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देव रतूड़ी: चीन फिल्म इंड्रस्टी में चमक रहा उत्तराखंड का सितारा

– 2005 में वेटर के तौर पर चीन में काम करने गए थे देव रतूड़ी, अब हैं 8 रेस्तरां के मालिक, स्कूलों में पढ़ाई जा रही इनकी सफलता की कहानी
– 1998 में बॉलीवुड ने कर दिया था रिजेक्ट, लेकिन अब चाइनीज फिल्म, बेव सीरीज और टीवी कार्यक्रमों का बन गए प्रमुख चेहरा
PEN POINT, DEHRADUN : साल 1998, महाभारत में दुर्योधन के रोल के लिए उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के केमरियासौड़ गांव का एक 21 वर्षीय युवक मुंबई पहुंच गया। ऑडिशन दिया लेकिन चुना नहीं गया बाद में यह रोल पुनीत इस्सर को मिला। हिंदी सिनेमा में किस्मत आजमाने का पहला दांव ही फेल हो गया तो देव रतूड़ी नाम का यह युवक मुंबई से लौट आया। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो दिल्ली आकर छोटे मोटे काम करने लगे, ब्रूस ली के जबरदस्त फेन थे तो खुद ही मार्शल आर्ट सीख ली। अगले सात सालों तक दिल्ली में अलग अलग नौकरियां कर टिहरी में अपने परिवार के लिए रोजी रोटी कमाते रहे। मार्शल आर्ट सीखकर चीन जाने की जुगत में थे 2005 में चीन के शेन्जेन शहर में एक भारतीय रेस्तरां में वेटर का काम मिल गया तो उनका चीन जाने का सपना भी पूरा हो गया। 2005 में चीन में एक भारतीय रेस्तरां में बतौर वेटर शुरूआत करने वाले देव रतूड़ी आज चीनी सिनेमा का एक प्रसिद्ध चेहरा बन गए हैं। देव रतूड़ी की चीन में प्रसिद्धी का इस बाद से अंदाजा लगा सकते हैं कि चीन के एक क्षेत्र में उनकी सफलता की कहानी स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा है।

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देव रतूड़ी ने साल 2017 में स्वात नाम की इस चाइनीज बेव सीरीज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके साथ ही चाइनीज फिल्मों में उनका करियर शुरू हुआ।

टिहरी गढ़वाल निवासी 46 वर्षीय देव रतूड़ी चीन में एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता के साथ ही कई रेस्तरां के मालिक है। चीन जाने के बाद 18 सालों में जो मुकाम उन्होंने हासिल किया है वह शायद ही किसी को नसीब हो। मार्शल आर्ट के शौकीन देव रतूड़ी चीनी फिल्म उद्योग में चर्चित चेहरा होने के साथ एक ही एक सफल उद्यमी भी हैं। लेकिन, चीन जाने से पहले उनके लिए जिंदगी जीना आसान नहीं था। टिहरी के केमरियासौड़ में पैदा हुए देव रतूड़ी के पिता साधारण किसान थे, कम उम्र में ही उन्हंे रोजी रोटी के लिए दिल्ली आना पड़ा। ब्रूस ली की फिल्में देखकर मार्शल आर्ट सीखने का शौक चढ़ा तो खुद ही सीखना शुरू कर दिया। शुरूआत से ही फिल्मों में जाना चाहते थे। मुंबई ऑडिशन देने गए तो रिजेक्ट कर दिए गए, परिवार के लिए रोजी रोटी का इंतजाम करना ज्यादा जरूरी था तो मुंबई में संघर्ष करने की बजाए वापिस दिल्ली आकर होटल मंे काम करना शुरू कर दिया। 2005 में चीन में पहुंचे तो बतौर वेटर करियर की शुरूआत की। कुछ साल वेटर का काम करने के बाद उसी रेस्तरां में मैनेजर हो गए। शुरूआत में बतौर वेटर कम पैसे मिलते थे लेकिन मैनेजर होने के बाद आर्थिक हालात सुधरने लगे तो साल 2013 में चीन में ही एक रेड फोर्ट यानि लाल किला नाम से एक भारतीय रेस्तरां शुरू किया। भारतीय थीम पर बने यह रेस्तंरा भारतीय खाना परोसने के साथ ही रेस्तरां में आने वाले ग्राहकों को भारतीय कपड़े भी पहनने को देता जिसमें लोग फोटो खींचवाते। यह थीम शीआन शहर में चल पड़ी और खूब ग्राहक आने लगे। तो उन्होंने रेस्तरां के अन्य चैन खोलनी शुरू की। 1998 में जिस एक्टिंग के सपने को मुंबई में छोड़ आए थे वह उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं था। देव रतूड़ी एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में बताते हैं कि 2017 में चीनी बेव सीरीज बनाने की तैयारी कर रहे एक चीनी निर्देशक की मुलाकात हुई तो निर्देशक ने उन्हें इस बेव सीरीज में एक रोल करने को कहा। 2017 में स्वात नाम की उस बेव सीरीज में काम कर चीनी फिल्मों में देव रतूड़ी के करियर की धमाकेदार शुरूआत हुई। पिछले आठ सालों में ही देव रतूड़ी 35 से ज्यादा चीनी फिल्मों, बेव सीरीज, टीवी कार्यक्रमों में काम कर लिया है।

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भारतीय थीम पर बने यह रेस्तंरा भारतीय खाना परोसने के साथ ही रेस्तरां में आने वाले ग्राहकों को भारतीय कपड़े भी पहनने को देता जिसमें लोग फोटो खींचवाते

कभी रेस्तरां में वेटर का काम करने वाले देव रतूड़ी के चीन में 8 रेस्तरां खुल चुके हैं। उनकी सफलता की कहानियां उनके शहर शियान में स्कूली बच्चों को पढ़ाई जाती है। शियान शहर के शांक्सी प्रांत में कक्षा 7वीं के अंग्रेजी की किताब में एक अध्याय देव रतूड़ी पर पढ़ाया जाता है। अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ चीन में रह रहे देव रतूड़ी उत्तराखंड से बेपनाह मोहब्बत करते हैं। उनके रेस्तरां में काम कर रहे कुल 70 लोगों में से 40 लोग उत्तराखंड से हैं जिन्हें उन्हांेने खुद बुलाकर काम करने का मौका दिया। वह उत्तराखंड से करीब 150 लोगों को चीन में आने की मदद कर चुके हैं और उन्हें वहां रोजगार उपलब्ध करवाया।

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