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वन्य जीव हमले में मौत पर मिलेगा छह लाख का मुआवजा

– प्रदेश में अब तक वन्य जीव हमलों में मौत पर मिलती थी चार लाख रूपए की राहत राशि, मुख्यमंत्री ने इसे छह लाख करने का लिया फैसला
– अब तक राज्य गठन के बाद वन्य जीव हमलों में एक हजार से ज्यादा लोगों ने गंवाई है अपनी जान, सबसे ज्यादा गुलदार के हमलों में हुई मौत
PEN POINT, DEHRADUN : प्रदेश में वन्य जीव हमले में मौत होने पर अब छह लाख रूपए का मुआवजा मिलेगा। अब तक वन्य जीव हमले में मौत होने पर मृतक के परिजनों को चार लाख रूपए का मुआवजा मिलता था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे बढ़ाकर छह लाख रूपए करने का फैसला लिया है साथ ही अब वन्य जीव हमलों मंे मिलने वाला मुआवजा पंद्रह दिनों के भीतर मिल सकेगा।

'Pen Point
उत्तराखंड का 70 फीसदी से अधिक हिस्सा वन भूमि का है। वन विभाग के आंकड़ों की ही माने तो प्रदेश भर में 38 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में फैले जंगलों में 3 हजार से अधिक गुलदार, 560 से अधिक बाघ, 1839 हाथियों का कुनबा रहता है। प्रदेश में मानव वन्य जीव संघर्ष हमेशा से ही चिंता का विषय रहा है। राज्य गठन के बाद गुलदार के हमलों में ही राज्य के 500 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई है तो हाथी और बाघ के हमलों में मारे जाने वाले लोगों की तादात भी सैकड़ों में है। अलग अलग जानवरों के हमलों में अब तक राज्य में एक हजार से अधिक लोग मारे गए हैं। वन्य जीव हमलों में मारे जाने वाले लोगों की आर्थिक पृष्ठभूमि का अध्ययन करने वाली एक संस्था की माने तो वन्य जीव हमलों में ऐसे लोगों की ज्यादा मौते हुई है जो जंगलों में घास, लकड़ी लेने, खुले में शौच करने गए थे, ऐसे लोगों की पारिवारिक व आर्थिक पृष्ठभूमि बेहद कमजोर रही है। ऐसे वन्य जीव हमलों में मारे जाने वाले लोगों के परिवारों को मिलने वाली आर्थिक सहायता ऐसे परिवारों को बड़ी राहत देती है। अब तक वन विभाग वन्य जीव हमलों में मृतक व्यक्ति के परिजनों को चार लाख रूपए तक की आर्थिक सहायता दे रहा है लेकिन उसके लिए निश्चित समय सीमा नहीं बंधी है लिहाजा पीड़ित परिजनों को इस मुआवजा राशि के लिए खूब चक्कर काटने पड़ते हैं।
अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस चार लाख रूपए से बढ़ाकर छह लाख रूपए करने का फैसला लिया। इसके लिए मुख्यमंत्री ने वन विभाग के आला अधिकारियों को इसका प्रस्ताव तैयार कर अगली कैबिनेट बैठक में लाने को भी निर्देशित किया है। साथ ही मुख्यमंत्री ने वन्य जीव हमलों में मृत्यु होने पर परिजनों को मिलने वाली सहायता राशि को 15 दिनों के भीतर देने के निर्देश भी वन विभाग को दिए हैं।

 

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