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नेपाल की बारिश से बिहार के कई जिलों में संकट, लोग हुए परेशान

Pen, Point: इन दिनों गंडक, कोसी, बागमती, कमला बलान और गंगा समेत कई नदियां ऊफान पर हैं. लाखों लोगों की जिंदगी मुसीबत में है. लोगों को 2008 वाला डर सताने लगा है. दरअसल, बिहार में 2008 में आई तबाही के निशान अभी भी हैं.

नेपाल में करीब 72 घंटे से भारी बारिश हो रही है। तबाह होते पड़ोसी राज्य ने अपने यहां हुई बारिश से जमा करीब 11 लाख क्यूसेक पानी बिहार की नदियों में छोड़ दिया है। कोसी-गंडक बराज से रिकॉर्ड पानी छोड़े जाने का असर बिहार के 13 जिलों तक पहुंच चुका है। एक लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। कोसी-गंडक से जुड़ी नदियों के साथ ही गंगा का जलस्तर पर भी अब परेशानी का सबब बनेगा। पटना तक आफत में है, क्योंकि यहां पहले ही पुनपुन नदी का जलस्तर बढ़ने से हजार से ज्यादा घरों में बाढ़ का पानी पहुंच चुका है और गंगा का जलस्तर दोबारा बढ़ना मुसीबत होगा।

घर, सड़क, पुल और ऊंची इमारतों को मानो पानी ने लील लिया हो. लाखों जिंदगियां अचानक से बेसहारा हो गई हैं. आंख की जद तक चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी है, जैसे ये कोई सूखा इलाका नहीं बल्कि किसी दरिया के बीच का कोई हिस्सा हो. ये नजारा इन दिनों बिहार के करीब 13 जिलों का है जहां नेपाल के रास्ते आ रही नदियों ने तबाही मचा रखी है. तबाही हर दिन और भयावह होती जा रही है. यह जलप्रलय देखकर लोगों को अब 1968 और 2008 की भयावह यादें ताजा होने लगी हैं.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2008 में भयानक बाढ़ से 526 लोगों की मौत हुई थी. कई किसानों के खेत हमेशा के लिए बर्बाद हो गए थे, क्योंकि खेतों में बालू भर गया था. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि तब नेपाल की ओर से 2-3 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था.

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