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पाकिस्तान क्रिकेट टीम के 72 साल और सिर्फ 2 हिंदू खिलाड़ी

-इन दिनों पाकिस्तानी पूर्व क्रिकेटर दानिश कनेरिया भारत में सोशल मीडिया पर कर रहे हैं ट्रेंड, पाकिस्तानी हिंदू इस खिलाड़ी ने साथी खिलाड़ियों पर लगाया था भेदभाव का आरोप
Pen Point, Dehradun : भारत में चल रहे क्रिकेट विश्व कप के बीच पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर दानिश कनेरिया सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं। हिंदुओं के साथ भेदभाव को लेकर पाकिस्तान और पाकिस्तान क्रिकेट टीम की दानिश कनेरिया लगातार आलोचना कर रहे हैं। इस दिग्गज स्पिन गेंदबाज का आरोप है कि जब वह क्रिकेट खेलते थे तो पाकिस्तानी खिलाड़ी उनके साथ भेदभाव करते, उन पर धर्म परिर्वतन का दबाव बनाते थे। कुछ साल पहले पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने भी एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया था कि पाकिस्तानी टीम दानिश कनेरिया के साथ भेदभाव करती थी उनके साथ खाना नहीं खाती थी और उन पर धर्म परिर्वतन का दबाव बनाती थी।
अब दानिश कनेरिया भारत में फिर सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं। उन्होंने बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आईसीसी द्वारा उन पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने की मांग की थी। दानिश कनेरिया पर मैच फिक्सिंग के आरोप थे जिसके बाद उनके खेलने पर प्रतिबंध लगाया गया था। पाकिस्तान एक मुस्लिम बहुल देश है और वहां हिंदुओं समेत धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार की खबरें आती रहती है।

ऐसे में इन दिनों जब भारत क्रिकेट के विश्व कप की मेजबानी कर रहा है और पाकिस्तान टीम भी लंबे अरसे बाद भारतीय जमीन पर खेल रही है। तो ऐसे में दानिश कनेरिया का मामला फिर से चर्चाओं में है।आपको जानकार हैरानी होगी कि दानिश कनेरिया पाकिस्तान की टीम से खेलने वाले अकेले हिंदू नहीं थे। कम लोगों को ही पता होगा कि पाकिस्तान के 72 साल के क्रिकेट इतिहास में केवल 2 ही क्रिकेटर ऐसे रहे जो हिंदू होने के बावजूद टीम में जगह बनाने में कामयाब रहे। इसमें एक तो दानिश कनेरिया हैं जबकि दूसरे अनिल दलपत हैं। पाकिस्तान ने अक्टूबर 1952 में अपना पहला टेस्ट मैच खेला था, वह भी भारत के खिलाफ। दिल्ली में हुए इस टेस्ट मैच में भारतीय टीम ने पारी और 70 रन से शानदार जीत दर्ज की। अब्दुल करदार की कप्तानी में पाकिस्तान को 5 मैचों की इस सीरीज में 1-2 से शिकस्त झेलनी पड़ी।

पाकिस्तान के लिए 61 टेस्ट और 18 वनडे इंटरनैशनल मैच खेलने वाले दानिश इस मुस्लिम देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट खेलने वाले दूसरे हिंदू हैं। उनसे पहले अनिल दलपत पाकिस्तानी टीम से खेलने वाले पहले हिंदू क्रिकेटर थे। उन्होंने केवल 9 टेस्ट और 15 वनडे इंटरनेशनल मैच खेले। वह विकेटकीपर बल्लेबाज थे लेकिन ज्यादा सफल नहीं रहे। उनके नाम टेस्ट में कुल 167 और वनडे में कुल 87 रन दर्ज हैं। वह केवल 2 साल (1984-86) के लिए ही पाकिस्तान की टीम का हिस्सा रहे।

पाकिस्तानी टीम के पहले हिंदू क्रिकेटर अनिल दलपत ने साल 2002 में आरोप लगाए थे कि पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इमरान खान की वजह से ही उनका क्रिकेट करियर बर्बाद हुआ और केवल 2 साल का ही रहा। उन्होंने आरोप लगाया था कि इमरान खान की वजह से वह दो सालों से ज्यादा नहीं खेल सके जबकि वह बेहतर खेल सकते थे और उनका करियर लंबा हो सकता था।

दानिश कनेरिया पाकिस्तानी टीम से खेलने वाले दूसरे हिंदू क्रिकेटर बने। उनके नाम टेस्ट में 261 विकेट और वनडे इंटरनैशनल फॉर्मेट में 15 विकेट दर्ज हैं। उन्होंने करियर का आखिरी टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ जुलाई 2010 में नॉटिंगम में खेला था। भारत के खिलाफ उन्होंने केवल 6 टेस्ट मैच खेले और कुल 31 विकेट झटके। वह पाकिस्तान के लिये सबसे ज्यादा टेस्ट विकेेट झटकने वाले स्पिन गेंदबाज हैं। भले ही सकलैन मुश्ताक और मुश्ताक मोहम्मद उनसे बड़े नाम कहे जाते हैं, लेकिन महज 61 टेस्ट मैचों में विकेट लेने के मामले में दोनों कनेरिया से पीछे हैं। अगर उनका करियर लंबा चलता तो वे पाकिस्तान के सबसे बड़े स्पिन गेंदबाज होते।

पाकिस्तान समेत दुनिया के क्रिकेट जानकार उनकी प्रतिभा के मुरीद रहे हैं। लेकिन मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमिर की तरह पाकिस्तान के इस गेंदबाज के करियर पर भी स्पॉट फिक्सिंग की काली छाया पड़ गई। दानिश को 2009 में एशेज के लिए खेलते हुए स्पॉट फिक्सिंग का दोषी पाया गया था। इस लेग स्पिनर को इंग्लैंड ऐंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने 5 साल के लिए बैन कर दिया था। हालांकि उन्होंने बाद में अपील की थी, जिसे खारिज कर दिया गया। दानिश ने 2018 में स्पॉट फिक्सिंग की बात स्वीकार की थी।

जहां तक पाकिस्तान क्रिकेट में हिंदू खिलाड़ियों की बात है, इस मामले में पकिस्तान क्रिकेट बोर्ड अब अपने ही देश में आलोचना का शिकार होने लगा है। शोएब अख्तर समेत पाकिस्तान के कुछ क्रिकेटर और पत्रकार हिंदू खिलाड़ियों को टीम में मौका दिये जाने की वाकलत कर चुके हैं। पाकिस्तान क्रिकेट के इतिहास पर नजर डालें तो इन 72 सालों में वहां महज दो हिंदू खिलाड़ी ही टीम में जगह बना चुके हैं। जबकि 90 के दशक में युसुफ़ योहाना एक इसाई के रूप में पाकिस्तानी टीम में शामिल हुए थे। रिटायर होने तक यह बेहतरीन बल्लेबाज धर्म बदलकर यूसुफ खान हो चुका था। इसके अलावा सोहेल फ़ज़ल, ऐंटाओ डिसूजा, डंकन शार्प और वालिस मैथस पाकिस्तान के लिये खेलने वाले गैर मुस्लिम खिलाड़ी रहे हैं। यूसुफ योहाना की तरह ये चारों भी इसाई थे।

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