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उत्तराखंड के सपूत शहीद कैप्टन दीपक सिंह मरणोपरात शौर्य चक्र से सम्मानित

Pen Point, 23 मई 2025 :  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वीरता और बलिदान की प्रतीक बन चुके भारतीय सेना के कैप्टन दीपक सिंह को गुरुवार को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें अगस्त 2024 में जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान प्रदर्शित असाधारण बहादुरी और अदम्य साहस के लिए प्रदान किया गया।

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के निवासी कैप्टन दीपक सिंह ने घायल होने के बावजूद आतंकवादियों पर सटीक गोलीबारी की और उन्हें गंभीर रूप से घायल कर ऑपरेशन को सफलता की ओर मोड़ा। हालाँकि, इस वीरता के दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए और वीरगति को प्राप्त हुए।

कठिन हालातों में नेतृत्व की मिसाल

13-14 अगस्त 2024 की रात, कैप्टन दीपक सिंह 48वीं राष्ट्रीय राइफल्स की कमान संभालते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ अस्सार के घने जंगलों में एक संयुक्त आतंकवाद-रोधी अभियान में जुटे थे। खुफिया सूचना पर शुरू किए गए ऑपरेशन में उन्होंने अद्भुत परिस्थितिजन्य जागरूकता और सैन्य रणनीति का परिचय दिया। उनकी टीम ने न केवल एक आतंकवादी को घायल किया, बल्कि भारी गोलीबारी और दुर्गम इलाके के बावजूद इलाके पर नियंत्रण बनाए रखा।

अगली सुबह, जब एक छिपे हुए आतंकवादी ने अचानक गोलीबारी शुरू की, तो कैप्टन दीपक सिंह ने अपने साथी सैनिक की जान बचाने के लिए स्वयं को दुश्मन के सामने झोंक दिया। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद, उन्होंने दुश्मन पर आखिरी हमले में सफलता पाई और आतंकवादी को ढेर कर दिया।

कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरक कहानी

कैप्टन दीपक सिंह का जन्म 1999 उत्तराखंड के खूबसूरत अल्मोड़ा जिले में हुआ था। पूर्व पुलिस अधिकारी महेश सिंह के पुत्र दीपक को बचपन से ही राष्ट्रसेवा की प्रेरणा मिली। अपनी स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने तकनीकी प्रवेश योजना (TES) के जरिए सेना में प्रवेश किया और जून 2020 में गया स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से पास आउट हुए। उन्हें भारतीय सेना की सिग्नल कोर में कमीशन मिला — एक शाखा जो युद्ध और शांति दोनों समय में संचार का जीवनरेखा है।

सैनिक, खिलाड़ी और असाधारण नेता

फील्ड यूनिट से शुरू होकर 48 राष्ट्रीय राइफल्स में प्रतिनियुक्ति तक, कैप्टन दीपक सिंह ने सैन्य जीवन की कठोरताओं को सहजता से अपनाया। हॉकी के उत्कृष्ट खिलाड़ी रहे दीपक अपने साथियों के बीच अनुशासन, नेतृत्व और दलभाव के लिए प्रसिद्ध थे।

परिवार और राष्ट्र का गौरव

कैप्टन दीपक सिंह के परिवार में उनके पिता महेश सिंह, माता और दो बहनें — मनीषा और ज्योति हैं। राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में जब उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया, तो पूरे देश ने श्रद्धांजलि स्वरूप उन्हें standing ovation दिया।

भारतीय सेना की परंपराओं में अमर बलिदान

शहीद कैप्टन दीपक सिंह की बहादुरी भारतीय सेना की उन महान परंपराओं की याद दिलाती है, जिनमें सैनिक राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने से पीछे नहीं हटते। 25 वर्ष की आयु में देश के लिए बलिदान देने वाले इस वीर योद्धा की स्मृति आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।

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