टनल रेस्क्यू अपडेटः अंतर्राष्ट्रीय टनल विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स पहुंचे सिलक्यारा
Pen Point, Silkyara : सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को निकालने की कोशिशें अब भी जारी हैं। इस काम में लग रहा वक्त अब सुरंग के अंदर मौजूद मजदूरों और बाहर इंतजार कर रहे उनके परिजनों की बेचैनी बढ़ा रहा है। घटना के नौवें दिन राज्य और केंद्र सरकार ने अपनी पूरी मशीनरी इस काम में झोंक दी है। लेकिन पूरी कवायद अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है। इसी बीच सोमवार को अंतराष्ट्रीय टनल विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स भी सिलक्यारा पहुंच गए। बता दें कि अर्नाेल्ड डिक्स इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एशोसिएशन (आईटीए) के अध्यक्ष है। भारत सरकार के आग्रह पर पहुंचे आर्नोल्ड ने सुरंग और आस पास के इलाके का जायजा लिया। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा हमें केवल टॉप से वर्टिकल ड्रीलिंग ही नहीं बल्कि बॉटम तक नजर रखनी होगी, यहां सब लोग एक टीम की तरह हैं और पूरा फोकस रेस्क्यू पर किया जा रहा है, लिहाजा चीजें सकारात्मक नजर आ रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 41 लोगों को बिना चोट पहुंचाए बाहर निकालना हमारा मकसद रहेगा।
रोबोटिक्स मशीन सिलक्यारा पहुंची
सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए रोबोटिक्स मशीन सिलक्यारा सुरंग स्थल पहुंच गई है। भारतीय सेना ने डीआरडीओ की यह मशीन रविवार की दोपहर मशीन को पहुंचाया। भारी मशीनों से ड्रिलिंग में आ रही दिक्कतों को देखते हुए इस खास मशीन का सहारा लिया जा रहा है। बीते रविवार को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सुरंग साइट का जायजा लेने के बाद इसकी जरूरत बताई थी। मशीन के साथ इसे संचालित करने वाली टीम भी मौके पर मौजूद है और ऑपरेशन की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
मजदूरों के परिजनों को आवागमन का खर्च
सिलक्यारा सुरंग के बाहर लगातार अंदर फंसे मजदूरों के परिजन पहुंच रहे हैं। राज्य सरकार ने सोमवार को इनके आवागमन का खर्च उठाने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से कहा गया है कि जो मजदूरों के जो भी परिजन आना चाहते हैं यहां आ सकते हैं। उनके लिये भोजन, आवास और मोबाइल रिचार्ज आदि का इंतजाम करने की बात भी कही गई है।
वर्टिकल ड्रिलिंग के लिये जगह चुनी
सुरंग के टॉप से वर्टिंकल ड्रिलिंग के लिये जगह चुन ली गई है। सूत्रों के अनुसार अगले चौबीस घंटे में यहां ड्रिलिंग का काम शुरू हो जाएगा। जिसके तहत 1.2 मीटर व्यास का होल किया जाना है। बीआरओ ने इस जगह तक मशीन पहुंचाने के लिये ऐप्रोच रोड भी तैयार कर ली है।