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चारधाम यात्रा : रेकार्ड यात्रियों के उमड़ने के बावजूद भी क्यों नाराज हैं पर्यटन व्यवसायी

– गंगोत्री व यमुनोत्री धाम में तीन हफ्तों में रेकार्ड तीर्थयात्रियों के आने के बावजूद भी होटल एसोसिएशन, स्थानीय पर्यटन व्यवसायी, टेक्सी यूनियन सड़क पर उतर आई है
Pen Point, Dehradun : जब मैं यह खबर लिख रहा हूं तब तक चारधाम यात्रा को शुरू हुए तीन हफ्ते हो चुके हैं और उत्तरकाशी स्थित गंगोत्री यमुनोत्री धाम में ही पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या पांच लाख पार कर चुकी है। यानि दोनों धामांे में हर दिन औसतन 23 हजार तीर्थयात्री पहुंचे जो चारधाम यात्रा में अब तक का रेकार्ड है। यूं तो इतनी बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों के पहुंचने से चारधाम यात्रा से जुड़े व्यवसायियों के चेहरे पर रौनक होनी थी लेकिन यात्रा से जुड़े व्यवसायों में जुड़े स्थानीय लोगों में खासी नाराजगी पसरी हुई है। आलम यह है कि शुक्रवार को गंगोत्री धाम के यात्रा पड़ावों पर होटल व्यवसासियों और वाहन संचालकों ने बंद का एलान किया हालांकि, गुरूवार देर रात जिलाधिकारी उत्तरकाशी के साथ हुई वार्ता के बाद शुक्रवार को यह प्रस्तावित बंद रद तो कर दिया गया लेकिन व्यवस्थाओं में जल्द सुधार न होने पर फिर से बंद की चेतावनी दी। हर दिन रेकार्ड की संख्या में पहुंच रहे यात्रियों के बावजूद आखिर पर्यटन व्यवसासियों में निराशा और नाराजगी क्यों है। आखिर क्यों यात्रा संचालन के लिए स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार के नए नए प्रयोग ने चारधाम की यात्रा को आसान बनाने की बजाए मुश्किल बना दिया है।
गंगोत्री राष्ट्रीय मार्ग पर गंगोत्री की ओर जाते हुए उत्तरकाशी से 40 किमी की दूरी पर स्थित गर्मकुंड में बीते सालों तक तीर्थयात्रियों की खूब चहल पहल हुआ करती थी। गंगोत्री आने जाने वाले तीर्थयात्री यहां जरूर रूकते, गर्म पानी के इस कुंड में स्नान करते। करीब सौ मीटर लंबे इस बाजार में दर्जन भर से ज्यादा खाने पीने की दुकानें, होटल हैं। लिहाजा, इन दुकानों का संचालन करने वाले स्थानीय ग्रामीणों को भी यात्रा सीजन शुरू होने का बेसब्री से इंतजार रहता ताकि यात्रा सीजन के दौरान वह पूरे साल भर के लिए घर परिवार चलाने लायक आजीविका जुटा सके। लेकिन, गंगोत्री यात्रा को शुरू हुए तीन सप्ताह से अधिक का समय हो चुका है और गंगोत्री धाम में देश विदेश से ढाई लाख से अधिक तीर्थयात्री पहुंच चुके हैं लेकिन गंगनानी में पसरा सन्नाटा अभी भी नहीं टूटा है। चारधाम यात्रा को लेकर राज्य सरकार और जिला प्रशासन के प्रयोग यात्रा मार्ग पर छोटे छोटे पड़ावों पर व्यवसाय करने वाले स्थानीय निवासियों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। गंगनानी में होटल चलाने वाले मनवीर सिंह कहते हैं कि तीन हफ्ते हो गए हैं लेकिन इन तीन हफ्तों में तीस यात्री भी उनके होटल में खाना खाने नहीं पहुंचे, पुलिस और प्रशासन गंगनानी और उसके आसपास यात्री वाहनों को रूकने नहीं दे रहे हैं जिस कारण होटल बंद करने की नौबत आ गई है। वह कहते हैं कि गर्मकुंड का गंगोत्री यात्रा में धार्मिक महत्व भी है लेकिन इसके बावजूद प्रशासन की लापरवाही से तीर्थयात्रियों को यहां रूकने नहीं दिया जा रहा है। यूं तो इन दिनों गंगनानी में खूब चहल पहल होनी थी लेकिन यहां पसरा सन्नाटा और दुकानों में खाली कुर्सी मेज यात्रा सीजन को लेकर प्रशासन के दावों और तैयारियों की पोल खोल रही है। ऐसा ही हाल गंगोत्री यात्रा के प्रमुख पड़ाव और सीमांत तहसील भटवाड़ी मुख्यालय की भी है। कभी यह इलाका