विवादों में जिले के प्रथम नागरिक, वित्तीय अनियमितताओं के आरोप
– राज्य में तीन जिला पंचायत अध्यक्ष वित्तीय अनियमितताओं के चलते चर्चा में, करोड़ों रूपए के भ्रष्टाचार के आरोप
PEN POINT, DEHRADUN : मौजूदा त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को चार साल होने को है। इन चार सालों में जनपद के पहले नागरिक माने जाने वाले जिला पंचायत अध्यक्षों ने खूब मलाई काटी है। करोड़ों रूपए के वित्तीय अनियमितताओं के चलते शासन की ओर से बर्खास्त किए गए जिला पंचायत अध्यक्ष फिलहाल हाईकोर्ट से मिली राहत के बूते ही कुर्सी पर विराजमान है। यह कोई एक मामला नहीं है राज्य के 13 जिलों में से 3 जिलों के जिला पंचायत अध्यक्ष वित्तीय घपलों के आरोपों में फंसे हुए हैं। तीनों जिला पंचायत सदस्यों पर करोड़ों रूपए के भ्रष्टाचार का आरोप है।
हाल ही में अपर सचिव पंचायती राज विभाग ओमकार सिंह को फोन पर धमकी देने के मामले में चर्चाओं में आए जिला पंचायत अध्यक्ष उत्तरकाशी दीपक बिजल्वाण फिलहाल उच्च न्यायालय से मिले स्टे के बूते ही जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर जमे हुए हैं। 2019 में जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाने के बाद अगले साल ही जिला पंचायत सदस्यों ने जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण पर 60 करोड़ रूपए की वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया था। जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण पर बिना कार्य कराए ही कार्यदायी संस्था और ठेकेदारों को भुगतान करने का आरोप है। उन्होंने टेंडर आवंटन में भी पारदर्शिता का ध्यान नहीं रखा गया। शिकायत पर शासन ने पहले उत्तरकाशी के जिलाधिकारी और फिर मंडलायुक्त से जांच कराई। जांच में प्रथमदृष्ट्या आरोप सही पाए गए। उत्तरकाशी जिला पंचायत के तत्कालीन प्रभारी अपर मुख्य अधिकारी अभियंता संजय कुमार और जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण को जिम्मेदार ठहराया गया। इसके बाद शासन ने बिजल्वाण को अक्तूबर 2021 में कारण बताओ नोटिस जारी किया लेकिन उनका जवाब संतोषजनक नहीं मिला। ऐसे में बिजल्वाण और प्रभारी अपर मुख्य अधिकारी को पद से हटा दिया गया। पद से हटाने के शासन के निर्णय के खिलाफ बिजल्वाण ही हाईकोर्ट चले गए थे। हाईकोर्ट ने उनकी अर्जी पर विचार करते हुए उन्हें बहाल करने के आदेश दिए थे। वहीं, इसके बाद शासन की ओर से जनवरी 2022 महीने में एसआईटी का गठन किया। दस महीने तक चली जांच के बाद नवंबर 2022 महीने में एसआईटी ने जिला पंचायत अध्यक्ष पर वित्तीय गड़बड़ियों की पुष्टि कर मामला दर्ज कर दिया। विभिन्न धाराओं में दर्ज मामले के नौ महीने बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।
इसी साल की शुरूआत में चमोली की जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को भी वित्तीय गड़बड़ी के आरोपों पर उत्तराखंड शासन ने बर्खास्त कर दिया। जिला पंचायत चमोली रजनी भंडारी पर साल 2012-13 में नंदा देवी राजजात यात्रा के लिए करवाए गए निर्माण कार्यों में गड़बड़ी का आरोप लगा था तब भी वह चमोली की जिला पंचायत अध्यक्ष थी। शिकायत पर शासन ने इसी साल जनवरी महीने में उन्हें पद से हटा दिया हालांकि रजनी भंडारी इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची जहां दो फरवरी को हाईकोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए पद पर बहाल करते हुए बर्खास्तगी का आदेश निरस्त किया। हालांकि, उनके खिलाफ वित्तीय गड़बड़ियों के मामलों में जांच चल रही है और उनकी कुर्सी पर भी लगातार खतरा मंडरा रहा है।
वहीं, हाल ही में हरिद्वार के जिला पंचायत अध्यक्ष भी करोड़ों रूपए के वित्तीय अनियमितताओं के चलते जांच के घेरे में है। हरिद्वार जिला पंचायत अध्यक्ष चौधरी किरण सिंह पर 60 करोड़ रूपए की योजनाओं में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। 18 अक्टूबर 2022 को जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए चौधरी किरण सिंह पर आरोप है कि इसी दिन हुई पहली बोर्ड बैठक में सिर्फ तीन प्रस्ताव आए थे। लेकिन बैठक में किसी तरह के कोई प्रस्ताव पास नहीं हुआ। आरोप है कि बिना बोर्ड बैठक में पास हुए 256 कार्यों के टेंडर जिपं अध्यक्ष ने मनमानी से निकाल दिए। वहीं टेंडरों का प्रकाशन 16 नवंबर को कर दिया गया। प्रकाशित टेंडर का संशोधन आठ दिसंबर और 19 दिसंबर के संस्करण में दिखाया गया। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सुभाष वर्मा ने आरोप लगाया कि विकास कार्यों के स्थान पर लगने वाले बोर्ड का पैसा पंचायत देती है। जिपं अध्यक्ष ने धन का दुरुपयोग करते हुए मानकपुर क्षेत्र में सभी बोर्डों पर प्रस्तावक के रूप में अपने रिश्तेदारों का नाम लिखवा दिया। इस शिकायत के बाद इसी साल मार्च महीने में राज्य सरकार ने जिला पंचायत अध्यक्ष हरिद्वार के खिलाफ जांच शुरू कर दी थी।
दीपक बिजल्वाण पर गंभीर धाराओं में मामला दर्ज, पर नहीं हुई कार्रवाई
बीते दो जनवरी को शासन ने वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति दी थी। बिजल्वाण पर विकास कार्यों में घोर वित्तीय अनियमितता का आरोप है। अध्यक्ष के खिलाफ एसआईटी जांच की गई थी। नवंबर 2022 में एसआईटी ने जांच पूरी करने के बाद शासन से मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी थी लेकिन शासन ने जांच में कुछ जरूरी तथ्य शामिल करने के निर्देश दिए थे। हाल ही में जांच रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितता की पुष्टि होने पर पुलिस ने शासन से बिजल्वाण के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। बीते 3 जनवरी को जिला पंचायत अध्यक्ष पर मुकदमा दर्ज कराने संबंधी शासन का पत्र उत्तरकाशी पुलिस को मिल गया था। इस पर पुलिस ने जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण के खिलाफ मुुकदमा दर्ज किया। पुलिस की ओर से दीपक बिजल्वाण के खिलाफ 420 (धोखाधड़ी), 406 (सरकारी धन का गलत प्रयोग), 409 (गबन) व आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र रचने) के तहत मुुकदमा दर्ज किया है। दीपक बिजल्वाण के खिलाफ दर्ज मामलों में जो धाराएं लगाई गई है उसमें गबन में 10 साल से अधिक की सजा का प्रावधान है। धोखाधड़ी व सरकारी धन के दुरुपयोग में 5 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। हालांकि, मामला दर्ज हुए छह महीनों से अधिक का समय होने के बावजूद भी कार्रवाई न होने पर भी सवाल उठने लगे हैं।