हार्ट पंप से गर्म कपड़ों तक, जानिये इसरो के अंतरिक्ष मिशन हमें क्या दे रहे हैं ?
Pen Point, Dehradun : जब हमारे देश में गरीबी पसरी हुई है तो चांद पर जाने के लिये इतना खर्च क्यों किया जा रहा है, ऐसे या इससे मिलते जुलते सवाल अक्सर लोगों के जेहन में आते हैं। चांद ही नहीं बल्कि इसरो के अन्य अंतरिक्ष मिशन भी ऐसे सवालों की जद में आते हैं। इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में इस बारे में दिलचस्प बात लिखी गई है-साल 2013 में मंगल ग्रह के लिए एक उपग्रह की लॉन्चिंग के बाद प्रेसवार्ता में एक विदेशी पत्रकार ने सवाल उठाया कि भारत को मंगल मिशन की क्या जरूरत है जब यहां पहले ही करोड़ों लोग गरीबी में जी रहे हैं..
ऐसे सवाल कितने सही हैं, इसके लिये अंतरिक्ष मिशन की उपयोगिता को जानना बेहद जरूरी है। दरअसल, इसरो का हर मिशन हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को काफी हद तक प्रभावित करता है। जवाब में इसरो के तत्कालीन चेयरमैन के राधाकृष्णनन ने उन्हें अपने स्पेस मिशन के लाभ बताया। लेकिन वह पत्रकार तब भी इस मुद्दे पर बहस करता रहा। चंद्रयान3 को लेकर भी कुछ इसी तरह के सवाल उठाए जा सकते हैं। लेकिन हकीकत यह है इसरो का हर अंतरिक्ष मिशन हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करता है। गौर से देखने पर जीवन के हर क्षेत्र में इसके कई आयाम दिखते चले जाएंगे। जानते हैं कैसे देश के विभिन्न क्षेत्रों के विकास में अंतरिक्ष अनुसंधान उपयोगी साबित हो रहे हैं-
इसरो का टेक्नोलॉजी ट्रांसफर
इसरो में अंतरिक्ष अनुसंधान और मिशन के लिये विकसित प्रौद्योगिकी को व्यावसायिक उपयोग के लिये भारतीय उद्योगों को हस्तारिंत किया जाता है। यह काम न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के जिम्मे है। इस अंतरीक्ष पीएसयू की स्थापना 2019 में की गई थी। इसने पिछले साल तक व्यावसायीकरण के लिए 78 प्रौद्योगिकियों को स्थानांतरित कर दिया है। जाहिर है कि इसरो की उच्च स्तरीय तकनीकी प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण भारतीय उद्योग जगत को आगे बढ़ाने में बड़ा मददगान साबित होता है।
इसरो से हस्तांतरित अधिकांश प्रौद्योगिकी लगभग 45 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर-आधारित प्रौद्योगिकी और दूरसंचार प्रसारण के क्षेत्र में है। रसायनों और विशेष सामग्रियों से जुड़ी तकनीकें इसके दायरे को और बढ़ाती हैं। एनएसआईएल के गठन से पहले अंतरिक्ष विभाग के जरिए उद्योगों को प्रौद्योगिकियों को उपलब्ध कराया जा रहा था। अब तक देश भर में फैले 300 से अधिक उद्योगों को लगभग 400 प्रौद्योगिकियाँ हस्तांतरित की गई हैं।
इसरो की तकनीकी से बने प्रमुख उत्पाद
कम लागत वाला कृत्रिम हार्ट पम्प: 2016 में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से एक खास बाई प्रोडक्ट चिकित्सा क्षेत्र को मिला। इसरो ने एक कम लागत वाला लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (एलवीएडी) विकसित किया। यह उपकरण एक यांत्रिक पंप था। किसी कमजोर दिल वाले शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है। छाती में प्रत्यारोपित होने के काद यह हृदय को पंप करने में सहायता करता है।
गैर-इनवेसिव वेंटिलेटर- इसरो ने गैर-इनवेसिव वेंटिलेशन के लिए यह तकनीक उपलब्ध कराई है। स्पेस वेंटीलेटर एडेड सिस्टम फॉर ट्रॉमा असिस्टेंस विकसित करने के बाद यह तकनीक भी उद्योग क्षेत्र को हस्तांतरित कर दी गई। यह वेंटिलेटर प्राथमक उपचार के लिए और वाहनों के अंदर ट्रांजिट वेंटिलेटर के रूप में आपातकालीन उपयोग के लिए उपयुक्त है। मूल डिज़ाइन सरल है, और महामारी जैसी स्थितियों में आपातकालीन उपयोग के लिए आसानी से बड़े पैमाने पर इनका उत्पादन किया जा सकता है।
कृत्रिम डेन्चर सामग्री- दंत चिकित्सा के लिये पॉलियामाइड प्लास्टिक की तकनीकी भी इसरो ने ही उपलब्ध कराई है। इस सामग्री को मिश्रित प्रौद्योगिकी के आधार पर विकसित किया गया है। इसे फिक्स्ड ऑर्थाेडॉन्टिक रिस्टोरेशन के लिए सस्ते डेन्चर इम्प्लांट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
आग बुझाने वाला पाउडर- इसरो के व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले उत्पादों में से एक आग बुझाने वाला पाउडर है। ज्वलनशील, तरल और गैस की आग को बुझाने के लिये यह पाउडर इस्तेमाल किया जाता है। अपने खास कैमिकल मिश्रण के कारण यह पाउडर आग पर पानी की तरह असर करता है । इस तकनीकी को भी इसरो ने अपने मिशन के लिये विकसित किया है, जो अब औद्योगिक क्षेत्र को हस्तांतरित कर दी गई हैं।
फायर रजिस्टेंट कोटिंग- इस रसायन में चिनाई वाली सतहों, कपड़ा, कागज, फूस की पत्तियों, लकड़ी आदि के लिए फायर रजिस्टेंट, वॉटरप्रूफिंग और थर्मल-कंट्रोल के गुण होते हैं।
हाइड्रोफोबिक सिलिका एरोजेल सिलिका- सिलिका एरोजेल से कंपोजिट शीट बनाई जा सकती हैं। रॉकेट में क्रायोजेनिक थर्मल इन्सुलेशन के अलावा, उनका उपयोग कंक्रीट, सीमेंट, पेंट, चिपकने वाले, फोम, एब्लेटिव, रबर, कोटिंग्स आदि में किया जाता है। अत्यधिक ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों में पैरों के इनसोल, बूट, जैकेट इन्सुलेशन या सर्दी में आर्कटिक परिधान के रूप में; खिड़की के ग्लेज़िंग समेत कई जीवनोपयोगी कामों में इस रसायन का उपयोग किया जा रहा है।
चिपकने वाले पदार्थ- इसरो ने अपने खुद के इस्तेमालं के लिए कई चिपकने वाले पदार्थ विकसित किए हैं। इनमें संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक दोनों चिपकने वाले शामिल हैं। विकसित गैर-संरचनात्मक चिपकने वाले पदार्थों में सिलिकॉन आधारित, पॉली युरेथेन इलास्टोमर्स और ऐक्रेलिक आधारित चिपकने वाले शामिल हैं। विकसित संरचनात्मक चिपकने वाले में एपॉक्सी रेजिन, फिनोल आधारित और क्लोरोप्रीन और नियोप्रीन का उपयोग करके रबर आधारित चिपकने वाले शामिल हैं। ये चिपकने वाले ऑटोमोबाइल और अन्य इंजीनियरिंग उद्योगों में विभिन्न उपयोग में लाए जा रहे हैं।