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यमुनोत्री: दो यात्री हुए बेजान, कब थमेगा घुटन भरी मौतों का सिलसिला ?

Pen Point, Dehradun : कपाट खुलने के 24 घंटे के अंदर ही यमुनोत्री धाम में हार्ट अटैक से दो श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। जिनमें मध्यप्रदेश के सागर जिले से 71 वर्षीय रामगोपाल और उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की 69 वर्षीय विमला देवी शामिल हैं। यमुनोत्री धाम में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, बल्कि हर साल यहां बड़ी तादाद में यहां श्रद्धालुओं के दिल की धड़कन थम जाती है। पिछले साल पूरे यात्रा सीजन में यमुनोत्री धाम में 30 लोगों की दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई थी। बीते कई सालों से यह सिलसिला चला आ रहा है। इसके बावजूद इन मौतों को रोकथाम के ठोस उपाय नजर नहीं आ रहे हैं।

दरअसल, यमुनोत्री धाम के लिये जानकीचट्टी तक ही सड़क मार्ग है। उसके बाद पांच किलोमीटर की पैदल दूरी संकरे घाटी से होकर तय करनी पड़ती है। इस रास्ते से ही पैदल यात्री, डंडी कंडी, घोड़ा, खच्चर वाले भी गुजरते हैं। यात्रा सीजन के शुरूआती एक महीने में यहां इतनी भीड़ होती है कि पांच किमी के लगभग पूरे रास्ता इंसानों से भरा रहता है। जिनमें दर्शन कर वापस आने वाले और दर्शनों के लिये धाम में जाने वाले लोग भी शामिल रहते हैं। लिहाजा श्रद्धालु किसी तरह एक दूसरे को धकियाते हुए आगे बढ़ते हैं। धाम में घाटी और संकरी हो जाती है। कोई खुली जगह ना होने के कारण मंदिर परिसर और उसके आस पास भारी जनदबाव रहता है, जिससे कमजोर और बुजुर्ग लोगों का दम घुटने की संभावना बढ़ जाती है।

खास बात ये है कि वर्षों से चला आ रहा मौतों का यह सिलसिले को राज्य सरकार ने अब तक गंभीरता से नहीं लिया है। हालांकि जानकीचट्टी और यमुनोत्री धाम में डॉक्टरों, जीवन रक्षक दवाओं और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं का इंतजाम जरूर किया जाता है, लेकिन श्रद्धालुओं की बेकाबू होती भीड़ के प्रबंधन का कोई इंतजाम नहीं नजर आते हैं। स्थानीय होटल व्यवसायी अरविंद रावत बताते हैं कि यमुनोत्री धाम के लिये वैकल्पिक पैदल मार्ग, आराम करने के लिये खुले स्थान जैसे कामों की जरूरत है, लेकिन इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है, यही वजह है कि एक ही पैदल रास्ते पर भारी भीड़ हो जाती है।

यमुना घाटी प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुनील थपलियाल के अनुसार बुजुर्ग तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य परीक्षण के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए, जिन्हें सांस और दिल संबंधी परेशानी हों उन लोगों की यात्रा को लेकर कठोर फैसला लेना होगा तभी मौतों के इस सिलसिले को रोका जा सकता है, इसके अलावा रोपवे सही यमुनोत्री तक पहुंचने और वापसी के लिये आसान तरीके विकसित करने से इस समस्या का समाधान हो सकता है।

दूसरी ओर, इस बार कपाट खुलने के साथ ही यात्रियों की भीड़ बेकाबू होती दिख रही है। यमुनोत्री धाम में हालात कैसे हैं वह तस्वीरों में देखे जा सकते हैं। वही केदारनाथ धाम में कपाट खुलने से एक दिन पहले दस हजार लोग पहुंच चुके थे, उसके बाद यह तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में इतनी ज्यादा मानवीय आवाजाही को लेकर पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोग चिंता भी जताने लगे हैं।

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