ग्राहकों की जेब पर भारी प्याज टमाटर की महंगाई में मुनाफा कौन पीटता है?
Pen Point, Dehradun : इन दिनों प्याज के दामों में आई तेजी अब गिरने लगी है। वहीं टमाटर के दाम भी काबू में आ गए हैं, जिससे उपभोक्ताओं को राहत है। यह बात दीगर है कि प्याज टमाटर या फिर किसी भी सब्जी के दाम बढ़ने का सबसे ज्यादा नुकसान उपभोक्ता को होता है। ऐसे में सवाल ये है कि इस तेजी में सबसे ज्यादा मुनाफा कौन कमा ले जाता है। हालांकि किसान के खेत से चलकर उपभोक्ता तक पहुंचने वाली उपज का यह गणित बेहद सामान्य है। कहा जाता है कि तेजी में सबका फायदा है और मंदी में नुकसान। यानी अगर उपज महंगी है तो उसमें किसान से लेकर दुकान या ठेली पर सब्जी बेचने वाले का भी फायदा है।
लेकिन इस बात की पड़ताल भी जरूरी है। जानते हैं कि महंगी उपज किस पर कैसा असर डालती है-
किसान– हाल के महीनों में जब टमाटर महंगे थे तो खबरें आई थी कि कुछ किसानों ने बड़ा मुनाफा कमा लिया है। लेकिन इसके बाद जब टमाटर के दाम गिरे तो किसानों को हजारों टन टमाटर सड़क पर फेंकने पडे़। टमाटर ही नहीं बल्कि हर फसल के साथ ऐसा होता है। जाहिर है कि किसानों का जोखिम सबसे बड़ा है। मंडी समिति के एक अधिकारी के मुताबिक सबसे बड़ा अफसोस ये है की कोई कीमत नहीं होती, उसकी बोली लगाई जाती है। व्यापारी की शर्त पर ही किसान का जोखिम, घाटा या मुनाफा टिका हुआ रहता है। कुल मिलाकर बाजार में महंगी बिकने वाली उपज किसान के मुनाफे की गारंटी नहीं है।
मंडी व्यापारी या आढ़ती– मुनाफे का यह सवाल तब और बड़ा हो जाता है कि जब हम किसानों को बाजार उपलब्ध कराने की बात करते हैं। वैश्विक स्तर पर कृषि व्यापार से जुड़ी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट “ट्रेड एंड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2023” इस सवाल का जवाब देती है। जिसके मुताबिक कि बाजार में अस्थिरता के दौरान वैश्विक खाद्य व्यापारियों ने जमकर मुनाफा पीटा है, जिससे न केवल उत्पादक बल्कि उपभोक्ता के सामने की अस्तित्व का संकट खड़ा हो सकता है। यही बात स्थानीय मंडियों पर भी लागू होता है। सब्जियों की कीमतों में बढ़ोत्तरी हो किमतें गिर रही हों मंडी में व्यापारी नुकसान की स्थिति में नहीं आता। निरंजनपुर मंडी समिति के एक सदस्य के मुताबिक जिन व्यापारियों के पास भंडारण की जितनी क्षमता है वह उतने मुनाफे में रहेगा।
छोटे व्यापारी– दुकानों या ठेलियों पर सब्जी बेचने वाले भी महंगाई के दौरान में आम तौर पर मुनाफा कमाते हैं। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता, टमाटर या ज्ल्दी खराब होने वाली फल सब्जियों उन्हें बड़ा नुकसान भी दे जाती हैं। इसकी भरपाई के लिये ही वे सामान्य से ज्यादा कीमत पर उपभोक्ता को सब्जी बेचते हैं। दो महीने पहले जब टमाटर के दाम बढ़े थे तो कई छोटे व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ा था। मंडी से खरीदी गई हर खेप में दो से ढाई किलो टमाटर खराब होेने के कारण उनके लिये खरीद निकालना भी मुश्किल हो गया था। हालांकि खराब ना होने वाली सब्जियों में किसान से लेकर छोटे व्यापारी तक सभी मुनाफा कमा लेते हैं।