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गोदियाल को राहुल गांधी का बुलावा, रायबरेली में संभाली प्रचार की कमान

Pen Point, Dehradun : गढ़वाल संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल इन दिनों यूपी के रायबरेली में हैं। जहां उन्हें राहुल गांधी के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी मिली है। रायबरेली से आ रही तस्वीरों से साफ है कि गोदियाल पूरी शिद्दत से अपने ग्राउंड वर्क को अंजाम दे रहे हैं। लेकिन उत्तराखंड में कांग्रेस की सियासत के लिये यह बड़ा संकेत माना जा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक गोदियाल ने गढ़वाल संसदीय सीट पर भाजपा के पावर गेम का डटकर मुकाबला किया, यही नहीं चुनाव के बाद भी वो लोगों के बीच रहे और अपनी राजनीतिक सूझ बूझ का परिचय दिया, इस बात का उन्हें ईनाम मिला है। हो सकता है कि कुछ समय बाद रायबरेली समेत अन्य सीटों पर चुनाव प्रचार के लिये कांग्रेस के और नेताओं को भी बुलाया जाए। लेकिन गणेश गोदियाल उत्तराखण्ड कांग्रेस से पहले नेता हैं जिन्हें सीधे राहुल गांधी ने रायबरेली के लिये चुना है।

जबकि हरीश रावत, प्रीतम सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा की अभी राहुल गांधी के चुनाव में सक्रियता नहीं दिखी है। हालांकि गणेश गोदियाल पर राहुल गांधी का भरोसा पिछले करीब एक साल से है। यही वजह है कि गढ़वाल सीट पर उन्हें तरजीह दी गईं। बताया जा रहा है कि पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर गढ़वाल सीट के प्रत्याशी रहे राहुल गांधी के नजदीकी माने जाने वाले मनीष खंडूड़ी का कांग्रेस को अलविदा कहने का यह भी एक कारण था। इस बार लोकसभा चुनाव में गोदियाल ने जिस तरह का दमखम दिखाया उससे यह भरोसा और बढ़ गया।

फिलहाल गणेश गोदियाल के इस उभार को उत्तराखंड में 2027 के विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार पवन लालचंद अपने यूट्यूब चैनल द न्यूज़ अड्डा में कहते हैं कि गणेश गोदियाल ने चुनाव तो बेहतरीन ढंग से लड़ा लेकिन चुनाव के बाद जिस तरह से वे संससदीय सीट के हर विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे और लोगों का आभार जताया, जिसमें उनके साथ बहुत से आम लोग जुड़े उससे उन्होंने 2024 में ही 2027 की पटकथा लिख दी है।

उत्तराखंड के सियासी परिदृश्य में चुनाव से ऐन पहले तक गढ़वाल में कांग्रेस बेदम नजर आ रही थी। राजेंद्र सिंह भंडारी समेत कई कांग्रेसियों के पाला बदलने, हरक सिंह के हाशिये पर चले जाने और प्रीतम सिंह के चुनाव ना लड़ने से पार्टी पूरी तरह से आत्मसमर्पण की मुद्रा में थी। लेकिन उसके बाद गणेश गोदियाल ने मोर्चा संभालते हुए ना सिर्फ पार्टी में नई उर्जा भरी बल्कि अब खुद भी वह कांग्रेस के भीतर एक नया पावर सेंटर बनते जा रहे हैं। अब देखना है कि कांग्रेस के अन्य दिग्गज गोदियाल के उभार का स्वागत करते हैं या एक बार फिर अपनी गुटबाजियों से भाजपा को फायदा पहुंचाते हैं।

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