शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट, यात्राकाल में 14 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
Pen, Point Dehradun: बदरीनाथ धाम के कपाट सेना के बैंड की मधुर धुनों और बोल बदरी विशाल जी की जयकारे के साथ रविवार को शाीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। ठीक 9 बजकर 07 मिनट पर भगवान श्री बदरी विशाल जी के मंदिर के श्री कपाट विधि विधान पूर्वक शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। अब से जगत पालन हार श्री हरी नारायण प्रभु की नित्य पूजा अर्चना का दायित्व शेष 6 माह के शीतकाल हेतु देवताओं द्वारा संपादित किया जाएगा। वहीं उद्धव जी और कुबेर जी की देव डोलियां कल प्रातः काल बाद पांडु नगरी पांडुकेश्वर अपने शीतकालीन प्रवास के लिए रवाना हो जाएंगे।
पिछले दो साल की तुलना में इस साल श्रद्धालुओं की संख्या में काफी कमी आई है, मगर श्रद्धालुओं में खूब उत्साह रहा। एक माह में धाम में तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जबकि इस यात्राकाल में 14 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचे।
इस साल 12 मई को बदरीनाथ धाम की यात्रा शुरू हुई थी और 17 नवंबर को कपाट बंद कर दिए गए। 190 दिन चली यात्रा में इस साल 14 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचे, जबकि 2023 में 18 लाख 42 हजार 19 और 2022 में 17 लाख 60 हजार 646 श्रद्धालु बदरीनाथ पहुंचे थे।
हालांकि, पिछले साल की तुलना में इस साल 12 प्रतिशत तो 2022 की तुलना में आठ प्रतिशत श्रद्धालुओं की संख्या कम रही। वर्ष 2023 में 16 हजार श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ के दर्शन किए थे। इस साल आखिरी एक माह में श्रद्धालुओं की संख्या में खासा इजाफा देखने को मिला।
बीते 16 अक्तूबर को धाम में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 11,33,926 थी, जो 17 नवंबर को कपाट बंद होने पर 14 लाख से अधिक पहुंच गई।
इस साल धाम में श्रद्धालुओं की संख्या कम होने के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं। पिछले साल धाम की यात्रा 27 अप्रैल को शुरू हुई थी, जबकि इस साल 15 दिन बाद यात्रा शुरू हुई।
उत्तराखंड चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के महासचिव डॉ. बृजेश सती का कहना है कि धाम में यात्रियों के कम संख्या में पहुंचने का मुख्य कारण ऑनलाइन पंजीकरण और यात्रियों की संख्या सीमित करना भी रहा है।
यात्रा के शुरू में हरिद्वार और ऋषिकेश से ऑफलाइन पंजीकरण वाले यात्रियों को भेज दिया गया। साथ ही इस साल यात्रा 15 दिन देर से शुरू हुई, जिससे धाम में यात्रियों की संख्या में गिरावट आई। अगले यात्रा सीजन में सरकार को पंजीकरण व संख्या सीमित करने को लेकर विचार करना होगा।