कुश्ती फेडरेशन अध्यक्ष विवाद में क्यों ट्रेंड कर रहे नरसिंह यादव
PEN POINT : भारतीय कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जंतर मंतर पर पहलवानों का धरना जारी है। इस मामले में कोर्ट के आदेश पर ब्रजभूषण शरण सिंह पर एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। उन पर महिला खिलाड़ियों के यौन शाषण का आरोप है। हालांकि अभी तक पुलिस की ओर से ब्रजभूषण की गिरफ्तारी जैसी कार्रवाई नहीं हुई है। इस बीच पूरे मामले को कुश्ती में हरियाणा बनाम उत्तर प्रदेशं की खींचतान का रंग दिये जाने की कोशिश की जा रही है।
कहा जा रहा है कि हरियाणा लॉबी खेलों में अपना वर्चस्व चाहती है। इस लॉबी को अन्य राज्यों के ऐथलीटों का पदक जीतना पसंद नहीं है। ऐसे खिलाड़ियों को रोकने के लिए ये लॉबी हर वाजिब या गैरवाजिब कोशिश करती है। इसकी तर्क के साथ ही उत्तर प्रदेश के पहलवान नरसिंह यादव को भी याद किया जा रहा है। आरोप है कि ओलंपियन और हत्या के मामले में सजा काट रहे सुशील कुमार को नरसिंह यादव ने हरा दिया था। दूसरी बार ओलंपिक जाने की राह में सुशील कुमार के सामने नरसिंह यादव खड़े थे। आरोप है कि इसी दौरान उनके खाने में नशीला पदार्थ मिलाकर उन्हें डोप टेस्ट में फेल करवा दिया गया था। मेन स्ट्रीम मीडिया के साथ ही सोशल मीडिया पर यह मामला खूब ट्रेंड कर रहा है। जिसमें इस विरोध प्रदर्शन को खेलों में हरियाणा बनाम यूपी की खींचतान के तौर पर दिखाया जा रहा है। हालांकि अन्य राज्यों और कुश्ती के अलावा अन्य खेलों को लेकर भी हरियाणा लॉबी को घेरा जा रहा है। जिसके मुताबिक हरियाणा लॉबी कुश्ती फेडरेशन में जाट अध्यक्ष चाहती है।
मौजूदा मामले में महिला पहलवानों ने ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दूसरी बार विरोध प्रदर्शन शुरू किया है। एक टीवी इंटरव्यू में ब्रजभूषण शरण सिंह कहते हैं कि दर्द केवल सेलीब्रेटी पहलवानों का है। जिन्हें बिना नेशनल खेले ओलंपिक या अन्य अंर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं का टिकट चाहिए, हमने नियम बनाया है कि इंटरनेशनल मेडलिस्ट पहलवानों को भी नेशनल लेवल पर स्पर्धा में शामिल होना होगा। जो जीतेगा वही अंतर्राष्ट्रीय टीम में शामिल होगा। ऐसा इसलिए किया गया कि बीते कुछ समय से हम जो भी टीम भेज रहे थे, सभी में केवल हरियाणा के ही खिलाड़ी होते थे, ऐसे में देश के अन्य प्रदेशों के प्रतिभावान खिलाड़ियों को मौका नहीं मिल पाता था।
फिलहाल ब्रजभूषण सिंह अपने पद पर बने हुए हैं। खिलाड़ियों ने उनका आपराधिक ट्रैक रिकॉर्ड जंतर मंतर पर चस्पा कर दिया हैं। देखा जाए तो यही रिकॉर्ड उनकी सबसे कमजोर नस है। जिसे खिलाड़ियों की ओर लगातार टारगेट किया जा रहा हैं। हालांकि इसे लेकर भी ब्रजभूषण शरण सिंह का बयान आया है, उनके मुताबिक ये सभी मुकदमे राजनीतिक सक्रियता के कारण दर्ज हुए हैं, राम जन्म भूमि आंदोलन के साथ ही स्थानीय स्तर पर रसूखदार लोगों खिलाफ उन्होंने जनहित में संघर्ष किया है, और अभी तक उन पर कोई आरोप भी साबित नहीं हुआ।
वरिष्ठ पत्रकार राजू गुसांई बताते हैं खेलों में सियासत और साजिशें लंबे समय से चली आ रही हैं। जिसमें कभी पंजाब का वर्चस्व हुआ करता था तो अब हरियाणा इसका केंद्र बन गया है, कह सकते हैं कि ब्रजभूषण शरण सिंह अपना रिकॉर्ड खराब है लेकिन भारतीय कुश्ती फेडरेशन जिस तरह से अखाड़ा बना हुआ उसके लिए बहुत से लोग जिम्मेदार हैं। यह मामला देखने में जितना सीधा दिख रहा है, उतना है नहीं। इसके पीछे सियासी ताकतें भी काम कर रही हैं।