हिंदी फिल्मों के पहले सुपर स्टार कौन थे, जन्मदिन पर विशेष
PEN POINT: मनोरंजन की बात हो और हिन्दी फ़िल्में उसमें शामिल न हों ऐसा संभव नहीं है। आज जो चमचमाता हुआ सिनेमा और मनोरंजन के जाने के कितने माध्यम और कितने अभिनेता कलाकार हमारे सामने मौजूद हैं। लेकिन भारतीय सिनेमा और फिल्मों की बात करें, तो इसके लिए हमें काफी पीछे जाना होगा। इस कड़ी में आप अकसर सुनते,पढ़ते और देखते होंगे सुपर स्टार दिलीप कुमार, राजेंद्र कुमार, राजेश खन्ना, सुपर स्टार अमिताभ बच्चन इसके अलावा आमिर, शाहरुख, सलमान, अक्षय और जाने कौन-कौन नाम इसमें शामिल हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय फिल्मों में सबसे ऊपर सुमार हिन्दी फिल्मोद्योग के सबसे पहले सुपर स्टार कौन थे ! जी हां हम बात कर रहे हैं कुन्दन लाल सहगल की।
आज 11 अप्रैल है और आज ही हिन्दी सिनेमा के पहले सुपर स्टार माने जाने वाले अभिनेता कुन्दन लाल सहगल का जन्म दिन है। कुन्दन का जन्म जम्मू में हुआ था। उनके पिता अमरचंद सहगल जम्मू और कश्मीर के राजा की अदालत में तहसीलदार के पद पर तैनता थे। उनकी मां केसरबाई घरेलू महिला थी। उन्हें संगीत की बहुत शौकीन थी। वह अपने बेटे को भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित कार्यक्रमों में ले जाया करती थी। इन कार्यक्रमों में पारंपरिक शास्त्रीय शैली में भजन, कीर्तन और शबद गाए जाते थे। कुन्दन अपने माता-पिता की चौथी संतान थे, उनकी औपचारिक शिक्षा संक्षिप्त रही। बाल कलाकार के तौर पर उन्होंने कभी-कभी जम्मू के रामलीला में सीता का अभिनय किया था।
स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने रेलवे टाइमकीपर के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। बाद में, उन्होंने रेमिंगटन टाइपराइटर कंपनी के लिए टाइपराइटर सेल्समैन के रूप में भी अपनी सेवाएं दी। नौकरी में रहते हुए इस दौरान उन्हें देश के अलग-अलग जगहों पर घूमने का मौका मिला। इसी दौरान उनकी लाहौर में अनारकली बाजार के मेहरचंद जैन नाम के व्यापारी के साथ दोस्ती हो गई। इसके कुछ समय बाद मेहरचंद और कुंदन कलकत्ता चले गए। सहगल वहाँ मेहफिल-ए-मुशायरा से जुड़ गए। धीरे-धीरे वे एक उभरते गायक के रूप में सामने आने लगे। मेहरचंद ने उनकी प्रतिभा को निखारने में उनकी पूरी मदद की। यही वजह है कि अपने स्टारडम पर पहुंचने के बाद भी सहगल अक्सर कहा करते थे कि वे जो कुछ भी हैं, मेहरचंद के प्रोत्साहन और शुरुआती समर्थन की वजह से हैं। उन्होंने थोड़े समय के लिए होटल मैनेजर के रूप में भी काम किया। इस बीच गायन के लिए उनका जुनून जारी रहा और समय बीतने के साथ उसमें और ज्यादा निखार आता गया।
कैसे आए कलकत्ता :
1930 के दशक के शुरूआती दौर में, शास्त्रीय संगीतकार और संगीत निर्देशक हरिश्चंद्र बाली सहगल को कलकत्ता लाए और उन्हें आरसी बोराल से मिलाया। आरसी बोराल ने तुरंत उनकी प्रतिभा को पहचान लिया और सहगल को बीएन सरकार के कलकत्ता स्थित फिल्म स्टूडियो न्यू थियेटर्स में 200 रुपये महीने में काम पर रख लिया। यहां वे पंकज मलिक, केसी डे और पहाड़ी सान्याल जैसे समकालीन लोगों से मिले। इसके बाद कुन्दन लाल सहगल ने पीछे मुड़कर नही देखा और वे अपने दौर के कालजई कलाकार बन गए।
एक बार फिर बता दें कि आज हम उन्हें इसीलिए याद कर रहे हैं कि क्योंकि भारतीय सिनेमा के इस ऐतिहासिक सुपर स्टार अभिनेता का जन्म दिन आज की तारीख में ही बीती सदी यानि 1904 में हुआ था। सहगल न केवल अपने दौर के स्टार अभिनेता ही थे, बल्कि एक सफल गायक अभिनेता के तौर पर भी दर्शकों के सिर चढ़कर बोलते थे। उनकी गायकी का अंदाज बेहद पसंद किया जाता था। उस दौर में मुख्य नायक-नायिका अभिनेताओं के गीत उनके खुद गाने का चलन था। तब हिंदी फिल्म उद्योग कोलकाता में केंद्रित था।