इस बार चुनाव में भाजपा का आईटी सेल कमजोर क्यों नजर आ रहा है ?
Pen Point, Dehradun : इस लोकसभा चुनाव में भाजपा का आईटी सेल कमजोर नजर आ रहा है। उत्तराखण्ड में हुए चुनाव में यह बात साफ तौर पर नजर आई। जिस आईटी सेल के दम पर पिछले दस सालों में भाजपा ने मजबूती से अपना रंग जमाया था, इस बार वह फीका पड़ गया है। जबकि कांग्रेस का आईटी सेल ज्यादा चुस्त नजर आ रहा है। सोशल मीडिया की ताकत का इस्तेमला करते हुए पार्टी के चुनाव कैम्पेन को चलाना ही आईटी सेल का काम होता है। इसके लिये विभिन्न मुद्दों, घटनाओं और यहां तक कि इतिहास को अपनी पार्टी के हितों को ध्यान में रखते हुए पेश किया जाता है। हालांकि इस सामग्री पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं होता, इसीलिये अधिकांश सामग्री भ्रामक और तथ्यों से परे या फिर तोड़ मरोड़ कर परोसी जाती है। किसी की जय जयकार करवाने के साथ ही किसी की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिये भी ऐसी सामग्री तैयार की जाती है।
किसी भी तरीके से लोगों को प्रभावित करने की इस राजनीतिक होड़ में भाजपा के आईटी सेल को काफी मजबूत माना जाता रहा है। लेकिन इस बार सोशल मीडिया पर इसका वैसा कैम्पेन नजर नहीं आ रहा जैसा पिछले चुनावों तक था। भाजपा के स्टार प्रचारकों के मंचों से भाषण के रील्स भी ठीक से नहीं परोसे जा रहे हैं। वहीं अब तक भाजपाई आईटी सेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर ऐसी कोई भी सामग्री नहीं परोसी है जिसका लोगों में बड़ा असर दिखे। जबकि इससे पहले हर चुनाव में पार्टी के आईटी सेल ने बड़ी मुस्तैदी से अपने नेताओं का महिमामंडन किया था।
दूसरी ओर कांग्रेस के आईटी सेल पर नजर डालें तो वह ज्यादा मजबूत नजर आ रहा हैं। इसके जरिये राहुल गांधी की एक खास छवि कामयाबी से गढ़ दी गई है। जिसमें राहुल गांधी एक सामाजिक योद्धा और न्यायप्रिय नेता के तौर पर स्थापित किया जा रहा है। गौरतलब है कि राहुल गांधी को लेकर भाजपा ने जिस तरह का नैरेटिव गढ़ा था वह अब काफी हद तक खत्म हो गया है। ट्विटर एक्स, व्हाट्सऐप, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर कांग्रेसी आईटी सेल की सक्रियता काफी बढ़ी हुई है। यही नहीं भ्रामक तथ्यों को पेश करने में भी वह पीछे नहीं है। बीते दिनों एक दैनिक अखबार के पहले पन्ने पर फर्जी एग्जिट पोल चस्पा कर सोशल मीडिया पर वायरल करवा दिया गया था। जिसमें इस चुनाव में इंडिया गंठबंधन की जीत का दावा किया गया था।
गौरलब है कि भाजपा के सोशल मीडिया का जिम्मा अमित मालवीय के पास है। सोशल मीडिया से भाजपा को मिली सफलता में उनका बड़ा योगदान माना जाता है। इस बार लोकसभा चुनाव में उनका नाम भी दावेदारों में आया था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल सका। सवाल उठता है कि क्या सोशल मीडिया पर नजर आ रही कमजोरी के पीछै कहीं यही वजह तो नहीं है।