दो हजार किमी के दूरी में 2024 की लड़ाई के लिए जुटा सत्ता पक्ष और विपक्ष
– विपक्षी दल महागठबंधन पर बात आगे बढ़ाने के लिए सोमवार से बंगलुरू में जुटे हैं, कांग्रेस समेत 26 राजनीतिक दल 2024 लोकसभा चुनाव साथ लड़ने के लिए कर रहे तैयारी
– तो दिल्ली में भाजपा ने भी एनडीए का कुनबा जोड़ा, 38 सहयोगी दलों को बैठक में बुलाकर 2024 के संग्राम की तैयारियां की शुरू
PEN POINT, DEHRADUN : दिल्ली और बंगलुरू, दोनों शहरों के बीच की दूरी 2 हजार किमी से भी ज्यादा है लेकिन मंगलवार को दोनों शहरों का राजनीतिक पारा एक सा चढ़ा था, एक शहर में जहां तमाम विपक्षी दल 2024 के लोकसभा चुनाव को एक साथ लड़ने के लिए महागठबंधन बनाने के लिए जुटे हैं तो वहीं दिल्ली में सत्तारूढ़ भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने के लिए एनडीए के भूले बिसरे दलों को फिर से एक साथ जोड़ने के लिए बैठक कर रही है। दोनों बैठकों का मकसद 2024 के आम चुनाव में दिल्ली की सत्ता है। अब तक विपक्षी महागठबंधन को अपने बयानों के जरिए सिरे से खारिज करने वाली भाजपा ने बीते सप्ताह भर में ही अपना मिजाज बदलते हुए विपक्षी दलों की तर्ज पर ही अपने महागठबंधन को फिर से एक साथ लाने की कवायद शुरू कर दी है।
बीते सोमवार को कांग्रेस समेत 26 राजनीतिक दलों के नेता दो दिवसीय बैठक के लिए बंगलुरू पहुंचे। जून महीने में पटना में हुई पहले चरण की बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव को एक साथ लड़ने के लिए विपक्षी एकता को महागठबंधन का रूप देने के लिए सभी विपक्षी दल बंगलुरू में जुटे हैं। सोमवार और मंगलवार को 2024 के लोक सभा चुनाव के लिए चर्चा करने के साथ ही आगे की रणनीति पर भी चर्चा की गई। अगले आठ महीनों में लोक सभा चुनाव होने हैं उससे पहले ही विपक्षी दल सीटों के बंटवारे से लेकर भविष्य की योजनाओं को आखिरी रूप देना चाह रहा है। विपक्षी दलों का एक साथ आकर चुनाव लड़ने की तैयारियों को यूं तो भाजपा बीते महीने तक एक असंभव सा मिशन मान रही थी लेकिन पटना चैप्टर के बाद बंगलुरू की बैठक की तैयारियों को देखते हुए भाजपा ने भी अपनी तैयारियों में बदलाव करते हुए विपक्ष की तर्ज पर ही तैयारियां शुरू कर दी। बीते सप्ताह ही लंबे समय से अलग थलग पड़े एनडीए के घटक दलों से मेल मुलाकात कर फिर से एक बैनर तले लाने का अमित शाह समेत भाजपा के बड़े नेताओं ने विशेष अभियान चलाया। इस दौरान बीते लंबे समय से सत्ता और एनडीए से अलग थलग पड़े नेताओं से मुलाकात कर, पूर्व में एनडीए के घटक दलों को फिर से एनडीए में शामिल करने के लिए खूब दौड़ भाग की गई। विपक्ष के बंगलुरू में प्रस्तावित बैठक के दौरान ही आनन फानन में आज मंगलवार यानि 18जुलाई को दिल्ली में बैठक बुलाई गई। एनडीए के 36 घटक दलों को इसमें बुलाया गया। बैठक की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन को विपक्ष पर हमला करने पर ही केंद्रित रखा। उन्होंने विपक्ष की बैठक को परिवारवाद को पोषित करने वाले दलों की बैठक बताया साथ ही उन्होंने विपक्ष के इस महागठबंधन पर तीखे जुबानी हमले भी किए। विपक्ष की बैठक को लेकर पीएम ने कहा, “ये जो जमात इकट्ठी हुई है, उनके कुनबे में बड़े से बड़े घोटालों पर, अपराधों पर इनकी जुबान बंद हो जाती है। जब किसी एक राज्य में इनके कुशासन की पोल खुलती है, तो दूसरे राज्यों के ये लोग फौरन उसके बचाव में तर्क देने लगते हैं।“ उन्होंने कहा, “2024 के लिए देश के लोगों ने हमारी सरकार वापस लाने का मन बना लिया है। ऐसे में भारत की बदहाली के जिम्मेदार कुछ लोग अपनी दुकान खोलकर बैठ गए हैं। इन्हें देखकर मुझे एक कविता याद आती है, “गायित कुछ है, हाल कुछ है, लेबिल कुछ है माल कुछ है“। 24 के लिए 26 होने वाले दलों पर ये फिट बैठता है।“
वहीं, दूसरी ओर दिल्ली से 2000 किमी दूर बंगलुरू में बैठक कर रहे विपक्षी दलों की बैठक के दौरान मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ’मैंने चेन्नई में भी कहा था कि कांग्रेस सत्ता की इच्छुक नहीं है और ना ही प्रधानमंत्री पद की। यह बैठक हमारे संविधान, लोकतंत्र, सहिष्णुता और सामाजिक न्याय को बचाने के लिए है। खरगे ने कहा कि हर संस्था को विपक्ष के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग का इस्तेमाल किया जा रहा है। हमारे नेताओं के खिलाफ झूठे आपराधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं ताकि वह कानूनी प्रक्रिया में फंसे रहे। संवैधानिक प्राधिकरण हमारे सांसदों को बर्खास्त करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। विधायकों को ब्लैकमेल किया जा रहा है या फिर उन्हें रिश्वत दी जा रही है ताकि सरकारों को गिराया जा सके।’
इस बैठक में विपक्षी गठबंधन का नाम भी तय कर लिया जाएगा। विपक्षी गठबंधन का नाम तय करने का जिम्मा यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपा गया है जिसके लिए इनके पास चार नाम भेजे गए हैं। वहीं, इस महागठबंधन के संयोजक के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार और एनसीपी नेता शरद पवार का नाम प्रस्तावित किया है।