सिलक्यारा सुरंग हादसा : एक साल बीता मगर सवाल अब भी अनसुलझे हैं
Pen Point, Dehradun : सिलक्यारा टनल हादसे को एक साल पूरा हो गया है। पिछले साल 12 नवंबर को सुरंग के अंदर मलबा गिरने से चालीस मजदूर की जान सांसत में आ गई थी। जिन्हें बचाने के लिये बड़ा रेस्क्यू अभियान चलाया गया और 17 दिनों बाद सभी मजदूर सकुशल बाहर निकले थे। इस घटना ने देश और दुनिया में खूब सुर्खियां बटोरी थीं। हालांकि सुरंग हादसे को लेकर कई सवाल आज भी अनसुलझे ही हैं। वहीं सुरंग निर्माण की गति में बहुत तेजी नहीं आई है। हां सुरक्षा को लेकर कुछ बदलाव जरूर हुए हैं। सुरंग निर्माण से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक जोखिम से बचते हुए यह गति संतोषजनक है।
बीबीसी में प्रकाशित एक रिपोर्ट में इस प्रोजेक्ट के ज़िम्मेदार अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि अभी 197 मीटर सुरंग का निर्माण शेष है और सुरंग में भूस्खलन वाले हिस्से से मलबे का हटाया जाना अब भी बाक़ी है। अधिकारियों के अनुसार सुरंग के अंदर भूस्खलन के मलबे को हटाने के लिए बड़ी सावधानी और तकनीकी मदद से काम किया जा रहा है। वहीं, एक उच्चस्तरीय कमेटी ने इसी सितंबर महीने में अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय को सौंपी है।
गौरतलब है कि सिलक्यारा टनल हादसे से जुड़ा सवाल संसद में भी उठ चुका है। बिहार की आरा लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए भाकपा(माले) के कॉमरेड सुदामा प्रसाद नेे 25 जुलाई 2024 को अपने अतारांकित प्रश्न में केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से पूछा कि
(क) क्या सरकार ने उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग के ढहने के कारणों की जांच कराई है और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं तो इसके क्या कारण हैं
(ख) क्या सुरंग के भीतर फंसे कामगारों को मुआवजा दिया गया था और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं;
(ग) क्या इस सुरंग के ढहने के लिए जिम्मेदार दोषी ठेकेदारों/कंपनियों और अधिकारियों के विरुद्ध कोई
सिविल या आपराधिक कार्यवाही की गई थी और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और नहीं तो क्या कारण हैं
(घ) क्या सरकार का विचार हिमालयी क्षेत्र की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए चार धाम परियोजना के भाग के रुप में सड़क और /अथवा पर्यावरणीय प्रभाव की समीक्षा करने का है? और
(ड.) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं?
लेकिन केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की ओर से इन सवालों के कोई ठोस जवाब नहीं दिये गए। जिससे साफ है कि अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गयी है।
जबकि सूत्रों के मुताबिक उच्च स्तरीय जाँच कमेटी द्वारा सौंपी गई जाँच रिपोर्ट में हादसे के लिए एनएचआईडीसीएल संस्था और निर्माण कंपनी की गंभीर लापरवाही को इंगित किया गया है।
निर्माण कार्य हुआ धीमा
हादसे के वक्त तक करीब 4.53 कि.मी. लंबी सुरंग की निर्माण लागत 853.76 करोड़ रुपये थी और 2024 यानी इसी साल के के अप्रैल-मई तक इसे आर-पार करने का लक्ष्य था। मौजूदा समय में अधिकारियों की दी गई जानकारी के मुताबिक 13 नवंबर, 2024 तक 63 प्रतिशत काम पूरा हो पाया है। ज़ाहिर है कि ऐसे में सुरंग की लागत भी बढ़ने वाली है. पहले इसकी लागत 853.76 करोड़ रुपये थी, लेकिन यह लागत हर बीतते दिन के साथ बढ़ रही है।
सुरंग के आर-पार होने के बाद इसकी फिनिशिंग संबंधी कार्य पर लगभग एक साल का और समय लगता. इस हिसाब से इस साल नवंबर महीने तक सुरंग का काम पूरा हो रहा होता। लेकिन अब बताया जा रहा है कि निर्माण पूरा होने की संभावित तिथि 28 जनवरी 2026 प्रस्तावित की गई है।
40 में से 10 ही मजदूर लौटे काम पर
सुरंग में भूस्खलन के कारण फंसने वाले चालीस मजदूरों में से 10 मजदूर ही काम पर यहां वापस काम पर लौटे हैं। ये सभी नवयुग कंपनी के कर्मचारी हैं। जबकि बाकी 31 मजदूर अब इस प्रोजेक्ट में नहीं हैं। जानकारी के अनुसार ये सभी मजदूर ठेकेदारों के मातहत काम करते थे और सुरंग हादसे के बाद वे काम पर नहीं आए।