VOTERS’S VOICE: किस की राजनीतिक जमीन खिसकाने के मूड में हैं जोशीमठ के लोग?
Pen Point, Dehradun : लोकसभा चुनाव करीब है। उत्तराखंड में भी चुनावी माहौल गर्माने लगा है। विभिन्न चुनावी मुद्दों को लेकर बहस-मुबाहिसों का दौर चल पड़ा है। कहीं वोटर अपने मन की बात खुलकर बता रहे हैं तो कहीं वह खामोश रहकर ही बहुत कुछ कह जा रहा है। मुद्दों से लेकर दिग्गजों के चुनावी मुकाबले पर नजर डालें तो गढ़वाल संसदीय सीट सबसे ज्यादा सुर्ख़ियों में है। जहां परंपरागत रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला रहा है। इस बार भी गढ़वाल सीट पर ऐसी तस्वीर नजर आ रही है। जिसमें केंद्र और राज्य में सत्तासीन बीजेपी से पूर्व राज्य सभा सांसद और मोदी-शाह के करीबी माने जा रहे अनिल बलूनी और कांग्रेस पार्टी से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मंझे हुए नेता गणेश गोदियाल चुनाव मैदान में हैं। दिग्गजों के चुनाव मैदान में डटने के बाद वोटरों के मन में क्या चल रहा है, यह जानना जरूरी हो जाता है।
शुरू करते हैं इस सीट के सबसे ऊंचाई वाले इलाके वाले जनपद चमोली के लोगों से। जहां कई सवाल मुंह बाए खड़े हैं। मसलन, आखिर उनके लिए इस चुनाव में असल मुद्दा क्या है ? यहां बद्रीनाथ क्षेत्र का सबसे करीबी कस्बा जोशीमठ करीब पिछले एक साल से अधिक वक्त से भू धंसाव की कसक और परेशानी से जूझ रहा है। लेकिन लोगों की वाजिब मांग और समस्या का अब तक कितना समाधान हो पाया है? क्या ये वहां के मतदाताओं के लिए चुनावी मुद्दे का हिस्सा है? इस पर यहां के वाशिंदे समीर डिमरी कहते हैं कि जोशीमठ भू धंसाव का मामला बीते एक साल पहले से राज्य से लेकर देश और अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक उछला था। यहां करीब 1200 घरों में लगभग-दो या तीन हजार जनसंख्या रहती है। वह मुख्य रूप से यही सोचकर वोट करेगी कि जोशीमठ की इस समस्या के लिए सरकार ने क्या कदम उठाएं हैं।
वहीं समीर कहते हैं कि पौड़ी संसदीय सीट के वोटरों के लिए जो मुख्य मुद्दा होने वाला है, वह ये है कि क्या यहां की नीति होगी? क्या यहां के लोगों के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण होगा? सरकार ने पिछले अपने दो कार्यकाल में यहाँ के विकास के लिए क्या कदम उठाए, तो उस तरफ लोगों का झुकाव ज्यादा रहेगा। प्रदेश स्तर की बात करें तो प्रदेश स्तर पर मैं मुख्य रूप से कहूंगा कि उत्तराखंड एक पर्यटन राज्य के रूप में रहा है। लेकिन यहाँ पर्यटन का विस्तार नहीं हो पाया है। दोनों सीटों पर दो दिग्गज हैं दोनों में से कोई किसी से कम नहीं हैं। गोदियाल बेहद सरल और सौम्य नेता हैं। बीजेपी का अभी तक इस सीट पर दबदबा रहा है, लेकिन गणेश गोदियाल के चुनाव में उतरने से यह मुकाबला टक्कर वाला होने वाला है।
मेरा नाम शुभम रावत है, यहां मुख्य मुद्दा ये है कि जोशीमठ को बचाने के लिए सरकार को कोई भी कदम उठाने से नहीं हिचकना चाहिए। यहां भूधंसाव के ट्रीटमेंट और लोगों के पुनर्वास का मुदा इस चुनाव में हावी रहने वाला है। वे कहते हैं कि ये बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि देश और राज्य के लिए जोशीमठ का क्या महत्व है ? फिर वह चाहे सांस्कृतिक पहचान हो, सामरिक महत्व हो या यहाँ का आध्यात्मिक महत्व , पर्यटन के लिहाज से भी जोशीमठ कई मायनों में देश और राज्य की विशेष धरोहर है, इसलिए इसे बचाने के लिए हर मुमकिन प्रयास होने चाहिए। ऐसे में जोशीमठ को बचाया जाना केवल यहां के लोगों के लिए नहीं बल्कि विश्वभर के लिए जरूरी है। शुभम महंगाई के मुद्दे को तो बड़ा नहीं मानते, हैं इसके पीछे उनके अपने तर्क हैं, वहीं देश में डिजिटल क्रांति से जो फायदा हुआ, उसे प्रमुखता से वे सामने रखते हैं। साथ ही देश में हो रहे इन्फ्रास्टक्चर डेवलपमेंट की तारीफ करते हैं।
