37वें राष्ट्रीय खेल : मणिपुर को छोड़ अन्य पहाड़ी राज्य पदक तालिका में क्यों पिछड़े हैं?
Pen Point, Dehradun : गोवा में चल रहे 37वें राष्ट्रीय खेलों में महाराष्ट्र, सर्विसेज और हरियाणा का दबदबा है। सर्विसेज को छोड़ दें तो पदक तालिका में इन दो राज्यों के साथ कर्नाटक, मध्य प्रदेश और मणिपुर टॉप पांच राज्यों में शुमार हैं। सर्विसेज की टीम सेना की ओर से भेजी जाती है, लिहाजा उसमें सभी राज्यों के खिलाड़ी शामिल रहते हैं। खास बात ये है कि मणिपुर को छोड़कर अधिकांश पहाड़ी राज्यों का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। हालांकि अब तक 10 गोल्ड, 19 रजत और 24 कांस्य के साथ कुल 54 पदक जीतने वाले आसाम के प्रदर्शन को औसत कहा जा सकता है। जबकि यह प्रदर्शन कई अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी देने वाले इस राज्य की साख के अनुरूप नहीं का जा सकता।
देश के अन्य हिमालयी राज्यों की बात करें तो अरूणांचल प्रदेश के कुल 13 पदक के साथ तालिका में 18वें स्थान पर है। जिनमें 6 गोल्ड 2 रजत और 5 कांस्य शामिल हैं। इसके बाद 20वें स्थान पर जम्मू कश्मीर 5 गोल्ड 8 रजत ओर 9 कांस्य यानी कुल 22 पदकों के साथ है। उत्तराखंड के प्रदर्शन पर नजर डालें तो राज्य के खाते में 19 पदक आए हैं। जिनमें 3 गोल्ड, 5 रजत और 11 कांस्य पदक हैं। पदक तालिका में उत्तराखंड 21वें से खिसक कर 24 वें स्थान पर आ गया है। हालांकि राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड के प्रदर्शन में इस बार सुधार आया है।
पड़ोसी राज्य हिमांचल प्रदेश पदक तालिका में उत्तराखंड से भी नीचे 27वें स्थान पर है। हिमांचल को अब तक 2 गोल्ड, 1 रजत और 3 कांस्य समेत कुछ 6 पदक हासिल हुए हैं। इसके अलावा मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम के खाते में कोई खास सफलता नहीं आई है।
पदक तालिका में सबसे ज्यादा गिरावट पंजाब के प्रदर्शन में देखी जा रही है। कभी खेलों का गढ़ कहे जाने वाले यह राज्य पदक तालिका में 12 गोल्ड सहित कुल 60 पदकों के साथ दसवें स्थान पर है। इससे पहले 2022 में भी पंजाब पदक तालिका में दसवें स्थान पर ही था। जबकि 2015 तक इस राज्य ने हमेशा ही टॉप-5 में जगह बनाई है। दूसरी ओर, महाराष्ट्र का लगातार बेहतरीन प्रदर्शन दिखाता है कि इस राज्य में खेलों को कितनी गंभीरता से लिया जा रहा है। बीते वर्ष खेलो इंडिया में भी महाराष्ट्र के खिलाड़ियों में सबसे ज्यादा पदक झटके थे।
वरिष्ठ खेल पत्रकार नीरज गुलेरिया बताते हैं कि हिमालयी राज्यों में मणिपुर ही एक ऐसा राज्य है जहां खेलों को लेकर काफी उत्साह रहता है। अन्य राज्यों की तुलना में वहां खेल मैदान और रोल मॉडल भी ज्यादा हैं। उततराखंड और हिमांचल में भी संभावनाएं कम नहीं है, लेकिन जरूरत है बुनियादी सुविधाएं विकसित करने की। खेल छात्रावास तैयार करने के साथ ही खिलाड़ियों को डाइट से लेकर करियर सपोर्ट चाहिए, अगर यह मदद उन्हें मिले तो खेल पर उनका फोकस बना रहेगा।
ओएनजीसी के स्पोर्ट्स कोऑर्डिनेटर रहे देवेंद्र बिष्ट के मुताबिक सर्विसेज की टीम में लगभग हर राज्य के खिलाड़ी शामिल होते हैं। यह टीम हमेशा ही हर चैंपियनशिप में टॉप पर रहती है, बहुत से उत्तराखंड और हिमांचल के खिलाड़ी सर्विसेज के लिये मैडल जीतने के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके हैं। जिसका कारण साफ है कि वहां बेहतर सुविधाएं, ट्रेनिंग और अनुशासन होता है, अगर जमीनी स्तर पर खिलाड़ियों को ऐसा माहौल मिले तो बेशक उत्तराखंड में संभावनाओं की कमी नहीं है।