैं। दसरअसल हल्द्वानी सर्किट हाउस में शुक्रवार को जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक हो रही थी। बैठक की अध्यक्षता नवनिर्वाचित नैनीताल सांसद अजय भट्ट कर रहे थे और बैठक में नैनीताल जिले के अंतर्गत आने वाली विधानसभाओं के विधायक भी मौजूद थे। गौला नदी में चौनलाइजेशन का काम सिंचाई विभाग को देने पर लालकुआं विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट ने जैसी ही आपत्ति जताई। बैठक में मौजूद नैनीताल डीएम भड़क गई और विधायक को ही खरीखरी सुनाने लगी। भड़कते हुए डीएम ने विधायक को कहा कि आप जहां से कहेंगे वहीं से हम करा देंगे। इस पर विधायक ने भी तेवर दिखाते हुए जवाब दिया तो डीएम भी कहां चुप रहने वाली थी। कुछ देर तक बैठक का माहौल गर्म हो गया। लेकिन, एक तरफ सत्तारूढ़ दल के विधायक और डीएम के बीच गर्मागर्म बहस हो रही थी तो बीचोंबीच बैठे सांसद अजय भट्ट खामोशी अख्तियार किए हुए थे। जैसे लग रहा हो कि वह तय नहीं कर पा रहे कि अफसर के साथ शामिल होकर विधायक को डपट लगाएं या अपने ही दल के विधायक के साथ खड़े होकर जिलाधिकारी को डांटे। खैर, जब बहस ने बैठक का माहौल ज्यादा गर्मा दिया तब जाकर सांसद अजय भट्ट ने विधायक और डीएम के बीच हो रहे हंगामे को शांत करने की पहल की। सांसद अजय भट्ट की दखल के बाद विवाद रूक सका।

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