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ज्योति रौतेला: समाज सेवा से सियासत में आई, अंकिता को न्याय के लिये मुंडवाए बाल

PEN POINT, DEHRADUN : अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने की मांग को लेकर महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष ज्योति रौतेला अपने सिर मुंडवाने वाले कदम से चर्चा में हैं। उनके इस कदम से जहां सियासी गलियरों में गहमागहमी है वहीं सत्ताधारी पक्ष इसे सनातन धर्म के विरूद्ध बता रहा है। उत्तराखंड की राजनीति में महिलाओं ने किसी मांग या मुद्दे पर विरोधस्वरूप ऐसा कदम पहले कभी नहीं उठाया। ऐसा कर उन्होंने राजनीति में स्थापित कई लोगों को असहज कर दिया है।
कभी एनजीओ चलाकर समाज सेवा कर रही ज्योति रौतेला एकदम गैर राजनीतिक परिवार से हैं। लैंसडौन में उनका वृद्धाश्रम है। कई सालों से चल रहे इस वृद्धाश्रम में अभी 45 बुजुर्ग लोग रह रहे हैं। जिनकी वहां निशुल्क सेवा की जाती है। लेकिन समाज सेवा के काम के दौरान अफसरशाही का रवैया उन्हें राजनीती में ले आया। उनका सफर यूथ कांग्रेस से शुरू हुआ। साल 2011 में उन्होंने यूथ कांग्रेस का चुनाव लड़ा था और युवा प्रदेश उपाध्यक्ष बनीं। कांग्रेस की गतिविधियों में अहम भूमिका निभाते हुए उन्होंने साल 2012 में लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ा। हालांकि तब उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा लेकिन पार्टी की गतिविधियों में उन्होंने अपनी सक्रियता बनाए रखी। इसके बाद छह महीने अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की समन्वयक रही। फिर चार साल तक उन्होंने अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव का पद संभाला। उसके बाद उन्हें राजस्थान का प्रभारी बनाया गया। साल 2022 में लैंसडौन सीट से वे एक बार फिर टिकट की दावेदार थी। लेकिन हरक सिंह रावत भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए तो इस सियासी गुणा भाग को देखते हुए उन्हें पीछे हटना पड़ा। लगातार पदों पर सक्रिय राजनीति के चलते उन्हें उत्तराखंड महिला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। कुछ समय पहले राहुल गांधी की चर्चित भारत जोड़ो यात्रा में वे पांच हजार किलोमीटर तक शामिल रहीं।

पेन प्वाइंट से बातचीत करते हुए ज्योति रौतेला ने बताया कि अंकिता भंडारी के लिये न्याय की मांग उनके लिये राजनीति से एकदम परे है। यह उनकी भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है। एक घटना को साझा करते हुए वे बताती हैं कि कोटद्वार में उन्होंने अंकिता के माता-पिता को डीएम कार्यालय के बाहर जमीन पर बैठकर रोते हुए देखा। दोनों अपनी बेटी के लिए न्याय की गुहार लगा रहे थे। तब मन में यही विचार आया कि क्या पहाड़ के मां-बाप इतने कमजोर हो गए हैं कि उन्हें अपनी बेटी के लिए न्याय मांगने के लिए डीएम ऑफिस के सामने बैठकर आंसू बहाने पड़ रहे हैं। फिर भी उनकी बेटी को न्याय नहीं मिल रहा है। इसके बाद मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए घटनाक्रम से वे और भी परेशान हो गईं। उन्होंने सोचा कि सबसे पहले अंकिता भंडारी को न्याय दिलाना जरूरी है। इसी जुनून के चलते सीएम आवास कूच के दौरान उन्होंने अपने बाल मंु़डवाए।

बकौल ज्योति जाहिर है यह एक बड़ा और अप्रत्याशित कदम था, लेकिन अंकिता हत्याकांड को लेकर जो दर्द मन में था, वह सिर मुंड़वाने के रूप में बाहर आया। भाजपा सरकार और विधायक रेनू बिष्ट पर कोई सवाल नहीं उठा रहा है, लेकिन जब अपने बाल मुंड़वा दिए तो उन्हें सनातन धर्म के खिलाफ काम करने वाली कहा जा रहा है। उनहोंने कहा कि भाजपा इस मामले में सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाहती है। जबकि सत्ता के नशे में चूर लोगों तक अपनी भावनाएं पहुंचाने के लिये यह कदम उठाना जरूरी था। उन्होंने ऐलान किया कि वे मुंडे हुए सिर के साथ ही लोकसभा चुनाव में लोगों के बीच जाकर लोगों को अंकिता को न्याय दिलाने के लिये जागरूक करेंगी।

यह पूछे जाने पर कि घर या परिवार में उनके इस कदम को किस तरह देखा जा रहा है, ज्योति रौतेला का कहना है कि मैं लंबे समय से समाज के बीच सक्रिय हूं, विभिन्न मुद्दों पर मुखर रहना पड़ता है, भले ही मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीतिक नहीं है, इसके बावजूद समाज के ज्वलंत मुद्दों को लेकर संघर्ष में मुझे परिवार का साथ मिलता रहा है।

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