नवयुग कंपनी के “इंजीनियरिंग चमत्कारों” की सूची में शामिल है सिलक्यारा टनल !
Pen Point, Dehradun : सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के बाहर आने का इंतजार आज 12वें दिन भी जारी है। इसके लिये भारी भरकम मशीनरी मौके पर तैनात कर दी गई है। माना जा रहा है कि शुक्रवार शाम तक मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा और रेस्क्यू ऑपरेशन सफल हो जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि मजदूरों को इस हाल में पहुंचाने के लिये जिम्मेदार निर्माण कंपनी नवयुग इंजीनियरिंग लिमिटेड का क्या होगा। करीब बारह सौ करोड़ रूपए की लागत से बन रही इस टनल को लेकर निर्माण कंपनी की ओर बड़े दावे किये जाते रहे हैं। हैरत की बात ये है कि निर्माण कंपनी ने अपने विभिन्न कामों के साथ सिलक्यारा बड़कोट टनल को इंजीनियरिंग के चमत्कारों (ENGINEERING MARVELS) की श्रेणी में रखा है। यानी कंपनी इस टनल को अपने इंजीनियरिंग कौशल का चमत्कार बता रही है। यह जानकारी कंपनी की वेबसाइट https://www.necltd.com/sectors-roadways.html में बाकायदा मौजूद है। क्रिएटिंग इंजीनियरिंग मार्वल्स शीर्षक वाली इस श्रेणी में कंपनी के पास देश के कुल नौ प्रोजेक्ट शामिल हैं। ये सभी प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं। जाहिर है कि हजारों करोड़ रूपए की लागत वाले इन प्रोजेक्ट को हासिल करने के बाद कंपनी झूठा दावा पेश करने से बचेगी। लेकिन हकीकत ये है कि कंपनी के ये दावे झूठ ही साबित हो रहे हैं।
कहां हैं इस्केप टनल्स ?
इस सूची में सिलक्यारा-बड़कोट टनल की जानकारी भी भ्रामक दी गई है। जिसमें इस्केप टनल्स की बात भी लिखी गई है। जबकि पचास प्रतिशत से ज्यादा सुरंग खोदे जाने के बावजूद इस टनल के साथ अभी तक कोई भी इस्केप टनल नहीं बनाई गई थी। यही वजह है कि मजदूरों के सुरंग में फंसने के बाद इसकी जरूरत बहुत ज्यादा महसूस की गई। अगर इस्केप टनल मौजूद होती तो मजदूरों को बहुत जल्दी बाहर निकाल लिया जाता।
बीच में दीवार की नौबत क्यों आई?
कंपनी के इंजीनियरिंग चमत्कार की कलई तब ही खुल गई थी जब उसने सुरंग के बीचोंबीच एक दीवार बनाए जाने का ऐलान किया। 4.5 किमी लंबी सुरंग में उपर से नीचे तक इस दीवार का काम भी एक छोर से शुरू कर दिया गया था। दावा किया गया कि सुरंग में चलने वाले ट्रैफिक के लिये यह दीवार सुरक्षा प्रदान करने वाली होगी। हालांकि यह जानकारी नहीं दी गई कि सुरंग के मूल डिजाइन में यह दीवार प्रस्तावित थी या नहीं। वहीं इसे बनाए जाने की ठोस तकनीकी वजह भी साफ नहीं हो सकी है।
नाम ना छापने की शर्त पर उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग के एक इंजीनियर ने बताया कि इस सुरंग की लाइनिंग में गड़बड़ी प्रतीत होती है, लगता है कि निर्माण कंपनी को इस बात का अहसास था कि सुरंग का उपर का हिस्सा पर्याप्त मजबूत नहीं है और किसी तरह इसे सपोर्ट दिया जाना चाहिए, जो काम दीवार के सहारे किया जा सकता था।
फिलहाल मजदूरों के साथ हुए हादसे निर्माण कंपनी की गलतियों की ओर से ध्यान हटाया हुआ है। एक बार रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो जाए तभी सरकार का ध्यान इस ओर जाएगा। हालांकि स बात पर नजर बनाए रखनी होगी कि निर्माण कंपनी पर इस हादसे की क्या जिम्मेदारी तय होती है। सिलक्यारा टनल का सुरक्षित भविष्य भी इसी बात पर टिका हुआ है।