Search for:
  • Home/
  • उत्तराखंड/
  • उत्तराखंड के तीन जिलों का भूगोल बदल देगा पंचेश्वर बांध

उत्तराखंड के तीन जिलों का भूगोल बदल देगा पंचेश्वर बांध

Pen point (Pallav Gasyal) : भारत नेपाल के बीच पंचेश्वर बांध को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। माना जा रहा है कि जल्द ही इसकी संशोधित डीपीआर तैयार हो जाएगी। दो माह पहले नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड के भारत दौरे पर भी इस पर चर्चा हुई थी। उसके बाद दोनों देशों के अधिकारियों के बीच बांध और उससे जुड़ी तमाम बातों पर बातचीत चल रही है। इन बैठकों के साथ ही महाकाली नदी इलाके के लोगों के बीच सुगबुगाहट होने लगी है। बांध बनने पर विस्थापित होने की दशा में लोग अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं। दूसरी ओर, लंबे समय से बांध प्रस्तावित होने के कारण इस इलाके में विकास की गतिविधियां शून्य हैं। लोग असमंजस में हैं, एक पूरी पीढ़ी गुजर गई बांध के फेर में विकास का सूरज नजर नहीं आया। इस इलाके में टनकपुर- जौलजीवी सड़क और टनकपुर- बागेश्वर रेल लाइन का काम भी बांध की वजह से लटके हुए हैं।

अगर 5040 मेगावाट का पंचेश्वर बांध बनता है तो अब तक सर्वेक्षण के मुताबिक एक बहुत बड़ा इलाका इसके जलाशय में समा जाएगा। जिसमें टनकपुर से पिथौरागढ़ तक बन चुकी 150 किमी की आल वेदर रोड का 6 किलोमीटर हिस्सा भी शामिल है। इस हिस्से की लागत करीब 63.36 करोड़ रुपए आंकी गई है। घाट से तीन किमी पिथौरागढ़ व तीन किमी लोहाघाट तक यह हिस्सा कटेगा। इसके अलावा बांध बनने से काली, गोरी, रामगंगा व सरयू नदी का प्राकृतिक बहाव को रोक दिया जाएगा। जिसमें झूलाघाट का ऐतिहासिक कस्बा और भारत नेपाल को जोड़ने वाला पुल भी डूब जाएगा। पंचेश्वर बांध बनने से टनकपुर- बागेश्वर एवं टनकपुर-जौलजीवी रेल परियेजना भी खटाई में पड़ जाएगी। पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, हल्द्वानी, गंगोलीहाट, धारचूला को जाने वाली सड़कें प्रभावित होंगी। पंचेश्वर, रामेश्वर, घाट, पनार घाटी इसकी भेंट चढ़ जाएगी। घाट से अल्मोड़ा एवं गंगोलीहाट को जाने वाली सड़क का एक बड़ा हिस्सा इसमें डूब जाएगा। निर्माणाधीन टनकपुर- जौलजीवी सड़क का एक हिस्सा भी डूब जाएग। अल्मोड़ा जनपद के अंतर्गत अल्मोड़ा तहसील के 9 एवं भनोली तहसील के अंतर्गत 12 गांव पूर्ण व आंशिक रूप से प्रभावित होंगे। सर्वेक्षण के मुताबिक कोला, ऊंचाबौरा गूंठ, बमौरी खालसा, धूरा लग्गाटाक पूर्ण रूप से तो बिरकोला, धनकाना, मेल्टा, नायलधूरा, पडोली, जिंगल, दशौला बडियार, कूना पोखरी, बालीखेत, चिमखोली, देवलसीढ़ी, उमैर, आरासलपड़, मयोली, तल्ली नाली, मल्ली नाली, कुंज किमौला गांव आंशिक रूप से जलमग्न होने हैं।

हालांकि लोगों का आरोप है कि बांध प्रभावित क्षेत्र में आने वाले एक दर्जन से ज्यादा गांव सर्वेक्षण में शामिल नहीं किये गए हैं। सरयू व रामगंगा के किनारे स्थित पंचेश्वर, रामेश्वर, आरेश्वर, जटेश्वर तीर्थस्थल व मंदिर भी जलमग्न हो जाएंगे। रामेश्वर घाट का शिव मंदिर डूबेगा। इस मंदिर में साल भर में चार बड़े मेले लगते हैं। शवदाह गृह के लिए भी लोगों को खोज करनी पड़ेगी। रामेश्वर घाट से सेरा तक बनी पंपिंग योजना भी डूबेगी।

यहां होने वाली राफ्टिंग बंद होगी। गौरतलब है कि रामेश्वर घाट से पंचेश्वर तक राफ्टिंग होती है। यहां पाई जाने वाली महाशीर मछली का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। चंपावत, अल्मोड़ा पिथौरागढ़ जनपद के लोगों का शवदाह केंद्र होने से लोगों को शवदाह करने में भी दिक्कतें आएंगी। हिमालयी कल्पतरू कहा जाने वाले च्यूरा के पेड़ भी डूब जाएंगे।
कुल मिलाकर चम्पावत, पिथौरागढ़ व अल्मोड़ा का 76 वर्ग मीटर व नेपाल का 40 वर्ग किमी भूभाग इस बांध से प्रभावित होगा।

हालांकि भारत व नेपाल के बीच 1996 से शुरू हुई इस परियोजना को अभी तक गति नहीं मिल सकी है। दोनों देशों के बीच बिजली व सिंचाई को लेकर सहमति नहीं बन पाई। पंचेश्वर यानी सरयू, पनार, रामगंगा व काली नदी का संगम है। नदियों के हिसाब से देखें तो काली नदी में धारचूला, सरयू में सेराघाट, पनार में सिमखेत व रामगंगा में थल तक के क्षेत्र पर इसका प्रभाव पड़ना है। क्योंकि बांध बनने से 11,600 हेक्टेयर की कृतिम झील बनेगी जो क्षेत्रीय इलाकों के पर्यावरण पर गहरा प्रभाव डालेगी।

2017 में हुई थी जनसुनवाई
वाप्कोस लिमिटेड की ओर से 2017 में पंचेश्वर बांध को लेकर जनसुनवाई हुई थी। उसमें इसकी डीपीआर, पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन अध्ययन रिपोर्ट, सामाजिक प्रभाव आकलन रिपोर्ट, पर्यावरणीय प्रबंधन योजना रिपोर्ट को प्रस्तुत किया गया था। लेकिन क्षेत्र की जनता इन दस्तावेजों से संतुष्ट नहीं दिखी। जनसुनवाई में जनता की तरफ से कई मांगें की गई थी। प्रत्येक प्रभावित परिवार को नौकरी दी जाए। मसलन, एक ही सर्किल रेट पर सभी प्रभावित लोगों को मुआवजा और भवन निर्माण के लिए 30 लाख रुपए दिए जाएं। पशु गृह निर्माण के लिए 20 लाख रुपए दिए जाएं। प्रत्येक परिवार को 5 हेक्टेयर जमीन दी जाए। 50 वर्षों तक आधी दर पर बिजली दी जाए। सर्किल रेट का 10 गुना मुआवजा दिया जाए। प्रभावित परिवार को सरकारी नौकरी में 4 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। पुनर्वास कॉलोनी को स्मार्टसिटी की तर्ज पर बनाया जाए।

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required