जोशीमठ के अमित सती कहते हैं कि जोशीमठ भू धसाव का मुद्दा उनके लिए बहुत बड़ा है। यहां इस बात की बड़ी जोर से चर्चा है कि लोगों को यहां से कहीं और भेजे जाने की बात हो रही है। लोग इस बात से बहुत भयभीत हैं। सती कहते हैं कि सरकार कह रही है कि यहाँ के करीब 12 सौ घरों को खाली कराया जाएगा, लेकिन जो लोग इन घरों में रह रहे हैं उनके रहने की क्या व्यवस्था होगी, वे कहाँ जाएंगे, इस पर कोई बात सरकार की तरफ से अभी तक साफ नहीं हो पाई है। जोशीमठ के लोग कहीं नहीं जाना चाहते हैं, वे चाहते हैं कि सरकार जोशीमठ का ट्रीटमेंट करे। यह मुद्दा लोक सभा चुनाव में बहुत जरूरी तौर पर सामने आने वाला है। वहीं जोशीमठ पर्यटन शहर है औली की सड़क की हालत बेहद ख़राब है। इससे पर्यटन व्यवसाय को नुकसान हो रहा है। इसके अलावा यह क्षेत्र देश का सीमावर्ती इलाका है। हम देश के पहले प्रहरी के तौर पर यहां रहते आए हैं। यहाँ के मौसम यहाँ के हालात से सबसे ज्यादा वाकिफ स्थानीय लोग रहते हैं, ऐसे में हमें ही यहाँ से हटाने की बात हो रही है, तो फिर सोचा जा सकता है कि कैसे देश सुरक्षित रह सकता है। इसलिए कहा जा सकता है कि यहाँ इस वक्त जोशीमठ को बचाने और यहाँ के लोगों को कहीं अन्यत्र शिफ्ट ना करने की मांग सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है।
पुष्कर सिंह फर्स्वाण का कहना है कि यहाँ भू धसाव के प्रकरण पर सरकार अपनी मनसा से अभी तक स्थानीय लोगों को वाकिफ नहीं करा पाई है। लोग खासी दुविधा और डर में जी रहे हैं। जोशीमठ वार्ड नंबर एक के रहने वाले लक्ष्मीलाल कहते हैं कि जोशीमठ के वोटरों के लिए इस वक्त सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा यहाँ पैदा हुए आपदा के हालत हैं। सरकार की क्या नीति इस शहर को लेकर है, किसी को कुछ पता नहीं है। ऐसे में लोग डरे हुए हैं। यहाँ लोग अपने पशु धन के साथ रहते हैं। ऐसे में वे कहाँ जाएंगे। इसके अलावा महंगाई बहुत बड़ा मुद्दा है। राशन, खाद्य तेल, फल, सब्जियां बहुत महंगी हो गयी हैं। इसके अलावा अंकिता भंडारी मर्डर केस बड़ा मुद्दा है। वे कहते हैं कि महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने पौड़ी में मीडिया के पूछे जाने पर इस गंभीर मुद्दे पर एक शब्द नहीं कहा, जो बेहद अपमान जनक लगता है। अनिल बलूनी ने जोशीमठ के मुद्दे पर आज तक कोई बात साफ तौर पर नहीं कही, तो ये तमाम मुद्दे हैं, जो इस चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे।
वहीं जोशीमठ के युवा वैभव सकलानी आपनी बात सीधे बेरोजगारी जैसे बड़े मुद्दे के साथ शुरू करते हैं। इसके साथ वे उत्तराखंड के चर्चित भर्ती घोटाले का जिक्र करना नहीं भूलते। वहीं जोशीमठ में स्वास्थ्य सुविधाओं के हालत बयाँ करते हुए कहते हैं कि हॉस्पिटल की हालत बेहद ख़राब है, मामूली तबियत ख़राब होने पार लोगों को यहाँ से गोपेश्वर और श्रीनगर रेफर कर दिया जाता है। यहाँ के पीजी कॉलेज में शिक्षक नहीं हैं। इसके अलावा अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने के लिए जिस तरह से सरकार ने पहले प्रतिबद्धता दिखाई, लेकिन अपनी बेटी को इन्साफ दिलाने के लिए आज उसके बूढ़े मां बाप धरने पर बैठे हुए हैं। जोशीमठ की जमीन और जंगल को बचाने के लिए ऐसे कर्मठ प्रत्याशी की जरूरत है, जो इसका भविष्य सुरक्षित कर सके। बिना नाम लिए वे कहते हैं कि एक प्रत्याशी ऐसे हैं जिन्होंने आज से पहले जोशीमठ के बारे में कहीं कोई सक्रियता नहीं दिखाई है।
यह थी बीते एक सालों से आपदा के कारण सुर्खियों में रहे गढ़वाल लोकसभा सीट के जोशीमठ के मतदाताओं के मन की बात। कुल मिलाकर इस लोगसभा चुनाव में जोशीमठ भू धसाव का मुद्दा प्रमुखता से रहने वाला है। इसके अलावा महंगाई, बेरोजगारी और अंकिता भंडारी मर्डर केस के मुद्दों पर भी यहां के लोग राजनीतिक दलों को परखने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।