उत्तराखंड में कम हुआ मतदान, किस ओर इशारा कर रही है वोटरों की बेरूखी
Pen Point, Dehradun : लोकसभा चुनाव को लेकर बीते दिन 19 अप्रैल को उत्तराखंड समेत 21 राज्यों की 102 संसदीय सीटों पर मतदान हुआ लेकिन वोटिंग होने के बाद जो रुझान आये उसने सबको हैरान कर दिया। तमाम राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों की ओर से प्रचार प्रसार की तमाम कोशिशों और चुनाव आयोग के द्वारा मतदान जागरूगता अभियानों के बावजूद भी मतदाता अपने घरों से बहार नहीं निकले। उत्तराखंड की 5 लोकसभा सीटों पर सुबह 7 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक मतदान हुआ लेकिन चुनाव आयोग के द्वारा उपलब्ध करवाए गए आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में मतदाताओं की हिस्सेदारी में भारी गिरावट दर्ज की गयी है। .चुनाव आयोग के डाटा के अनुसार उत्तराखंड वोटिंग प्रतिशत के मामले में 19 वे नंबर पर रहा।
उत्तराखंड की लोकसभा सीटों पर 55 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे जिनको लेकर मैदानी इलाकों की तुलना में गढ़वाल और कुमाऊँ क्षेत्र मे वोटिंग प्रतिशत कम रहा। चुनाव आयोग के अनुसार उत्तराखंड में लगभग 55 प्रतिशत के आसपास वोटिगं हुई जो की 2019 के लोकसभा चुनावों में हुई 61.4 प्रतिशत वोटिंग की तुलना में 6.3 प्रतिशत काम रही।
अब बात करें अगर पांच लोकसभा क्षेत्रों की तो नैनीताल संसदीय सीट पर शाम तक 59.36ः मतदान हुआ, जबकि हरिद्वार में 59.01ः मतदान हुआ वहीं टिहरी में 51.01ः मतदान हुआ, जबकि पौड़ी गढ़वाल में 48.79ः और अल्मोडा में 44.53ः मतदान हुआ। इन आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा मतदान नैनीताल सीट पर देखा गया और सबसे काम मतदान अल्मोड़ा में दर्ज किया गया। राज्य में लगभग 83 लाख से ज्यादा केवल 35 लाख के आसपास ही मतदाताओं ने मतदान किया
मतदान से पहले चुनाव आयोग के द्वारा कई सारे जागरूगता अभियान भी चलाये गए थे और 2019 में हुए 61.88 प्रतिशत मतदान को लेकर आयोग ने उत्तराखंड में इस बार 75 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य रखा था लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद भी मतदाताओं की संख्या 60 प्रतिशत का लक्ष्य भी पूरा नहीं कर पाई जो एक चिंता का विषय है।
प्रदेश में सुबह 7 बजे से शुरू हुई वोटिंग प्रक्रिया को लेकर राजनैतक दल, उम्मीदवार, और चुनाव आयोग की टीम उत्साहित थे और मतदाताओं की भी अछि खासी संख्या देखि जा रही थी लेकिन 11 बजे के बाद ये संख्या धीरे धीरे कम होने लगी जिससे की उम्मीदवारों और राजनैतिक दलों की बैचनी और भी बढ़ गयी। वोटिंग का ये पैटर्न किस ओर इशारा कर रहा है, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी,,,,लेकिन वोटरों की उदासीनता से बड़े उलटफेर की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।