अंकिता हत्याकांड के दो साल, न्याय का लंबा हो रहा इंतजार
प्रदेश की आत्मा को झकझोरने वाले अंकिता हत्याकांड को आज पूरे दो साल हुए, अब तक कोर्ट में चल रही कार्रवाई नहीं हो सकी सारे गवाहों की गवाही, परिजनों को न्याय मिलने का लंबा हो रहा है इंतजार
Pen Point, Dehradun : प्रदेश की आत्मा को झकझोरने वाले और प्रदेश में कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा को सवालों के घेरे में खड़े करने वाले बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड को आज यानि 18 सितंबर को पूरे दो साल हो जाएंगे। लेकिन, इन दो सालों में मामले में न्याय मिलना तो दूर अब तक उस कथित वीआईपी का तक खुलासा नहीं हो सका जिसे कथित रूप से ‘विशेष सेवाएं’ देने के लिए अंकिता पर दबाव बनाया गया साथ ही अब तक इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से पूरे गवाह तक पेश नहीं किए गए हैं।
प्रदेश के बहुचर्चित अंकिता हत्याकांड प्रकरण को 18 सितंबर 2024 को पूरे दो साल हो चुके हैं। यमकेश्वर के गंगाभोगपुर तल्ला के वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के पद पर काम करने वाले पौड़ी के श्रीकोट की निवासी अंकिता भंडारी की 18 सितंबर 2022 को रहस्यमय हालात में हत्या हो गई थी। मामले में रिजॉर्ट के मालिक और भाजपा नेता के पुत्र पुलकित आर्य समेत अन्य कर्मचारियों पर आरोप लगे थे। भारी विवाद के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। तब इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने बहुचर्चित इस हत्याकांड की एसआईटी जांच के आदेश दिए थे। वर्तमान में इस मुकदमे का ट्रायल कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायालय में चल रहा है। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में अब तक विवेचना अधिकारी समेत 47 गवाह अदालत में पेश किए जा चुके हैं। अभियोजन पक्ष की ओर से 47वें गवाह के रूप में मामले के विवेचना अधिकारी इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह खोलिया की गवाही कराई जा चुकी है। उनकी गवाही के बाद अब बचाव पक्ष के अधिवक्ता की ओर से विवेचना अधिकारी की ओर से मामले में जिरह की जा रही है। जिसमें अगली सुनवाई 30 सितंबर को होनी है। 2022 के सितंबर महीने के दूसरे पखवाड़े की शुरूआती दिनों में संज्ञान में आए इस मामले ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी थी, लोग अंकिता हत्याकांड को लेकर सड़कों पर उतरे तो सरकार ने भी शासन स्तर पर 24 सितंबर, 2022 को एसआईटी गठित की गई थी। जिसके बाद इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह खोलिया को विवेचना अधिकारी नियुक्त किया गया था। मामले की जांच के बाद करीब 500 पेज का आरोपपत्र उन्होंने 16 दिसंबर, 2022 को अदालत में दाखिल किया था। एसआईटी की ओर से इस मुकदमे में 97 गवाह बनाए गए हैं।
एसआईटी की जांच के बाद वनंत्रा रिजॉर्ट के मालिक व भाजपा नेता के पुत्र पुलकित आर्य व दो अन्य कर्मियों के खिलाफ करीब 500 पेज की चार्जशीट अदालत में दाखिल की गई। मुख्य आरोपी पुलकित आर्य पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य छुपाना), 354 (ए) (छेड़खानी व लज्जा भंग) और अनैतिक देह व्यापार अधिनियम के तहत आरोप तय हुए हैं। दूसरे आरोपी सौरभ भास्कर और तीसरे आरोपी अंकित गुप्ता पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य छुपाना) और अनैतिक देह व्यापार अधिनियम के तहत आरोप तय किए गए हैं। मामले का ट्रायल कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायालय में चल रहा है।
यह मामला तब सामने आया था जब अंकिता ने अपने जम्मू निवासी मित्र पुष्पदीप को व्हाट्सएप पर संदेश भेजकर बताया था कि रिजॉर्ट में उस पर एक वीआईपी को ‘स्पेशल सर्विस’ देने का दबाव बनाया जा रहा है और वह इस नौकरी को छोड़ना चाह रही है। इसके बाद अंकिता का फोन बंद हो गया था तो रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने अंकिता भंडारी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की थी लेकिन जांच में पाया गया कि अंकिता भंडारी की मौत हो गई। इसके बाद अंकिता के मित्र पुष्पदीप ने अंकिता की ओर से उसे भेजे गए संदेश अंकिता के माता पिता को दिखाए तो सामने आया कि इसके बाद अंकिता की तलाश से लेकर उसकी गुमशुदगी दर्ज कराने के लिए परिजन हरकत में आए। इस मामले में अंकिता के माता-पिता व भाई से लेकर वनंत्रा रिजॉर्ट में काम करने वाले कई कर्मचारियों के अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत में बयान दर्ज कराए गए हैं। विवेचना अधिकारी को छोड़ दें तो अब तक इस मामले के पूर्व विवेचक रहे लक्ष्मणझूला थाने के तत्कालीन एसआई मनोहर सिंह रावत, राजस्व उपनिरीक्षक विवेक कुमार व वैभव प्रताप सिंह, रिजॉर्ट कर्मी अमन राय, अभिनव कश्यप, कुसराज, वन कर्मचारी आशीष पुरोहित, उपनिरीक्षक श्रद्धानंद सेमवाल, रिजॉर्ट में जेसीबी चलाने वाले कर्मी, पोस्टमार्टम करने वाले एम्स के डॉक्टरों, जांच में शामिल रहे पुलिस, फोरेंसिक यूनिट व सीएफएसएल के वैज्ञानिकों समेत 46 लोगों की गवाही हो चुकी है।
कौन था वह ‘वीआईपी’
प्रदेश में आज भी यह रहस्य बना हुआ है कि वह कथित ‘वीआईपी’ कौन था जिसको ‘स्पेशल सर्विस’ देने के लिए रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य दबाव बना रहा था। पुलिस ने शुरूआती जांच में इस कथित वीआईपी के बारे में कोई खुलासा नहीं किया। हालांकि, अंकिता हत्याकांड के खिलाफ मुखर रहे पौड़ी निवासी आशुतोष नेगी ने इसी साल भाजपा से जुड़े एक महत्वपूर्ण शख्स पर कथित वीआईपी होने का आरोप लगाया था, खुद अंकिता की मां ने भी उस महत्वपूर्ण शख्स का नाम एक वीडियो जारी कर बताया। लेकिन, उक्त व्यक्ति भाजपा संगठन में महत्वपूर्ण पद पर है लिहाजा यह मामला ज्यादा नहीं उछल सका। वहीं, तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ने भी एक बयान जारी कर कहा कि जांच के दौरान किसी की ओर से भी वीआईपी का नाम नहीं बताया गया ऐसे में यदि किसी के पास पुख्ता सबूत है तो वह पुलिस को सौंप सकता है। इस पूरे मामले में राज्य सरकार ने भी खामोशी अख्तियार कर ली।