सरकार हर महीने 20 लाख खर्च कर सीखेगी कि कर्ज कब लेना है
– राज्य सरकार ने किया ऋण एवं नकदी प्रबंधन प्रकोष्ठ का गठन, सलाहकारों की टीम तैनात करने के लिए सृजित किए गए 11 पद, हर महीने वेतन पर खर्च होंगे 20 लाख से ज्यादा
PEN POINT, DEHRADUN : उत्तराखंड राज्य की आर्थिक सेहत को जानने वाले जानते हैं कि राज्य की हालत हमेशा से ही आमदनी चवन्नी खर्चा डेढ़ रूपया रहा है। लिहाजा, राज्य की गाड़ी ऊधारी की गाड़ी से ही चल रही है। आलम यह है कि राज्य पर 70 हजार करोड़ रूपए से अधिक का कर्ज हो चुका है। लेकिन, अब सरकार सलाहकारों की एक टीम बनाकर यह जानेगी कि कर्ज कब लेना है और इसके लिए सरकार हर महीने 20 लाख से ज्यादा की रकम खर्च करेगी। इसके लिए बकायदा ऋण एवं नकदी प्रबंधन प्रकोष्ठ का भी गठन किया गया है। इसमें तैनात सालहकार सलाह देंगे कि बाजार से कर्ज लेना है और पुराने कर्ज की किस्त भी चुकानी है। हालांकि, अब तक यह काम राज्य की अफसरशाही कर रही थी। लेकिन, राज्य सरकार को लगता है कि सलाहकारों की टीम शायद ढंग से बता सके कि कर्ज कब लेना है और कर्ज की किश्त भी चुकानी है।
इस साल मार्च महीने में जब राज्य सरकार ने अपना बजट पेश किया था तो बताया गया कि राज्य पर 68 हजार करोड़ रूपए से अधिक का कर्ज है। 2023-24 के लिए 77407 करोड़ रूपए का बजट मार्च महीने में पेश किया गया। इसे इत्तेफाक ही समझिए कि इसी वित्तीय वर्ष में राज्य पर कर्ज बढ़कर 77 हजार करोड़ रूपए हो जाएगा। यानि जितना बजट राज्य के लिए घोषित किया गया है उतना ही कर्ज राज्य सरकार इस वित्तीय वर्ष के अंत तक हो जाएगा।
इस साल पेश बजट में जिन महत्वपूर्ण योजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया और राज्य की गाड़ी चलाने के लिए राज्य को करीब 19460 करोड़ रूपए का कर्ज लेना होगा। यानि हर दिन राज्य को करीब 53 करोड़ रूपए कर्ज के रूप में लेने पड़ेंगे। और राज्य की मौजूदा हालात को देखते हुए अगले दो साल में राज्य पर कर्ज एक लाख करोड़ रूपए पार कर जाएगा। ऐसे में राज्य को वेतन भत्तों, योजनाओं के खर्च के लिए तो कर्ज लेना ही पड़ रहा है साथ ही बाजार से लिए गए कर्ज की किश्तों के भुगतान के लिए भी बाजार से कर्ज लेना पड़ रहा है। कर्ज की इस गणित की भूमिका इसलिए बांधी गई है क्योंकि सरकार को लगने लगा है कि राज्य में तैनात अफसर सरकार को यह बताने में सक्षम नहीं है कि कब कर्ज लेना चाहिए और कब इसकी किश्त चुकानी चाहिए। शायद इसलिए ही चार विशेषज्ञों समेत 11 लोगां की नियुक्ति कर एक प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। इसके बावत बीते दिनों वित्त सचिव ने शासनादेश भी जारी कर दिया। वरिष्ठ सलाहकार ऋण प्रबंधन, वरिष्ठ सलाहकार आर्थिक नीति और वित्तीय प्रबंधन समेत दो सलाहकार और अन्य लोगों की इस टीम पर वेतन पर ही ही महीने करीब 20 लाख रूपए से ज्यादा खर्च किए जाएंगे, वह भी तब जब राज्य की गाड़ी ही कर्ज के भरोसे चल रही है।
वहीं, इसी साल राज्य को 11,525 करोड़ रूपए पुराने कर्जों की किश्त चुकाने और 6166 करोड़ रूपए कर्जों का ब्याज चुकाने के लिए जुटाने पड़ेंगे। ऐसे में विशेषज्ञों की यह टीम राज्य सरकार को हर महीने बताएगी कि कब कर्ज जुटाना है, कब इसकी किश्त चुकानी है। हालांकि, राज्य सरकार पहले ही राज्य की आय बढ़ाने के लिए बीते साल नवंबर महीने में अमेरिका की मैकेंजी ग्लोबल कंपनी को दो साल का ठेका दे चुकी है।