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पुरोला मोरी से बीस लाख टन सिलिका रेत का होगा हर साल खनन

Pen, Point Dehradun: कांच निर्माण उद्योग में प्रमुखता से प्रयोग की जाने वाली सिलिका रेत का खनन उत्तरकाशी जनपद में शुरू होगा। जनपद के पुरोला और मोरी में सात स्थानों से हर साल करीब 20 लाख टन सिलिका रेत का खनन किया जाएगा। मौजूदा बाजार दर के हिसाब से माने तो पुरोला और मोरी से हर साल करीब चार सौ करोड़ रूपए से भी ज्यादा की सिलिका रेत का खनन होगा।
सीमांत जनपद उत्तरकाशी के पुरोला में लंबे समय से कांच उद्योग की जान कही जाने वाली सिलिका रेत की मौजूदगी के बारे में पता चला था। राज्य गठन के बाद पुरोला क्षेत्र में इस कीमती सिलिका रेत का खनन हो सके लिए इसके कोशिशें भी शुरू हुई लेकिन यह प्रयास धरातल पर नहीं उतर सकी। 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सिलिका रेत खनन की योजना को शुरू करने से पहले इस जुड़ी नीति के अध्ययन के लिए तत्कालीन मुख्य सचिव राकेश शर्मा को भी उन राज्यों से समन्वय बनाने के निर्देश दिए थे जहां सिलिका रेत का खनन चल रहा था। लेकिन, यह योजना धरातल पर उतरी उससे पहले ही कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी। उसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी तो सिलिका खनन पर चर्चा भी ठंडी पड़ गई। हालांकि, 2018-19 में फिर से सरकार का ध्यान सिलिका खनन की तरफ गया। इसके खनन और खनन से पड़ने वाले प्रभावों के अध्ययन के लिए एक दल का गठन किया गया। साल 2022 में इस टीम ने क्षेत्र का विस्तृत अध्ययन कर इसके खनन की रिपोर्ट शासन को दी। इसके बाद सिलिका खनन की तैयारियों को लेकर शासन स्तर पर भी गतिविधियां तेज कर दी गई है। इसके खनन का जिम्मा शासन ने भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय को सौंपा। अब भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय ने पुरोला में 6 और मोरी में 1 स्थल को सिलिका खनन के लिए चिन्हित किया है और जल्द ही इसके पट्टे आवंटित करने के लिए निविदा भी जारी करने जा रही है। फिलहाल, पुरोला के 6 और मोरी के 1 स्थान में 105 हेक्टेयर भूमि पर हर साल करीब 20 लाख टन सिलिका का खनन किया जाएगा। पुरोला के चपताड़ी, पुजेली, दरमाणा, ढकारा, कुरड़ा, करड़ा, मैराना और मोरी के कुकरेड़ा में इस उपखनिज का खनन किया जाएगा। इस रेत का प्रयोग कांच उद्योग में किया जाता है तो साफ है कि यहां खनन कर रेत को उन इलाकों में निर्यात किया जाएगा जहां कांच उद्योग स्थापित हैं।
हालांकि, राज्य में अन्य इलाकों में भी सिलिका की मौजूदगी पाई गई है। साल 2014 में तत्कालीन सरकार ने बताया था कि राज्य में करीब 10 हजार मिट्रिक टन सिलिका के खनन की संभावनाएं हैं।

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