एक फर्जी तस्वीर ने मणिपुर को हिंसा की आग में झोंक दिया !
Pen Point, Dehradun : मणिपुर में जातीय हिंसा और उपद्रव के पीछे एक फेक न्यूज और इसके साथ वायरल की गई तस्वीर थी। चार मई को कांगपोकपी जिले में उन्मादी भीड़ दो महिलाओं का निर्वस्त्र कर घुमाती है । मानवता को शर्मसार कर देने वाली यह घटना भी उसी फेक न्यूज और वायरल हुई तस्वीर का नतीजा थी। सुरक्षा ऐजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक वहां पॉलीथीन में लिपटे एक शव की तस्वीर इंफाल घाटी में वायरल हुई। जिसमें दावा किया गया कि चूड़ा चांदपुर में एक महिला की आदिवासियों ने हत्या कर दी है। इंडियन ऐक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बाद में पता चला कि तस्वीर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हत्या की शिकार एक महिला की है। लेकिन तब तक घाटी में हिंसा भड़क चुकी थी। इसके बाद ही उन दो महिलाओं के साथ इंसानियत को तार तार कर देने वाला कृत्य हुआ। बीती 19 जुलाई को पहली बार यह वीडियो सार्वजनिक हुआ। इससे पहले देश के अन्य हिस्सों में लोगों को यह अंदाजा नहीं है कि जातीय हिंसा की यह गंभीरता कहां तक पहुंच गई है।
विभिन्न माध्यमों से पुलिस और सुरक्षा ऐजेंसियों के हवाले से यह बात सामने आ रही है कि फेक न्यूज और तस्वीर के चलते मणिपुर में अराजकता फैली है। राज्य में तीन मई को घाटी बहुल मैतेई समुदाय और पहाड़ी इलाके में रहने वाली कुकी जनजाति के बीच हिंसा शुरू हुई थी। दोनों समुदायों के बीच अनुसूचित जनजाति के दर्जे को लेकर पहले से द्वंद चला आ रहा है। इस मैतेई समाज की समाज की मांग है कि उसको कुकी की तरह राज्य में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाए। लेकिन कुकी समुदाय ने इसका विरोध किया। जिसके पीछे तर्क था कि इससे सरकार और समाज पर उनका प्रभाव और मजबूत होगा, जिससे उन्हें कुकी क्षेत्र में बसने या फिर अतिक्रमण करने की अनुमति मिल जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक फेक न्यूज और वायरल तस्वीर ने इस आग को और भड़का दिया। तीन मई के बाद देखते ही देखते हालात काबू से बाहर हो गए। हत्या, आगजनी, तोड़ फोड़ से आगे बढ़कर महिलाओं की अस्मतें लुटने का सिलसिला शुरू हो गया। दो महीने से ज्यादा वक्त हो गया और मणिपुर जलता रहा। इस हिंसा में अब तक 130 लोग मारे जा चुके हैं जबकि चार सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। करीब साठ हजार लोग अपने घरों को छोड़ने को मजबूर हूए हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि महज एक फर्जी तस्वीर कितनी बड़ी तबाही का कारण बन सकती है।
और भी फैलाई जा रही झूठी खबरें
अशांत मणिपुर में असामाजिक तत्वों की ओर से और भी झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं। हाल ही में एक और वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक रैली का दृश्य था। इसमें दावा किया गया कि यह आदिवासी बहुसंख्यक समाज से उनके बच्चे और महिलाएं छीन लेंगे। इंफाल क्षेत्र में इस तरह के वीडियो लोगों में गुस्सा बढ़ाने का काम कर रहे हैं। हालांकि बाद में पता लगा कि यह वीडियो कहीं और का है।
अखबारों की खबरों पर भी नहीं नियंत्रण
सुरक्षा ऐजेंसियां स्थानीय अखबारों में एकतरफा या झूठी अफवाहों के आधार पर प्रकाशित खबरों को भी बढ़ती हिंसा का कारण मान रही हैं। ऐजेंसियों ने दावा किया अखबार में क्वाथा गांव में हथियारों से लैस आदिवासी समुदाय की बहुसंख्यक समुदाय पर हमले की तैयारी की खबर प्रकाशित की। जिस पर मणिपुर पुलिस ऐक्शन लेते हुए अखबार में लिखी जगह पर पहुंची तो पता चला यह खबर पूरी तरह गलत थी।