पीसीएस निधि यादव की संपत्ति की होगी जांच, सीएम धामी ने दी अनुमति
Pen Point. Dehradun : उत्तराखंड की सीनियर पीसीएस अफसर निधि यादव के खिलाफ आखिर विजिलेंस को खुली जांच की अनुमति मिल गई है। इससे पहले विजिलेंस आय से अधिक संपत्ति मामले में उनकी गोपनीय जांच कर चुकी है। लेकिन लंबे समय से जांच की यह फाइल दबी हुई थी। लेकिन अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनके खिलाफ खुली जांच की अनुमति दे दी है। जिससे अब इस अफसर की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। निधि यादव इससे पहले भी कुछ मामलों में सुर्खियों में रही हैं। उनके खिलाफ गलत ओबीसी प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने का मामला भी कोर्ट पहुंच चुका है। जिसमें उनपर आरोप लगाया गया कि वे मूल रूप से यीपी के मेरठ की रहने वाली हैं और उन्होंने हरिद्वार जिले से ओबीसी प्रमाण पत्र हासिल किया है। इसके अलावा हाल ही में पीसीएस से आईएएस में प्रमोशन पाने वाले अफसरों की जो प्रस्तावित सूची संघ लोक सेवा आयोग को भेजी गई थी उसमें निधि यादव का नाम थी शामिल था। वर्तमान में निधि यादव उत्तराखंड परिवहन निगम में जीएम के पद पर तैनात हैं।
2021 में मांगी थी विजलिेंस ने अनुमति
निधि यादव 2007 बैच की पीसीएस अफसर हैं। जिन्होंने राज्य के विभिन्न जिलों में प्रशासनिक पदों पर काम किया। लेकिन साल 2021 में जब वे रूद्रपुर में मंडी निदेशक के पद पर थीं तब अचानक से वे चर्चा में आ गई। विजिलेंस ने उनके खिलाफ गोपनीय जांच में आय से अधिक संपत्ति की जानकारी जुटा ली थी। 17 सितंबर 2021 में तत्कालीन सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी निधि यादव को लिखे पत्र में बताया कि है कि निदेशक सतर्कता निदेशालय उत्तराखंड के पत्र 315 2018 एवं उपमहानिरीक्षक सतर्कता निदेशालय के पत्र दिनांक 21 12 2019 का संदर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें जिसके माध्यम से आप के विरुद्ध उत्तराखंड प्रदेश में विभिन्न पदों पर नियुक्ति के दौरान पद का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार के माध्यम से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोपों के संबंध में गोपनीय जांच आख्या प्रेषित करते हुए आपके विरुद्ध खुली जांच की संस्तुति की गई है इस संबंध में कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग 5 उत्तराखंड शासन के माध्यम से प्राप्त निदेशक सतर्कता निदेशालय उत्तराखंड के पत्र 31/5 /2018 एवं गोपनीय जांच आख्या दिनांक 21-12-2019 प्रति इस आशय के साथ संघ में प्रेषित की जा रही है कि प्रकरण के संबंध में अपना पक्ष प्राथमिकता के आधार पर 1 सप्ताह के भीतर शासन को उपलब्ध कराने का कष्ट करें।
2018 में शुरू हुई गोपनीय जांच
दरअसल विजिलेंस ने मई 2018 में निधि यादव को लेकर अपनी गोपनीय जांच शुरू कर दी थी। जिसमें पाया गया कि निधि यादव के द्वारा उनके और उनके परिवारिक सदस्यों के नाम कई संपत्तियों का खुलासा हुआ है और लाखों की धनराशि उनके द्वारा बैंक ऑनलाइन और चेक के माध्यम से ट्रांसफर की गई है इस संबंध में विजिलेंस ने शासन को पत्र लिखकर मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। लेकिन लंबे समय तक इस मामले में अनुमति नहीं मिल पाई। यह भी कहा गया कि कि निधि यादव से जुड़ी फाइल ही शासन से गायब हो गई है।
लेकिन अब शासन ने दबी हुई फाइल बाहर निकाल ली है। जिस पर मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत विजिलेंस को खुली जांच की अनुमति दे दी है। जिससे निधि यादव की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।