मौसम का मिजाज: विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी में बिछी बर्फ की चादर
Pen Point, Dehradun : उत्तराखंड में मौसम का मिजाज बदलने लगा है। जिसके चलते उच्च हिमालयी इलाकों में कई जगह बर्फ की चादर बिछ गई। खास तौर पर चमोली जनपद के की भ्यूंडार घाटी में विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी बर्फ से लकदक हो गई। अप्रैल माह के अंत में मौसम का ऐसा मिजाज देख कर लोग हैरान हैं। वहीं विशेषज्ञों के मुताबिक वेस्टर्न डिस्टरबेंस के सक्रिय होने के चलते यह स्थिति बनी है। बीते करीब 24 घंटों में हुई बर्फबारी के चलते फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन की एक लंबी दूरी की पैट्रोलिंग टीम दिक्कतों का सामना करते हुए घांघरिया बेस कैंप पहुंची। यह टीम शनिवार को विश्व धरोहर स्थल फूलो की घाटी राष्ट्रीय पार्क की गश्त पर निकली थी। टीम को ग्लेशियर प्वाइंट से भारी बर्फबारी का सामना करना पड़। पार्क प्रशासन के मुताबिक मौसम खुलने पर गश्ति दल दोबारा घाटी का पूरा जायजा लेकर गोविंद घाट रेंज मुख्यालय लौटेगा।
गौरतलब है कि लंबी दूरी की पैट्रोलिंग के बाद ही सर्दियों के दौरान हुए नुकसान और पैदल रास्तों की मरम्मत कराई जाती है। इसके अलावा ग्लेशियर काटकर रास्ता बहाल किया जाता है। पार्क प्रशासन की कोशिश है कि एक जून से पहले घाटी में पूरी तरह से संपर्क मार्ग दुरस्त हो सकें। जैव विविधता से भरे विश्व धरोहर फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क को एक जून को पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के लिये खोल दिया जाएगा।
इस अद्भूत प्राकृतिक धरोहर को ब्रिटिश पर्वतारोही और वनस्पति शास्त्री फ्रैंक स्मिथ ने सबसे पहले देखा था। कामेट पर्वतारोहण अभियान के दौरान वापसी में रास्ता भटकते हुए वह इस घाटी में जा पहुंचे थे। जैव विविधता से भरी फूलो की प्राकृतिक घाटी यह दुर्लभ अल्पाइन पुष्पों और बेशकीमती वनस्पतियों और दुर्लभ वन्य जीवन की विविधता के लिए जाना जाता है। विश्व धरोहर फूलों की घाटी एक समृद्ध विविधता वाला क्षेत्र, दुर्लभ और लुप्तप्राय वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास भी है। यहां एशियाई काले भालू, दुर्लभ स्नो लैपर्ड, कस्तूरी मृग, भूरे भालू, लाल लोमड़ी और नीली भेड़ पाई जाती हैं।
वही पक्षी जगत में हिमालयन मोनाल, दुर्लभ तीतर सहित अन्य उच्च हिमालई पक्षी भी पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर लुभाते हैं। ये फूलों की घाटी समुद्र तल से लगभग 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। वहीं पुष्पवती नदी के मध्य पसरा ये वियावान करीब 87.50 किमी में फैला हुआ है और लगभग 8 किमी लंबा और 2 किमी चौड़ा है। बड़ी बात ये है की नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान रिजर्व यूनेस्को के विश्व नेटवर्क में बायोस्फीयर रिजर्व का है। इस घाटी में पांच सौ से अधिक प्रजातियों के रंग-बिरंगे फूल अलग-अलग रंग के खिलते हैं, जो यहां आने वाले पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को खूब लुभाते हैं। वही वर्ष 1982 में फूलों की घाटी को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। अब यह एक विश्व धरोहर स्थल है।
जुलाई से मध्य अगस्त तक घाटी में फूलो के दीदार करने का सबसे बडिया समय है जब घाटी के सबसे खूबसूरत प्वाइंट रिवर बैल्ट एरिया में गुलाबी पुष्प इपलोवियम से पूरी घाटी गुलाबी रंग में रंगी नजर आती है,सितंबर वहीं शीतकाल में यह राष्ट्रीय पार्क पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाता है, दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों की वन्य जीव तस्करों से सुरक्षा बावत यहां विंटर में घांघरिया से आगे जाने की अनुमति नही होती है शीतकाल में यहां सिर्फ पार्क कर्मी ही लगातार गश्त करते रहते है