आरके गुप्ता : मिर्गी के इलाज से जुए के अड्डे तक का बदनाम सफर
Pen Point, Dehradun: मिर्गी रोग के शर्तिया इलाज को लेकर कभी आरके गुप्ता ने खूब सुर्खियां बटोरी थी। उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से लोग उसके पास इलाज के लिये पहुंचते थे। बड़े आयोजनों में नामी कलाकारों को बुलाना हो या फिर भारतीय क्रिकेट टीम को अपनी ओर से इनाम देने का ऐलान हो, आरके गुप्ता का नाम हर जगह आता था। लेकिन आयुर्वेदिक दवा बताकर नशीली दवाएं देने का आरोप लगने के बाद उसका बड़ा साम्राज्य ढह गया। हालांकि इसके बावजूद ऋषिकेश में उसका नीरज क्लीनिक चलता रहा। लेकिन पहले जैसा रूतबा नहीं रहा और आरके गुप्ता समेत उसका क्लीनिक विवादित वजहों से ही चर्चा चर्चा में रहा। एक बार फिर मिर्गी के इस डॉक्टर का नाम सुर्खियों में है। ऋषिकेश के समीप भोगपुर में उसके रिजॉर्ट पर चल रहे अवैध कैसीना पर छापा मारा है। जिसमें जुआ खेल रहे खेल रहे 28 जुआरी, 4 पियर मेंबर और 5 महिला डांसर गिरफ्तार हुए हैं। पुलिस ने रिजॉर्ट मालिक समेत मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि रिजॉर्ट मालिक आरके गुप्ता और उसका मैनेजर फरार चल रहे हैं। पुलिस ने मौके से भारी मात्रा में कैसिनो चिप्स, ताश की गड्डियां, मोबाइल फोन, लग्जरी गाडियां व 05 लाख 16 हजार रूपये कैश बरामद किया।
आरके गुप्ता के इतिहास पर नजर डालें तो मिर्गी रोग के शर्तिया इलाज के साथ उसका नीरज क्लीनिक काफी नाम कमा रहा था। साल 2004 में एक एनआरआई ने आरोप लगाया कि आरके गुप्ता के नीरज क्लीनिक में मिर्गी रोगियों को नशा दिया जाता है। जिससे मरीज बेसुध हो जाते हैं। इसके बाद राज्य औषधी नियंत्रण बोर्ड की टीम छापेमारी करने गई तो क्लीनिक पर कई प्रतिबंधित दवाएं मिली। आरके गुप्ता समेत 15 लोगों पर ऋषिकेश थाने में नामजद मुकदमा दर्ज हुआ। 20 दिसंबर को सीजेएम कोर्ट ने इस आरके गुप्ता समेत पांच वर्ष सश्रम कैद और 21 हजार रूपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। हालांकि 16 फरवरी 2018 में एडीजे पंचम की अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।
लंबे समय तक क्राइम रिपोर्टिंग कर चुके वरिष्ठ पत्रकार संतोष भट्ट बताते हैं कि इस मामले के बाद नीरज क्लीनिक की साख में काफी गिरावट आ गई थी। भले ही क्लीनिक संचालित किया जा रहा था लेकिन गाहे बगाहे कोई ना कोई शिकायत लोगों के बीच सुनने को मिल जाती थी।
नवंबर 2019 में भी नीरज क्लीनिक पर छापेमारी हुई। जिसमें प्रतिबंधित दवाएं पाए जाने पर क्लीनिक से दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया। इसके आलवा साल 2004 में राज्य उपभोक्ता आयोग में भी देहरादून निवासी सुनिता गुप्ता की ओर से भी आरके गुप्ता नीरज क्लीनिक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिसमें उन्होंने बताया कि अपने बेटे के इलाज के लिये वे नीरज क्लीनिक पहुंची थी। जहां उनसे पैसे तो लिये लेकिन वहां से दी गई दवाओं से उनके बेटे को कोई फायदा नहीं हुआ, बल्कि वह मानसिक रूप से बीमार हो गया। इस मामले में आयोग ने शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया था।
ऋषिकेश के स्थानीय निवासी मंजीत ठाकुर बताते हैं कि लंबे समय तक लोग नीरज क्लीनिक में सिर्फ आयुर्वेदिक दवा पाने के लिये पहुंचते थे। बाहर के लोग इस झांसे में ज्यादा आए, जबकि स्थानीय लोग आरके गुप्ता को बखूबी जानते थे, यही वजह है कि ऋषिकेश में किसी ने उसके खिलाफ शिकायत नही की।