यात्रा सीजन के दौरान लंबे जाम और तीर्थयात्रियों के ठहरने खाने पीने की महत्वपूर्ण जगह हुआ करती थी लेकिन इस बार यहां यात्रियों के वाहनों को एक मिनट के लिए भी ठहरने नहीं दिया जा रहा है। प्रशासन का दावा है कि यात्रा मार्ग पर जाम न लगे इस लिए यह व्यवस्था बनाई गई है लेकिन यात्रा मार्गों पर आजीविका कमाने के लिए यात्रा सीजन का इंतजार कर रहे स्थानीय व्यवसायियों के लिए यह मुसीबत का सबब बन गया है। गंगोत्री हाईवे पर जाम न लगे और यात्रियों की आवाजाही चलती रहे इसके लिए जिला प्रशासन ने बीतों दिनों गेट सिस्टम का प्रयोग किया। गेट सिस्टम का असर यह हुआ कि यात्रा पर निकले यात्रियों का पूरा यात्रा प्लान ही गड़बड़ा गया लिहाजा गेट पर घंटों इंतजार के बाद यात्रियों को धाम तक पहुंचना पड़ा है जिस कारण वह न तो स्थानीय पड़ावों पर रूक रहे हैं न ही स्थानीय पर्यटन व्यवसायियों के लिए फायदेमंद साबित हो रहे हैं। वहीं, सरकार ने बीते दिनों से सिर्फ ऑनलाइन पंजीकरण वाले यात्रियों को ही यात्रा की अनुमति दी है लिहाजा ऐसे हजारों तीर्थयात्री ऋषिकेश में ही फंसे हैं जो ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करवा पाए थे और आफलाइन पंजीकरण के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। यात्रियों की संख्या को सीमित करने के बाद ज्यादातर होटल खाली हैं तो इस सीजन का इंतजार करने वाली टेक्सी यूनियन की टेक्सियां भी चारधाम यात्रा के लिए सवारियों के इंतजार में खड़ी है। यात्रा शुरू होने से लेकर अब तक लगातार होटल एसोसिएशन स्थानीय टेक्सी यूनियन, स्थानीय व्यवसायी यात्रा तैयारियों को लेकर लगातार सरकार और प्रशासन के खिलाफ लामबंद होते रहे हैं। होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष और उत्तरकाशी में होटल संचालित करने वाले शैलेंद्र मटूड़ा कहते हैं कि ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद कर लाखों तीर्थयात्रियों को चारधाम यात्रा करने से ऋषिकेश में रोक कर परेशान किया जा रहा है जिससे यात्री बिना यात्रा किए ही वापिस घरों में लौट रहे हैं, होटलों में बुकिंग नहीं मिल रही है, स्थानीय टेक्सी चालकों के वाहनों को भी सवारियां नहीं मिल पा रही है ऐसे में जैसी उम्मीद थी उस तरह से चारधाम यात्रा इससे जुड़े व्यवसायियों के लिए संचालित नहीं हो रही है। वह कहते हैं कि बैंकों से ऋण लेकर यात्रा पड़ावों पर बड़ा निवेश कर स्थानीय लोग होटल, ढाबे, वाहन संचालित करते हैं ताकि यात्रा सीजन में इतनी कमाई हो सके कि ऋण का ब्याज का भुगतान भी हो सके और परिवार की रोजी रोटी भी चल सके लेकिन इस बार यात्रा व्यवस्थाओं में जिस तरह का कुप्रबंधन देखा जा रहा है उसने सिर्फ रोजगार को ही बर्बाद नहीं किया है बल्कि देश दुनिया से आ रहे तीर्थयात्रियों के बीच उत्तराखंड की एक गलत छवि भी पेश की है। शुक्रवार को होटल एसोसिएशन ने गंगोत्री और यमुनोत्री मार्ग पर स्थित होटल ढाबों और टेक्सी यूनियन ने भी बंद का एलान किया, गुरूवार को पूरे दिन भर होटल एसोसिएशन ने शुक्रवार को सभी से बंद में शामिल होने का खूब प्रचार प्रसार किया। शासन तक खबर पहुंची तो यात्रा सुचारू चलती रही इसके लिए देर रात तक होटल एसोसिएशन से वार्ता चलती रही। आखिरकार आधी रात को जिला प्रशासन नाराज होटल व्यवसायियों को मनाने में सफल रहा और शुक्रवार को होने वाले प्रस्तावित बंद को फिलहाल टाल दिया गया। लेकिन, जिला प्रशासन के मान मनोव्वल के बाद भले ही शुक्रवार को बंद का फैसला टाल दिया गया हो लेकिन यात्रा व्यवस्थाओं को फैली नाराजगी फिलहाल खत्म होती नहीं दिख रही है।

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