आत्महत्या: राज्य में हर सप्ताह 18 लोग करते हैं अपनी जीवनलीला समाप्त
– NCRB के आंकड़ों ने की पुष्टि, एक साल में 82 फीसदी ज्यादा बढ़े आत्महत्या के मामले
PEN POINT, DEHRADUN : ‘बीते बुधवार को काशीपुर स्थित एक चिकित्सक ने अपनी पत्नी संग आत्महत्या कर दी। पत्नी लंबे समय से कैंसर से जूझ रही थी और उपचार पर हो रहे खर्च के चलते परिवार गहरे आर्थिक संकट में फंसा गया था। 50 वर्षीय चिकित्सक ने एनेस्थिसिया का ओवरडोज लेकर पत्नी संग खुदकुशी कर ली।’
‘बीते मंगलवार को ही हल्द्वानी में एक 26 वर्षीय शिक्षिका ने विषाक्त पदार्थ खाकर आत्महत्या कर दी।’
‘बीते गुरूवार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सुरक्षा में तैनात एक पुलिसकर्मी ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली।’
पिछले तीन दिनों में करीब चार आत्महत्या के मामले मीडिया में छपे तो यह लोगों की जानकारी में आए। लेकिन क्या आपको पता है कि उत्तराखंड में हर दो दिन में औसतन 5 लोग आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर देते हैं। नेशनल क्राइम रेकार्ड ब्यूरो की सालाना रिपोर्ट की माने तो राज्य में 2019 के मुकाबले आत्महत्या करने के मामलों में 82 फीसदी से अधिक बढ़ोत्तरी हुई है। यानि हर सप्ताह प्रदेश में करीब 18 लोग अलग अलग कारणों से अपनी जान दे देेते हैं। आत्महत्या के मामलों में यह बढ़ोत्तरी चिंताजनक है। आत्महत्या करने वालों में बड़ी संख्या गृहणी और खुद का काम करने वाले लोगों की है। साल 2020 में करीब 167 गृहणियों ने विभिन्न कारणों से मौत को गले से लगाया तो स्वरोजगार से जुड़े 153 पुरूषों और 6 महिलाओं ने अपनी जीवनलीला खुद समाप्त की। कोरोना काल के दौरान काम धंधे ठप पड़ने, स्वरोजगार में अपेक्षित लाभ न मिलने और अन्य कारणों के चलते इन लोगों ने मौत को चुना। तो 118 ऐसे लोगों ने आत्महत्या का रास्ता चुना जो दैनिक मजदूरी पर काम करते थे। तो 155 बेरोजगार पुरूषों और 25 बेरोजगार महिलाओं ने अपनी जीवनलीला खुद ही खत्म की। सरकारी नौकरी करने वाले 9 पुरूषों और 1 महिला ने अलग अलग कारणों से अपनी जीवनलीला समाप्त की, तो प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले 109 पुरूषों और 4 महिलाओं ने आत्महत्या का रास्ता चुना। वहीं, 108 छात्र छात्राओं ने भी मौत को गले लगाया।
आत्महत्या का विचार आए तो क्या करें
अवसाद, खराब आर्थिक स्थिति, गंभीर बीमारी, पारिवारिक विवाद, करियर संबंधी चिंता, असफल प्रेम समेत ऐसे कई कारण हो सकते हैं जिससे दिमाग में आत्महत्या का विचार आए। यह गंभीर विषय हो सकते हैं लेकिन परिजनों से बातचीत से भी इन अवसाद से बचा जा सकता है। भारत सरकार की ओर से भी एक हेल्पलाइन संचालित की जा रही है, यदि मन में आत्महत्या का ख्याल आए तो आप इस हेल्पलाइन से संपर्क कर अवसाद से उबरने में मदद मांग सकते हैं। इसके अलावा मेडिटेशन के जरिए भी आत्महत्या के ख्यालों से बचा जा सकता है। साथ ही अवसाद से ज्यादा जूझ रहे हो तो किसी मनोचिकित्सक से भी संपर्क कर मदद ले सकते हैं।