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VIRAL NEWS : चंद्रयान-3 मिशन में शामिल इंजीनियरों को 17 महीने से नहीं मिला वेतन

– चंद्रयान 3 मिशन के लिए लांच पैड समय से पहले बनाकर तैयार करने वाले इंजीनियरर्स की टीम को नहीं मिला वेतन, रिश्तेदारों से उधार मांग कर चला रहे घर
– केंद्र सरकार से लगाई है वेतन देने की गुहार, सरकार ने किया वेतन व बजट देने से इंकार, मुश्किल में देश को उपलब्धि दिलवाने वाले इंजीनियरर्स के परिवार
PEN POINT, DEHRADUN : मंगलवार को एक खबर तेजी से वायरल हो रही है। एक न्यूज एजेंसी की ओर से जारी खबर में दावा किया जा रहा है कि बीतेे शुक्रवार को जिस चंद्रयान 3 का सफल प्रक्षेण कर भारत ने इतिहास रचा है, उस मिशन के लिए समय से पहले रिकार्ड समय में लांचिंग पैड तैयार करने वाले इंजीनियर्स की टीम को 17 महीने से वेतन का एक पैसा भी नहीं मिला है। हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन के इन इंजीनियर्स की बदौलत भले ही देश के खाते में गौरवशाली पल दर्ज हुआ हो लेकिन केंद्र सरकार इन इंजीनियर्स के लिए वेतन और बजट देने से साफ इंकार कर चुकी है। वहीं, इन इंजीनियर्स को परिवार चलाने के लिए बीते 17 महीनों से रिश्तेदारों से पैसा उधार लेना पड़ रहा है।
शुक्रवार को जब इसरो ने चंद्रयान 3 का सफल लांचिंग कर इतिहास बनाया तो पूरे देश ही नहीं दुनिया ने भारत के इस कदम की तारीफ की। फ्रांस दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक गौरवशाली ऐतिहासिक पल बताया। इस सफल अभियान में जुटे वैज्ञानिकों, इंजीनियर्स समेत अन्य लोगों की पूरे देश ने तारीफ की। लेकिन, मंगलवार को जारी एक खबर में दावा किया है कि जिस लांच पैड से यह चंद्रयान 3 लांच किया गया उसे तैयार करने वाले इंजीनियर्स को पिछले 17 महीने से तनख्वाह नहीं मिली है। बिना तनख्वाह के इसरो के इस प्रोजेक्ट को भारी दबाव में समय से पहले ही पूरा करने वाले इंजीनियर्स को अपना घर परिवार चलाने के लिए उधार लेकर काम चलाना पड़ रहा है तो कुछ को अपनी बचत और भविष्य निधि से रकम निकालकर रोजमर्रा के खर्चों को चलाना पड़ रहा है। एक अंग्रेजी बेवसाइट और न्यूज एजेंसी की ओर से जारी खबर के अनुसार रांची में हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन के इंजीनियर्स ने ही इसरो के ऑर्डर पर मोबाइल लॉन्चिंग पैड बनाए हैं। इस कंपनी में करीब 2,700 कर्मचारियों और 450 अधिकारी काम करते हैं। इसरो ने झारखंड के रांची में स्थित एसईसी कंपनी को मोबाइल लॉन्चिंग पैड सहित कई उपकरण बनाने का ऑर्डर दिया था, लेकिन ऑर्डर के हिसाब से भुगतान नहीं किया गया। इसके बावजूद कंपनी ने दिसंबर 2022 में तय समय से पहले इसरो का ऑर्डर पूरा कर दिया था।
न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि एसईसी कंपनी कई बार भारी उद्योग मंत्रालय से इस परियोजना से जुड़े भुगतानों के लिए एक हजार करोड़ रूपए की मांग कर रही है लेकिन केंद्र सरकार ने किसी भी तरह की मदद देने से इंकार कर दिया है। बकौल मंत्रालय की ओर से जवाब आया है कि इस मामले में केंद्र सरकार कोई भी मदद नहीं कर सकती है।

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