मूल निवास: उत्तराखंड में खेलों का फुटबॉल बना कर रख दिया बाहरी लोगों ने
Penpoint, Dehradun: फुटबॉल महासंघ का हर चुनाव उत्तराखंड के मूल निवासियों के लिए चौंकाने वाले तथ्य लेकर आता है। हालांकि यह खबर कुश्ती को नहीं बल्कि उत्तराखंड फुटबॉल को लेकर है, लेकिन फुटबॉल में भी ऐसी ही घटना घटी है जिसमें उत्तराखंड राज्य की भावनाओं का ही फुटबॉल बना दिया है।
भारतीय कुश्ती महासंघ का चुनाव गुरुवार को नई दिल्ली में हुआ और संजय सिंह इसके अध्यक्ष बने। जागृति विहार, सेक्टर-2, मेरठ (उत्तर प्रदेश) निवासी सत्यपाल सिंह देशवाल को कोषाध्यक्ष चुना गया। मेरठ के इस सज्जन ने भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव में उत्तराखंड कुश्ती के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। वह कैसे संभव है?
ऐसे कई मामले हैं जिनमें यह साबित हुआ कि उत्तराखंड के बाहरी लोग पहाड़ी राज्य में खेल संघों को नियंत्रित कर रहे हैं। सूची लंबी है। उत्तराखंड फुटबॉल में एक पूरी तरह से अजनबी रवि किशन गायकवाड़ महाराष्ट्र के एक सेवारत आरटीओ ने अध्यक्ष (2014-18) के रूप में एक कार्यकाल पूरा किया। उत्तर प्रदेश के सरकारी शिक्षक वीरेश यादव उत्तराखंड में दो राज्य संघों में थे। हरियाणा के व्यवसायी और नई दिल्ली के मतदाता अजय सिंह उत्तराखंड मुक्केबाजी का नेतृत्व कर रहे थे। दिल्ली के एक अन्य व्यवसायी राजेश अग्रवाल तो उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन के प्रमुख भी थे।
बड़ा सवाल ये है कि, इन बाहरी लोगों को उत्तराखंड में खुली छूट कौन दे रहा है? भारतीय ओलंपिक संघ के संविधान की धारा 27.2 में कहा गया है, “राज्य ओलंपिक संघ अपने पदाधिकारियों का चुनाव करेगा जो उस राज्य के निवासी होंगे और केवल आईओए द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल महासंघों से संबद्ध राज्य खेल संघों में से होंगे।” भारतीय ओलंपिक संघ का संविधान देश में खेलों के लिए मार्गदर्शक शक्ति है।
जो स्पष्ट रूप से उजागर करता है कि किसी राज्य के केवल स्थानीय निवासी ही अपने गृह राज्य में किसी भी राज्य संघ के पदाधिकारी बन सकते हैं। राज्य संघ क्षेत्र से बंधा हुआ है। यदि यह क्षेत्रीय नियम भारतीय खेलों में लागू नहीं किया गया तो पूर्ण अराजकता व्याप्त हो जायेगी। जरा कल्पना करें कि अंडमान और निकोबार का एक व्यक्ति नागालैंड में एक खेल संघ का अध्यक्ष बन जाए। या फिर सिक्किम का कोई व्यक्ति केरल में किसी खेल संघ का नेतृत्व कर रहा हो। तस्वीर क्या होगी? क्या ये लोग अपनी ज़िम्मेदारी को सही ठहरा सकते हैं?अब समय आ गया है कि उत्तराखंड के खेल प्रेमियों को ऐसे खेल पदाधिकारियों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए जो उत्तराखंड में फर्जी एसोसिएशन का संचालन कर रहे हैं।
उत्तराखंड फुटबॉल को समर्पित वेबसाइट dehradoonfootbaal.com इस बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे करती है। वेबसाइट उत्तराखंड में फुटबॉल की तथ्यपरक जानकारियां उपलब्ध कराने के साथ ही दावा करती है की उत्तराखंड इस खेल में देश का पावर हाउस बन सकता है।