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राहत बचाव : संकटमोचक साबित हो रही है चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी

-वायुसेना ने इंदौर से सिलक्‍यारा तक 22 टन की मशीन पहुंचाने के लिये सी 17 परिवहन विमान को तैनात किया

Pen Point, Dehradun : सिलक्‍यारा टनल में फंसे चालीस मजदूरों को बचाने की जद्दोजहद जारी है। जिसमें भारतीय वायुसेना भी शामिल है। बीते शुक्रवार को वायुसेना ने एक सी-17 परिवहन विमान को इस काम में तैनात किया है। जिसके जरिए इंदौर से 22 टन की खास ड्रिलिंग मशीन को चिन्‍यालीसौड़ हवाई पट्टी तक पहुंचाया जाएगा। इस मशीन को सिलक्‍यारा में टनल में पाइप डालने का काम कर रही शक्तिशाली ऑगर मशीन के बैकअप के रूप में रखा जाएगा।

इससे पहले 15 नवंबर को वायुसेना के हरक्‍यूलिस विमान के जरिए 25 टन की ऑगर मशीन को चिन्‍यालीसौड़ हवाई पट्टी तक पहुंचाया गया था। गौरतलब है कि सिलक्‍यारा टनल में शुरुआत में मलबा हटाने का काम कर रही मशीन खराब हो गई थी। उसके बाद वायुसेना की मदद से ये ऑगर मशीन दिल्‍ली से मंगवाई गई। सूत्रों के अनुसार सिलक्‍यारा टनल हादसे में राहत बचाव की कॉल मिलने पर वायुसेना ने चिन्‍यालीसौड़ हवाई पट्टी को चुना। वायुसेना की भाषा में इसे धरासू एएलजी (उन्नत लैंडिंग ग्राउंड) भी कहा जाता है। इस हादसे के बीच चिन्‍यालीसौड़ हवाई पट्टी की अहमियत को महसूस किया जा सकता है।

 यह पहली बार नहीं है कि आपदा और दुर्घटनाओं में राहत बचाव के लिये इस हवाई पट्टी का इस्‍तेमाल हो रहा हो। साल 2013 की आपदा के समय गंगोत्री घाटी में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने में इसकी अहम भूमिका रही। जब वायुसेना के विशालकाय एमआई-26 विमान के जरिए हजारों लोगों को घाटी से निकाला गया था। जबकि तब तक यह हवाई पट्टी बनकर भी तैयार नहीं हुई थी।

सामरिक महत्‍व वाली चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी का निर्माण 1992-93 में शुरू हुआ था। इसे बनाने के लिए 1992 में ज़मीन का अधिग्रहण किया गया और 1993 में निर्माण कार्य शुरू हुआ था। साल 2016 में यह हवाई पट्टी पूरी तरह बनकर तैयार हो पाई। उसके बाद इसमें सेना के हैलीकॉप्‍टरों और लड़ाकू विमानों को कई बार उतारा जा चुका है। अब वायुसेना के विमान अक्‍सर इस हवाई पट्टी पर अभ्‍यास करते नजर आते हैं। हवाई पट्टी का रनवे 1165 मीटर लंबा और 30 मीटर चौड़ा है। सेना के उपयोग के लिहाज से इसे 2013-14 में विस्तार दिया गया। फिलहाल सेना और बड़े निजी विमानों की ज़रूरत के हिसाब से इसे 15 मीटर और लंबा किया जाना है।

चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी को माँ गंगा हवाई अड्डा और धरासू हवाई अड्डा भी कहा जाता है। उत्‍तराकशी की गंगा घाटी और टिहरी जिले के बड़े हिस्‍से से गंभीर बीमार लोगों को एयरलिफ्ट करवाने के लिये इसी पट्टी का इस्‍तेमाल किया जाता है।

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