उज्याली संग्राद: जब शुरू होता है रोशनी का महीना
Pen Point, Uttarkashi : रैथल समेत 13 गांव के ग्रामीण दूध मक्खन मट्ठा की होली खेल रहे हैं, गढ़वाल कुमांउ क्षेत्र में अलग अलग जगह श्रावण बीतने पर भाद्रपद के इस्तकबाल के लिए तमाम तरह की रस्में रिवायतों को निभाया जा रहा है। लेकिन, एक बात तो इन सब परंपराओं और रस्मों का नाम है वह है उज्याली संग्रात या कहें उज्याळी संक्रात या कहें उजाला पहला दिन।
सावन का महीना बीत गया है यानी श्रावण मास बीत गया है। हिंदू कैलेंडर के हिसाब से इस दफा हिंदू कैलेंडर के हिसाब से श्रावण महिना अधिक मास था, रोमन कैलेंडर की माने तो लीप वर्ष। रोमन कैलेंडर और विक्रम सवंत कैलेंडर फर्क यह है कि रोमन कैलेंडर में हर चार साल में एक लीप वर्ष होता है यानि एक महीना अधिक मास होता है वह होता है फरवरी लेकिन विक्रम संवत में यह महीना होता है जुलाई अगस्त यानि श्रावण मास। खैर, समय देश काल परिस्थिति में यह महीना अलग हो सकता है।
लेकिन, अमूमन बीते सालों तक 16 अगस्त तक आने वाली भाद्रपद की संक्राति इस बार 17 अगस्त को आ रही है। भाद्रपद का आगमन पहाड़ों में फसलों को पकाने वाले महीने के रूप में जाना जाता है। यानि, ऐसी धूप कि फसलें पक जाएं, बारिश से राहत मिल जाए और सर्दियों से पहले वाली गर्माहट का अहसास भी हो जाए। भाद्रपद और भादौं के बारे में एक बात प्रचलित है कि भादौं का घाम यानि भादौं में पड़ने वाली धूप शरीर को जला देने की क्षमता रखती है। यह झूठ भी नहीं है। पहाड़ में धान की फसल की बुआई मैदानों के मुकाबले महीने भर पहले हो जाती है तो पकने की स्थिति भी मैदानों से पहले आ जाती है। आमतौर पर माना जाता है कि धान की फसल पकने का मतलब ही सर्दियों की आदम होती है। लिहाजा, पहाड़ों में पहले, मैदानों में थोड़े बाद।
वापिस लौटते हैं सावन की विदाई के इस जश्न पर। प्रदेश का पहाड़ी हिस्सा आज उज्याली संग्राद मना रहा है। पूरे महीने घर में दिए जलाए जाएंगे, यह बेहद जरूरी है। घर में शाम होते दिया जलना। पहाड़ों में सुबह शाम दिया जला कर पूजा पाठ करने का काम एक विशेष समुदाय तक सीमित रहा लेकिन भादौं की दस्तक के साथ महीने भर तक लोग अपने घर के पूजाघर को दिए से रौशन करते हैं। यह महीना सर्दियों की आमद से पहले का महीना है। इसके बाद पहाड़ों में कुछ दिनों खेती का काम चलेगा उसके बाद दस्तक देगी सर्दियां, लंबी सर्दियां। जब जमीन बंजर हो जाएगी, पानी हर सुबह जम कर बर्फ हो जाने लगेगा। लिहाजा, इस बर्फीले मौसम में दस्तक देने से पहले पहाड़ का रिवाज है कि घरों का रौशन करो, हां यह महीना खेतों से नकदी फसलों को लाने का भी महीना है।
उज्याळी संग्रात और उज्याली संग्राद को घरों से दूर लोगों को मनाने के लिए कुछ नहीं करना है, बस एक दिया वहां जला दो जहां भगवान की तस्वीरें रखी और हां अगले महीने भर यानि 31 दिन दिए जलाने हैं बिना किसी दिन रोके।
पहाड़ों में यही प्रथा है…