तो 2027 के रण में 24 सीटें हो जाएंगी महिलाओं के लिए आरक्षित
– उत्तराखंड विधानसभा को लंबे समय से थी महिलाओं के प्रतिनिधित्व बढ़ाने की जरूरत, अब महिला आरक्षण बिल ने कानून की शक्ल ली तो राज्य में 24 सीटें हो जाएंगी महिलाओं के लिए आरक्षित
– पहले विधानसभा से लेकर 2017 विधानसभा तक 7 फीसदी से अधिक नहीं मिल सका महिलाओं को विधानसभा में प्रतिनिधित्व, इस बार मिला है 15 फीसदी प्रतिनिधित्व
PEN POINT, DEHRADUN : महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का बिल बुधवार को लोकसभा में पेश होगा। भाजपा दोनों सदनों में अपने बहुमत से अगर इस बिल को कानून की शक्ल देने में सफल रही तो उत्तराखंड विधानसभा में भी 2027 की तस्वीर बदली हुई नजर आएगी। 2027 के विधानसभा चुनाव में राज्य की 70 सीटों में से करीब 24 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। अब तक राज्य की आधी आबादी को विधानसभा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका है। ऐसे में उम्मीद है कि इस बिल के बाद महिलाओं का प्रतिनिधित्व विधानसभा में बढ़ जाएगा।
लंबे समय से लटके महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण के बिल को नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद में पेश करने का फैसला लिया है। सोमवार देर शाम कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे बुधवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा और गुरूवार को राज्यसभा। भाजपा को दोनों सदनों में बहुमत है तो ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि इस विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल दोनों सदनों से पास होकर कानून की शक्ल ले लेगा और लोक सभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित हो जाएंगी। यह मांग लंबे समय से की जा रही थी कि महिलाओं को विधानसभा, लोकसभा में 33 फीसदी आरक्षण दिया जाए जिससे महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल सके। इस बिल को कानून की शक्ल मिलने के बाद उत्तराखंड राज्य में भी अगले विधानसभा चुनाव में महिलाओं के एक तिहाई सीटें आरक्षित हो जाएंगी। फिलहाल राज्य में किसी भी विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 से 15 फीसदी के बीच ही रहा है। राज्य में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में बढ़ोत्तरी के पीछे राजनीतिक दलों का विधायकों के निधन के बाद सहानुभूति बटोरने के लिए उनके स्थान पर उनकी पत्नी को टिकट देने का प्रचलन भी कारक है। लोकसभा के दोनों सदनों में वर्तमान में महिलाओं की भागीदारी महज 13 फीसद है। लोकसभा की 542 सीटों में से 78 सीटों पर महिला सांसद है जबकि राज्यसभा की 224 सदस्यों में से 24 महिला सदस्य है। देश की आधी आबादी की संसद में हिस्सेदारी बेहद निराशाजनक है। ऐसे में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए महिला आरक्षण बिल के बूते प्रतिनिधित्व की इस असमानता को पाटने की उम्मीद जताई जा रही है।
मौजूदा उत्तराखंड विधानसभा की 70 सीटों में से 9 विधायक महिला है, 2022 विधानसभा में चुनाव में 8 विधायक चुनी गई थी जबकि हाल ही में कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन के बाद खाली हुई बागेश्वर विधानसभा सीट पर उनकी पत्नी भाजपा के टिकट से जीतकर विधानसभा पहुंची। हालांकि, उत्तराखंड में पहली बार महिलाओं का प्रतिनिधित्व 9 सदस्यों तक पहुंचा है। इससे पहले राज्य की विधानसभाओं में महिला सदस्यों की संख्या 5 से ज्यादा नहीं रही। यानि, इस विधानसभा से पूर्व महिलाओं को राज्य में 10 फीसदी तक भी प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका है। 70 सदस्यीय विधानसभा में पिछले चार चुनाव के दौरान महिला विधायकों की संख्या कभी भी पांच से अधिक नहीं रही है। 2022 के विधानसभा चुनाव में बीते साल रेकार्ड 8 महिला विधायकों को जनता ने चुनकर विधानसभा भेजा। साल 2002 के हुए पहले विधानसभा चुनाव में कुल 927 उम्मीदवार मैदान में उतरे, जिसमें से 72 महिला उम्मीदवार ही चुनावी समर में उतरी थी। लेकिन, जनता ने कुल 4 महिला उम्मीदवारों को विजयी बनाकर विधानसभा भेजा। साल 2007 में हुए दूसरे विधानसभा चुनावों में महिलाओं की हिस्सेदारी घट गई। इन चुनाव में चुनावी मैदान में उतरे 750 उम्मीदवारों में से केवल 56 महिला उम्मीदवार थीं। साल 2012 के विधानसभा चुनावों में 63 महिला उम्मीदवार चुनावी समर में उतरी जिसमें से केवल पांच महिला उम्मीदवारों को ही जीत मिल सकी। साल 2017 में राज्य की 70 विधानसभाओं में 635 प्रत्याशियों में 59 महिला प्रत्याशियों ने चुनावी मैदान में दम ठोंका लेकिन जनता ने केवल पांच महिलाओं को ही राज्य की विधानसभा में भेजा।
बीते साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में 626 प्रत्याशियों में 62 महिला प्रत्याशी मैदान में थी जिसमें से मतदाताओं ने 8 महिला प्रत्याशियों को विजयी बनाकर विधानसभा भेजा। राज्य गठन के बाद विधानसभा में महिलाओं की हिस्सेदारी 2022 में सर्वाधिक रही। 2017 विधानसभा चुनाव तक विधानसभा में महिला विधायकों की हिस्सेदारी 7 से 8 फीसदी तक ही रही जबकि 2022 में यह 13 फीसदी तक पहुंच गई। हाल ही में भाजपा के विधायक व काबिना मंत्री चंदन राम दास के निधन से रिक्त हुई बागेश्वर सीट पर उनकी पत्नी पार्वती दास चुनकर आई जिसके बाद अब विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या बढ़कर 9 हो चुकी है। यह अब तक विधानसभा में महिलाओं की संख्या के लिहाज से सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व है। हालांकि, राज्य की आबादी के आधे हिस्से को मिला यह प्रतिनिधित्व संतोषजनक नहीं कहा जाता सकता है। हालांकि, राज्य की त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था में महिलाओं के लिए पचास फीसदी सीटें आरक्षित की गई है जिसके चलते त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था में महिलाओं को अपनी आबादी के अनुरूप पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला है। ऐसे में अब उम्मीद है कि 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों में 33 फीसदी आरक्षण के बूते महिलाओं की संख्या 70 सदस्यों की इस विधानसभा में 9 से बढ़कर 25 तक पहुंच सके।