संस्कृति : 6 माह की दिवारा यात्रा पर निकली देवी, नर पश्वों को करनी होती है कड़ी साधना
PEN POINT, RUDRAPRAYAG : नारी की माँ चंडिका देवी 30 वर्षों बाद 6 महिने के लिए दिवारा यात्रा पर निकली है। भगवती की यह यात्रा अपने आप अनूठी यात्रा होती है।
नौज्यूला पट्टी के नौ गाँवों की आराध्य माँ चंडिका देवी की 30 वर्षों बाद दिवारा यात्रा निकली हैं। 17 नवम्बर को नारी गाँव स्थित माँ भगवती के प्रांगण से विधि विधान वेदिकमंत्रोचारण व पारम्परिक वाद्य यंत्रों की थाप पर माँ चंडिका अपने 7 माह की दिवारा पर निकली। इन सा महीना में मां चंडिका देवी पूरा बी उत्तर पश्चिम वह दक्षिण दिशाओं का भ्रमण कर अपनी धियाणियों (अपने मायके की महिलाओं) व भक्तों को आशीष देगी।
स्थानीय लोग बताते हैं कि वैसे प्रत्येक 12 वर्षों में मां की दीवार यात्रा निकाली जाती है किंतु किसी कारणवश लंबे समय बाद भी अगर मां चंडिका की दिवारा यात्रा नहीं निकाली गई, तो लोगों के घरों व आसपास एक विशेष किस्म का घास जिसे पहाड़ी भाषा में बाबला कहा जाता वह उग आती है। जब यह घास उगने लगती है तो इसे देवी चंडिका का संकेत माना जाता कि माँ भगवती अपने दिवारा यात्रा पर जाना चाहती है।
6 महीनों तक चलने वाली यह यात्रा जनपद के चारों दिशाओं में घूम कर भक्तों को आशीर्वाद देती है। इस अवधि में देवी के नर पश्वों को सात माह तक, नाकून बाल, दाढी नहीं बनानी होती है साथ ही नंगे पांव पूरे सात माहिने तक भ्रमण करना पड़ता है, जबकि सांय के समय एक ही बार भोजन करने जैसी कठोर साधना करनी पड़ती है। मान्यता है कि यहाँ भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।