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कुछ अलग : 1 जनवरी को क्यों मनाते हैं नया साल

Pen Point, Dehradun : 31 दिसंबर 2024 को रात 11 बजकर 59 मिनट के बाद जैसे ही 12 बजे पूरी दुनिया नए साल के जश्न में डूब गई। सिर्फ महीना ही नहीं बदल रहा था बल्कि पूरा कैलेंडर बदल रहा था। इसके साथ ही दुनिया ने 2025 में प्रवेश लिया। भारत में ज्यादातर लोग एक दूसरे को ‘आंग्ल भाषा के नव वर्ष की शुभकामनाएं’ देने के साथ यह बताने का प्रयास भी कर रहे हैं कि यह भारत का नया साल नहीं बल्कि अंग्रेजों द्वारा इजाद किए गए कैलेंडर के मुताबिक नया साल है। बीते सालों में नए साल के मौके पर यह प्रचलन काफी बढ़ रहा है जहां हिंदू धर्म को मानने वाले इसे ‘आंग्ल नव वर्ष’ यानी अंग्रेजी नया साल कहकर संबोधित कर रहे हैं। भारतीय संस्कृति के हिसाब से नया साल चैत्र महीने की प्रतिपदा को यानि अप्रैल महीने से शुरू होता है। लेकिन, सवाल यह है कि 1 जनवरी को ही क्यों पूरी दुनिया में नया साल मनाया जाता है। यह भी रौचक तथ्य है कि 1 जनवरी से नया साल मनाने का इतिहास भी ज्यादा पुराना नहीं है, करीब 600 साल पहले तक 1 जनवरी को नया साल नहीं मनाया जाता था। उससे पहले तक वसंत के आगमन के साथ ही नए साल को मनाने की प्रथा थी।
45 ईसा पूर्व रोमन साम्राज्य में कैलेंडर का चलन हुआ करता था। रोम के तत्कालीन राजा नूमा पोंपिलुस के समय रोमन कैलेंडर में 10 महीने होते थे। साल में 310 दिन और सप्ताह में 8 दिन। कुछ समय बाद नूमा ने कैलेंडर में बदलाव कर दिए और जनवरी को कैलेंडर का पहला महीना माना। 1 जनवरी को नया साल मनाने का चलन 1582 ई. के ग्रेगेरियन कैलेंडर की शुरुआत के बाद हुआ। 1582 से पहले नया साल मार्च से वसंत ऋतु पर शुरू होता था लेकिन नूमा के फैसले के बाद जनवरी से साल की शुरुआत होने लगी। दरअसल मार्च महीने का नाम रोमन देवता मार्स के नाम पर रखा गया था, जो युद्ध के देवता थे। वहीं जनवरी रोमन देवता जेनस के नाम से लिया गया है। जिनके दो मुंह थे आगे वाला मुंह शुरुआत और पीछे वाला अंत माना जाता था। नूमा ने साल के आरंभ के लिए शुरुआत के देवता जेनस का चयन किया और ऐसे जनवरी साल का पहला महीना हो गया।
वहीं, मौजूदा ग्रेगोरियन कैलेंडर के बारे में कहा जाता है कि जीसस क्राइस्ट के जन्म से 46 साल पहले रोमन के राजा जूलियस सीजर ने नई गणनाओं के आधार पर नया कैलेंडर का निर्माण किया। इसका नाम गसीजर ने ही 1 जनवरी से नए साल के शुरुआत की घोषणा की। उसमें माना गया कि धरती 365 दिन, 6 घंटे सूर्य की परिक्रमा करती है। ऐसे जब जनवरी और फरवरी माह को जोड़ गया तो सूर्य की गणना के साथ इसका तालमेल नहीं बैठा इसके बाद खगोलविदों ने इस पर गहन अध्यन किया। किसी भी कैलेंडर को सूर्य चक्र या चंद्र चक्र की गणना पर आधारित बनाया जाता है। चंद्र चक्र पर बनने वाले कैलेंडर में 354 दिन होते हैं जैसे कि मौजूदा समय में इस्लाम में कैलेंडर चंद्र चक्र पर आधारित होता है। वहीं, सूर्य चक्र पर बनने वाले कैलेंडर में 365 दिन होते हैं। ग्रिगोरियन कैलेंडर सूर्य चक्र पर आधारित है. अधिकतर देशों में ग्रेगोरियन कैलेंडर का ही इस्तेमाल किया जाता है।
1 जनवरी को नया साल मनाने की पीछे की कहानी यह है वैसे दुनिया भर में अलग अलग देशों, संस्कृतियों में अपने अपने नए साल मनाने के तरीके और तिथियां है जैसे भारत में हिंदू धर्म में ही चैत्र प्रतिपदा को नया वर्ष मनाया जाता है।

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