UPDATE : सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन थमा, CM ने PM और मीडिया को दी जानकारी
PEN POINT, DEHRADUN: यमनोत्री हाइवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में पिछले 14 दिन से फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में हर रोज अड़चन आने से रेस्क्यू ऑपरेशन कई बार रोका गया। ऐसा ही आज एक बार फिर हुआ। दरअसल शुक्रवार शाम पांच बजे एक बार फिर से ड्रिलिंग का काम शुरू किया गया था, लेकिन शनिवार की सुबह खबर आई कि ऑगर मशीन के पंखें टूटने से एक बार फिर पूरा ऑपरेशन रुक गया है। इससे मजदूरों को जल्द बचाने की मुहीम को बड़ा झटका लगा है। ऐसे में फंसे मजदूरों और उनके परिजनों को हताशा का सामना करना पड़ रहा है। वहीं उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री और मीडिया को स्थिति से वाकिफ कराया है। विस्तृत रिपोर्ट।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सिल्कयारा सुरंग में चल रहे बचाव अभियान का जायजा लेने के लिए उत्तरकाशी पहुंचे।
यहां उन्होंने आज फिर रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लेने के बाद बताया कि सभी मजदूर ठीक है। मजदूरों से बात हुई है, वो ठीक है। बताया कि मजदूरों को भोजन पानी मिल रहा है। हैदराबादा से कटर लाया जा रहा है साथ ही प्लाज्मा कटर मंगवाया गया है। सीएम ने कहा कि सारा ध्यान मजदूरों को निकलाने पर है। मशीन के टूटे हिस्से कल तक निकलेंगे। वर्टिकल ड्रिलिंग का काम किया जा रहा है। वहीं इन तमाम अपडेट से सीएम ने प्रधानमंत्री को भी अपडेट किया है।
उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। भीतर टूटी मशीन की ब्लेड को काटकर बाहर निकालने का काम जारी है, जिसमें कल तक का समय लग सकता है। इसके बाद टनल में मशीन के बजाय केवल मैन्युअल काम होगा। जिसमें 24 घंटे तक का समय लगेगा। यानी अगले दो से तीन दिन मजदूरों को सुरंग के अंदर ही इंतजार करना होगा।
बरमा से अब और ड्रिलिंग नहीं होगी: अर्नोल्ड डिक्स
सिल्कयारा सुरंग बचाव अभियान पर अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ, अर्नोल्ड डिक्स कहते हैं, “इसके कई तरीके हैं। यह सिर्फ एक ही रास्ता नहीं है। फिलहाल, सब कुछ ठीक है। अब ऑगरिंग नहीं देख पाएंगे। ऑगर खत्म हो गया है। बरमा (मशीन) टूट गया है। उन्होंने बताया कि बरमा से अब कोई काम नहीं होगा और कोई नया बरमा नहीं होगा।
ऑगर मशीन को भारी नुकसान
सुरंग के भीतर ऑगर मशीन को भारी नुकसान पहुंचा है। मशीन का बरमा अंदर अटक गया है। इसके बाद वर्टिकल ड्रिल की तैयारी तेज कर दी गई है। वहीं दूसरी तरफ बताया जा रहा है कि ऑगर मशीन के टूटने से भीतर फंसे मजदूर हताश हो रहे हैं। ऑपरेशन मैनेजमेंट लगातार उनका हौसला बढ़ाने की कोशिशों में जुटा हुआ है।
बड़े दावे के बाद जियो फिजिकल जांच भी नहीं आ पाई काम
ऑपरेशन सिलक्यारा को शुक्रवार को शुरू करने से पहले एनएचआईडीसीएल ने पारसन कंपनी के जियो फिजिकल विशेषज्ञों से टनल के मलबे की मैपिंग कराई, जिसमें बताया कि अगले 5 मीटर तक कोई लोहे जैसा अवरोध नहीं है। हालांकि उनकी मैपिंग का ये फार्मूला 1.5 मीटर बाद ही फेल हो गया।
ऑगर ड्रिलिंग में बाधा के कारण अब चलेगा मैनुअल अभियान
ऑगर ड्रिलिंग मशीन के आगे बार-बार आ रही बाधा के चलते अब मैनुअल अभियान चलाया जाएगा। मैनुअल ड्रिलिंग में समय लग सकता है। इसमें अंदर फंसे मजदूर भी खेवनहार बन सकते हैं। यह विचार कल से ही चल रहा है।