एसीआर : अधिकारियों को नियंत्रित करने के इस फार्मूले पर मंत्रियों के सुर जुदा जुदा
– सतपाल महाराज समेत मंत्रियों और विधायकों का एक धड़ा अधिकारियों के एसीआर लिखने की कर रहा मांग
– वन मंत्री सुबोध उनियाल अधिकारियों की एसीआर मंत्रियों द्वारा लिखे जाने के पक्ष में नहीं
PEN POINT, DEHRADUN : पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री काल में मंत्रियों के हक में पड़ा डाका मंत्रियों को खूब सता रहा है। मंत्रियों की एसीआर लिखने का अधिकार मंत्रियों से छीनकर खुद तक सीमित रखने के विजय बहुगुणा के इस फैसले को दशक भर का समय होने को है। लेकिन, अब पिछले तीन से चार सालों से कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने इस अधिकार को फिर से वापिस पाने को आवाज बुलंद की हुई है। उनकी इस मुहिम में राज्य के अन्य मंत्री भी जुड़े तो मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को अगली कैबिनेट में एसीआर लिखने का मंत्रियों को अधिकार दिए जाने का प्रस्ताव लाने के निर्देश दिए। लेकिन, इसके बाद अब वन मंत्री सुबोध उनियाल के सुर बाकी मंत्रियों से अलग दिख रहे हैं। अधिकारियों के पक्ष में बोलते हुए सुबोध उनियाल का मानना है कि मंत्रियों को एसीआर लिखने के मामले में नहीं पड़ना चाहिए।
प्रदेश में मंत्रियों की ओर से सचिवों की एसीआर यानि एनुअल कान्फिडेंशियल रिपोर्ट (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) लिखने की मांग को लेकर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज लंबे समय से आवाज बुलंद किए हुए हैं। पूर्व सरकार में त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्रीकाल में भी सतपाल महाराज ने यह मांग उठाई थी, निजाम बदले लेकिन सतपाल महाराज लगातार इस बात पर डटे हैं कि अन्य राज्यों की तर्ज पर मंत्रियों को विभागीय सचिवों की एसीआर लिखने का अधिकार मिलना चाहिए। असल में सतपाल महाराज समय समय पर राज्य में अधिकारियों पर बेलगाम होने के आरोप लगाते रहे हैं साथ ही अधिकारियों द्वारा मंत्रियों के आदेशों को अनसुना करने समेत विभागीय मंत्रियों की उपेक्षा का आरोप भी अधिकारियों पर लगता रहा है। ऐसे में सतपाल महाराज एसीआर को एक महत्वपूर्ण हथियार मानते हैं जिससे अधिकारियों द्वारा मंत्रियों की उपेक्षा करना या उनके आदेशों की अवहेलना करना आसान न हो। बीते दिनों हुई कैबिनेट बैठक में भी सतपाल महाराज के साथ कई अन्य मंत्रियों ने भी सुर मिलाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अधिकारियों की एसीआर लिखने का अधिकार मांगा था। जिस पर मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को अगली कैबिनेट बैठक में इस मामले में प्रस्ताव लाने के निर्देश दिए थे। लेकिन, अब वन मंत्री सुबोध उनियाल के सुर राज्य के अन्य मंत्रियों से अलग होते दिख रहे हैं। हाल ही में उनका एक बयान वायरल हो रहा है। वह एसीआर मामले को मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट दोनों की ओर से ज्यादा तूल नहीं दिए जाने की बात कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का आए इस वीडियो में वह कह रहे हैं कि इस मामले में अधिकारियों को भी नाराज होने की जरूरत नहीं है, न ही मंत्रियों की ओर से इस मामले को तूल दिया जाना चाहिए। मंत्री अधिकारियों से ऊपर होते हैं, यह बात सभी जानते हैं।
अधिकारी नहीं है मंत्रियों को यह हक देने के पक्ष में
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की मांग पर भले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों की एसीआर लिखने के लिए मंत्रियों को हक देने का प्रस्ताव कैबिनेट में लाने के निर्देश भले ही दे दिए हो लेकिन यह फैसला अधिकारियों को ज्यादा पसंद नहीं आ रहा है। अधिकारियों की माने तो यह वैधानिक रूप से तो सही है कि मंत्रियों को अधिकारियों की एसीआर लिखने का अधिकार मिले लेकिन इसका दुरूपयोग होना, अधिकारियों को बेवजह दबाव बनाना जैसी समस्याएं भी पैदा होंगी। अधिकारियों की माने तो राज्य की लोकशाही अभी इतनी परिपक्व नहीं हुई है कि वह अधिकारियों की एसीआर लिखने जैसे बेहद गंभीर अधिकार का व्यवस्थित व सुचारू रूप से पालन कर सके।
फिलहाल मुख्यमंत्री के पास ही है अधिकार
राज्य में अधिकारियों की एसीआर लिखने का अधिकार फिलहाल मुख्यमंत्री के पास ही है। मुख्य सचिव उनके प्रतिवेदक और समीक्षक अधिकारी हैं। यानी वे उनकी एसीआर की समीक्षा करते हैं और मुख्यमंत्री स्वीकारता अधिकारी हैं।