पोखरण में उठा रेत का गुबार और बुद्ध दोबारा मुस्काराए
– आज के ही दिन 1998 में भारत ने पोखरण में किया परमाणु परीक्षण, बन गया परमाणु संपन्न देश
PEN POINT, DEHRADUN : दिन था 11 मई 1998, राजस्थान में एक रेतीले इलाके पोखरण में रेत का विशाल गुबार उठा, प्रधानमंत्री कार्यालय में संदेश आया कि बुद्ध मुस्कुराए। इस कोड का मतलब था कि भारत परमाणु शक्ति बन चुका है। अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने इसे अपनी नाफरमानी मानी लेकिन अटल भारत ने ढाई दशक में यह दूसरा परमाणु परीक्षण कर अपनी ताकत का लोहा मनवा दिया।
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भारत के लिए 11 मई 1998 का दिन ऐतिहासिक रहा है। 11 मई 1998 को जब भारत ने दुनिया के सामने परमाणु बम बनाने का ऐलान किया था, तो पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई। परीक्षण का कार्यक्रम में इतनी सावधानी बरती गई कि इस पर बारीक नजर रख रही अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए को भी इसकी भनक तब लग सकी जब पोखरण में रेत का गुबार उठा।
11 मई, 1998 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मीडिया के सामने आए और उन्होंने घोषणा की- आज दोपहर पौने चार बजे भारत ने पोखरण रेंज में तीन भूमिगत परमाणु परीक्षण किए। दो दिन बाद भारत ने दो और परमाणु परीक्षण किए। इससे पहले साल 1974 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में परमाणु परीक्षण कर भारत दुनिया को अपनी ताकत का अहसास करा चुका था और 24 साल बाद भारत ने एक बार फिर दुनिया को बता दिया कि शक्ति के बिना शांति संभव नहीं है। इंदिरा गांधी ने परमाणु परीक्षण का कोड ’बुद्ध मुस्कुराए’ रखा था, तो अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे ’शक्ति’ का नाम दिया।
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भारत की ओर से किए गए परमाणु परीक्षण से अमेरिका समेत पश्चिमी दुनिया के देश बुरी तरह से बौखला गए। हालात यह हो गए कि पोखरण-2 के बाद भारत पर प्रतिबंधों की बाढ़ सी आ गई। इस परीक्षण के बाद भारत के सामने कई मुसीबतें एक साथ आ गईं और आर्थिक, सैन्य प्रतिबंध लगाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे अलग-थलग कर दिया गया।
अमेरिकी राष्ट्रपति को बताया वाजिब कारण
परमाणु परीक्षण के तुरंत बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को पत्र लिखा कर बताया कि आखिर भारत ने परमाणु परीक्षण क्यों किया ? अपनी दोनों सीमाओं की तरफ से दुश्मन से घिरे भारत के लिए अपनी शक्ति का अहसास करवाना जरूरी था। वाजपेयी ने अपने पत्र में लिखा कि पिछले कई साल से भारत के इर्द-गिर्द सुरक्षा संबंधी माहौल और खासकर परमाणु सुरक्षा से जुड़े माहौल के लगातार बिगड़ने से मैं चिंतित हूं। हमारी सीमा पर एक आक्रामक परमाणु शक्ति संपन्न देश है। एक ऐसा देश जिसने 1962 में भारत पर हमला कर दिया था। हालांकि उस देश के साथ पिछले एक दशक में भारत के संबंध सुधर गए हैं, लेकिन अविश्वास की स्थिति बनी हुई है, इसकी मुख्य वजह अनसुलझा सीमा विवाद है।
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