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महाराष्ट्र में राकांपा में फूट, अजीत पवार ने 4 साल में तीसरी बार ली उपमुख्यमंत्री की शपथ

– लंबे समय से नाराज चल रहे अजीत पवार ने एनडीए को दिया समर्थन, 4 सालों में तीसरी बार ली उप मुख्यमंत्री की शपथ, 40 विधायकों के समर्थन का दावा
PEN POINT, POLITICAL DESK : महाराष्ट्र समेत कभी देश की राजनीति में तोड़ फोड़ के लिए प्रसिद्ध रहे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार को उनके भतीजे अजीत पवार ने भी झटका दे दिया। लंबे समय से कयास लगाए जा रहे थे कि अजीत पवार जल्द ही राकांपा में तोड़फोड़ करने वाले हैं लेकिन रविवार को अजीत पवार ने अपने चाचा शरद पवार को तगड़ा झटका देते हुए अपने समर्थक विधायकों के साथ एनडीए में शामिल होकर उप मुख्यमंत्री की शपथ भी ले ली। अजीत पवार अपने पास 40 विधायकों का समर्थन बता रहे हैं। रविवार दोपहर को अजीत पवार अपने समर्थक विधायकों के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में एनडीए में शामिल हो गए। वहीं, उन्होंने चार साल के दौरान तीसरी बार उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।
बीते लंबे समय से ही कयास लगाए जा रहे थे कि अपने चाचा से नाखुश अजीत पवार जल्द ही एनडीए में शामिल हो सकते हैं। बीते दिनों जब एनसीपी अपना स्थापना दिवस मना रही थी तो तब शरद पवार के एलान ने भी साफ कर दिया था अजीत पवार का भविष्य अब राकांपा में नहीं है। वहीं, भाजपा भी अजीत पवार के अगले कदम का इंतजार कर रही थी। बीते मई महीने में जब राकांपा ने 25वां स्थापना दिवस समारोह मनाया तो इस मौके पर राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार ने बड़ा एलान किया था। पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले और पार्टी के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया था। जबकि भतीजे अजित पवार को लेकर कोई एलान नहीं किया गया। हालांकि, उससे पहले भी लगातार अफवाह उड़ रही थी कि अजीत पवार राकांपा से अलग होकर भाजपा का हिस्सा बन सकते हैं लेकिन इस समारोह में अजीत पवार की अनदेखी कर शरद पवार की ओर से भी साफ हो गया था कि वह अजीत पवार को उनके खुद के फैसले पर छोड़ देना चाहते हैं। एनसीपी यानि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में सियासी बदलाव की कहानी नवंबर 2019 से शुरू हुई थी। तब विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। भाजपा को 105 सीटों पर जीत मिली थी। शिवसेना के 56 और एनसीपी के 54 प्रत्याशी चुनाव जीते थे। कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी। भाजपा के साथ चुनाव लड़ने वाली शिवसेना ने मुख्यमंत्री के मुद्दे पर गठबंधन तोड़ लिया। भाजपा भले ही सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन बहुमत के आंकड़ों से दूर थी। बहुमत के लिए पार्टी को 145 विधायकों का समर्थन चाहिए था। आनन-फानन में अजित पवार ने एनसीपी का समर्थन भाजपा को दे दिया और देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बन गए और अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री की शपथ ली। यह बड़ा कदम अजीत पवार ने अपने समर्थक विधायकों के दम पर ही उठाया था। इसमें पार्टी अध्यक्ष व उनके चाचा शरद पवार की मंजूरी नहीं थी। इसे तब बगावत करार दिया गया था। शरद पवार ने अजीत पवार के साथ जाकर भाजपा को समर्थन देने वाले विधायकों की क्लास लगाई तो अगले पांच दिनों के भीतर ही सारे विधायकों ने भाजपा से समर्थन वापिस ले लिया था। इसके बाद एनसीपी, कांग्रेस और शिव सेना ने महाअगाड़ी गठबंधन बनाकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। उप मुख्यमंत्री की शपथ लिए अजीत पवार के लिए यह बड़ा झटका था लेकिन वह मन मसोसकर चाचा के निर्देशों पर खामोश रहे। हालांकि, उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो अजीत पवार को फिर से उप मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली लेकिन अजीत पवार का भाजपा को समर्थन देकर अनमने ढंग से समर्थन वापिस लेना मन में गहरे उतर चुका था। भाजपा का महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस जारी था। भाजपा ने शिवसेना के ही दो फाड़कर एकनाथ शिंदे गुट को समर्थन देकर सरकार बना ली। अजीत पवार की तब भी ईच्छा थी कि राकांपा भाजपा का समर्थन कर खुद को महाराष्ट्र की राजनीति में ही केंद्रित करके रखे लेकिन शरद पवार अजीत पवार की इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते थे। इस साल मई महीने की शुरूआत में शरद पवार ने अचानक अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का एलान किया, हालांकि कार्यकर्ताओं के मान मनौव्वल से उन्होंने अपना इस्तीफा वापिस तो ले लिया लेकिन यह साफ हो गया था अब वह पार्टी की कमान दूसरी पीढ़ी को सौंपना चाहते हैं और उसके लिए वह अपनी बेटी को ही देख रहे हैं। तब से ही अजीत पवार को लेकर लगातार चर्चाएं थी कि अजीत पवार शरद पवार से नाता तोड़ सकते हैं। पार्टी के 25वें स्थापना दिवस समारोह पर शरद पवार ने दो कार्यकारी अध्यक्ष के नामों का एलान किया। इसमें एक बेटी सुप्रिया सुले हैं तो दूसरे पार्टी के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल का नाम है। सुप्रिया को केंद्रीय चुनाव समिति का प्रमुख भी बनाया गया। इस दौरान अजित को लेकर कोई एलान नहीं किया गया।
हालांकि, जब राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं उठने लगी कि शरद पवार के इस फैसले से अजीत पवार नाखुश हैं तो अजीत पवार ने मीडिया के सामने आकर बयान भी दिया था कि वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से नाराज नहीं हैं और पार्टी में वह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं लिहाजा नाराज होने का कोई सवाल नहीं बनता। फिर, भी उनकी नाराजगी का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता था। ऐसे में मीडिया और राजनीति को नजदीक से देखने वाले लोगों की उनपर लगातार नजर थी कि वह अगला कदम क्या उठाते हैं।
रविवार सुबह अपने घर पर अपने समर्थक विधायकों की बैठक बुलाकर उन्हांेने दोपहर को एनडीए को समर्थन देने का एलान किया तो दोपहर में ही उन्हें तीसरी बार उप मुख्यमंत्री के पद पर शपथ दिलवाई गई।

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