टिहरी सीट: निर्दलीय बॉबी पंवार के लिये अंडर करंट से त्रिकोणीय हुआ मुकाबला
Pen Point, Dehradun : उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में से टिहरी सीट पर चुनावी जंग त्रिकोणीय हो चली है। यहां निर्दयलीय बॉबी पंवार भाजपा और कांग्रेस को मजबूत चुनौती देते नजर आ रहे हैं। बेरोजगारों के त्रिकोणीय हो चली है। यहां निर्दयलीय बॉबी पंवार भाजपा और कांग्रेस को मजबूत चुनौती देते नजर आ रहे हैं। बेरोजगारों के आंदोलन की अगुवाई करने वाले बॉबी पंवार को मिल रहे जनसमर्थन में दोनों ही सियासी दल सकते में हैं। खास बात ये है कि उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष के रूप में बॉबी की प्रदेश भर में पहचान बनी है। सियासी जानकार बताते हैं कि अब तक बने माहौल में कांग्रेस तीसरे पायदान पर खिसकती दिख रही है। जबकि निर्दलीय बॉबी पंवार के लिये पैदा हुआ अंडर करंट काम कर गया तो राजशाही का तिलस्म टूट भी सकता है।
माना जा रहा है कि कांग्रेस को इस सीट पर बॉबी पंवार की अनदेखी करना भारी पड़ सकता है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने उनके नाम पर विचार भी किया था, लेकिन आखिर वरिष्ठ नेता जोत सिंह गुनसोला पर ही भरोसा जताया। जबकि राजनीतिक रूप से गुनसोला की सक्रियता बेहद सीमित रही है। टिहरी लोकसभा सीट के बड़े हिस्से में लोगों ने उन्हें देखा तक नहीं है। वहीं आज सोशल मीडिया के दौर में वे इस मामले में भी पहले ही काफी पिछड़े हुए हैं। जबकि दूसरी ओर प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल का विरोध करना हो या फिर सड़कों पर बेरोजगारों की लड़ाई लड़ना हो, बॉबी पंवार लगातार सुर्खियों में रहे है। इस दौरान वो कई बार हिरासत में लिये गए, ये सभी घटनाएं सोशल मीडिया पर आज तक तैर रही हैं। इन वजहों से बॉबी पंवार के चेहरे से लोग बखूबी वाकिफ हो चुके हैं। खास तौर पर युवाओं में निर्दलीय उम्मीदवार के लिये काफी उत्साह दिख रहा है।
भाजपा की बात करें तो उसने एक बार फिर रानी माला राज्यलक्ष्मी शाह पर भरोसा कायम रखा है। जिसका कारण है कि राजपरिवार की इस सीट पर हमेशा ही मजबूत रहा है। वरिष्ठ पत्रकार शीशपाल गुसांई के मुताबिक सांसद रहते हुए रानी की सक्रियता को लेकर लोग सवाल भी उठाते रहे हैं। जिसका असर इस चुनाव में नजर आ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्र सरकार के कामों के भरोसे ही इस बार उनका चुनाव अभियान चल रहा है। खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में महिला मतदाताओं की भाजपा में आस्था उनके लिये मजबूत आधार बना हुआ है।
भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशी की तुलना करें राजनीतिक अनुभव में काफी फर्क नजर आता है। भाजपा का कैडर वोट और बूथ मैनेजमेंट निर्दलीय प्रत्याशी पर भारी पड़ता है। लेकिन युवाओं का उत्साह और अंडर करंट को मानने वाले इन बातों को खारिज करते हैं। उत्तरकाशी के पत्रकार सुरेंद्र नौटियाल कहते हैं कि कि बेरोजगारी जैसे मुद़दे पर मुखरता और ईमानदारी के साथ बॉबी पंवार ने संघर्ष किया है। चूंकि टिहरी समेत उत्तराखंड का हर परिवार इस मुद्दे से जुड़ा हुआ था और लोग तब से ही बॉबी पंवार के लिये एकजुट होना शुरू हो गए थे। हालांकि इतना जरूर है कि युवाओं के जोश के साथ लिये चल रहे निर्दलीय प्रत्याशी को महिला मतदाताओं पर फोकस करना होगा।