अखलाक मोहम्मद खान : इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं !
PEN POINT : इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं। ये गाना तो करीब करीब हम सबने सुना और देखा होगा। इस गीत पर रेखा का अभिनय और नृत्य तो आप सबकी आँखों में अब उतर ही आया होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस खूबसूरत गीत के गीतकार कौन थे ? तो चलिए दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं डालते हैं और सीधे आज उनकी ही बात करते हैं।
जी हाँ हम बात कर रहे थे 1981 में रिलीज हुई फिल्म उमराव जान के मशहूर गीत के गीतकार अखलाक मुहम्मद खान शहरयार की। आज शहरयार का जन्मदिन है। 16 जून1936 में उत्तर प्रदेश के बरेली में उनका जन्म हुआ था। वे गजल गीतकार और कवि के रूप में जाने जाते हैं। शहरयार की रचनाएं प्रेमगीतों और गजलों के इर्द-गिर्द देखने को मिलती हैं। हिन्दी फिल्म इण्डस्ट्री की फिल्मों में प्रेम प्रसंगों का समावेश सबसे ज्यादा देखने को मिलता रहा है, इसलिए उनकी रचनाएं फिल्मों के जरिए भी लोगों के जहन पर अलग असर छाड़ने में सफल रहीं।
अखलाक मोहम्मद खान नामचीन शिक्षाविद और उर्दू शायरी लेखन के बड़े नामों में सुमार किए जाते हैं। 1961 में उर्दू में मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद वे 1966 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उर्दू के लेक्चरर बन गए और इसी विश्वविद्यालय से उर्दू के एचओडी के पद से 1996 में रिटायर हुए।
उर्दू के दिग्गज विद्वान शायर के रूप में उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से स्व-अनुभूतियों और आधुनिक वक्त की समस्याओं को समझने की कोशिश की शहरयार ने गमन और आहिस्ता-आहिस्ता आदि कुछ हिंदी फिल्मों में गीत लिखे, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा लोकप्रियता 1981में बनी फिल्म उमराव जान से मिली। इन आँखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं, जुस्तजू जिस की थी उसको तो न पाया हमने, दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिये, कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता – जैसे गीत लिख कर हिंदी फिल्म जगत में शहरयार बहुत लोकप्रिय हो गए।