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मूल निवास कानून को लेकर भरेंगे हुंकार, कमेटी नहीं कमिटमेंट की मांग

– रविवार को देहरादून में मूल निवास को लेकर राज्यभर से जुटेंगे लोग, महारैली का आयोजन सरकार के प्रस्तावों को किया खारिज
PEN POINT, DEHRADUN : रविवार को मूलनिवास भू-कानून समन्वय समिति के बैनर तले राज्य में मूल निवास कानून 1950 को सख्ती से लागू करने के लिए प्रदेश भर से लोग जुटेंगे। हालांकि, इस प्रस्तावित जन रैली से पहले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आदेश जारी कर मूल निवास प्रमाण पत्र रखने वाले युवाओं से स्थाई प्रमाण पत्र न मांगने के आदेश जारी कर दिए हैं वहीं मूल निवास और भू कानून को लेकर एक समिति गठित करने का भी फैसला लिया है। लेकिन, रैली की तैयारियों में जुटे लोगों ने मुख्यमंत्री के इन फैसलों को हवाई करार देते हुए कमेटी की बजाए कमिटमेंट की जरूरत बताई है। समिति की माने तो मूलनिवास कानून 1950 के लिए प्रस्तावित रैली में भारी भीड़ उमड़ेगी और सरकार से मांग की जाएगी कि वह मूलनिवास कानून 1950 के लागू कर मूल निवासियों के हक सुरक्षित रखें। वहीं, इस रैली के समर्थन में लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी से लेकर राज्य की कई बड़ी हस्तियां भी आगे आई है।
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मूलनिवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने 24 दिसंबर यानि रविवार को देहरादून में उत्तराखंड मूल निवासी स्वाभिमान महारैली बुलाई है। समिति मांग कर रही है कि राज्य में मूल निवासियों के हक हकूकों को सुरक्षित रखने के लिए सरकारी नौकरियों में स्थाई निवास के स्थान पर मूल निवास की अनिवार्यता की जाए। समिति के लुशुन टोडरिया कहते हैं कि राज्य में मूल निवास को खत्म कर स्थाई निवास को सरकारी नौकरियों के लिए अनिवार्य कर दिया जिसका फायदा बड़े पैमाने पर बाहरी राज्यों के लोग उठा रहे हैं जबकि राज्य के मूल निवासियों के हितों को भारी नुकसान पहुंच रहा है। लुशुन कहते हैं कि राज्य का निर्माण इसलिए किया गया था क्योंकि बड़े राज्य में पर्वतीय क्षेत्र के लिए लोगों को पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाते थे लेकिन मौजूदा समय में सरकारों ने नौकरशाही के दबाव में आकर और वोट बैंक के लिए राज्य के मूल निवासियों के हितों को ही दरकिनार कर स्थाई निवास को अनिवार्य कर दिया जिस कारण अब आसानी से कोई भी बाहरी व्यक्ति स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाकर मूल निवासियों के हकों पर डाका डाल रहा है। लुशुन की माने तो जब से समिति ने 24 दिसंबर को देहरादून में महारैली का आह्वान किया है सरकार ने रस्म अदाईगी के तौर पर मूल निवास को लेकर एक ऐसा फैसला दिया है जिस फैसले का कोई सिर पैर नहीं है तो फिर से मूल निवास कानून को लेकर कमेटी बनाने की भी बात कही है। वह कहते हैं कि सरकार हर मुद्दे पर कमेटी बनाकर इतिश्री कर लेती है जबकि काम कमिटमेंट से होने चाहिए न कि कमेटी के नाम पर रस्म अदायगी।
वहीं, समिति के मोहित डिमरी कहते हैं कि सरकार आनन फानन में जो फैसले ले रही है वह न तो मूल निवासियों के हित में है न ही उस उद्देश्य को पूरा करते हैं जिसके लिए हम सड़कों पर उतरे हुए हैं। मोहित डिमरी कहते हैं कि 26 जनवरी 1950 की कट ऑफ डेट को मानते हुए राज्य में मूल निवास जारी किए जाने चाहिए जिससे बाहरी राज्यों से आकर लोग स्थानीय लोगों के हितों पर डाका न डाल सके।
परेड ग्राउंड में आयोजित होने वाली इस रैली में राज्य भर और राज्य के बाहर रहने वाले उत्तराखंड मूल के लोगों के आने की संभावना है। आयोजन समिति का दावा है कि मूल निवास मुद्दे को लेकर स्वतःस्फूर्त तरीके से ही हजारों की भीड़ इस महारैली में जुटेगी।
हालांकि, ठीक इसी दिन यानि रविवार को भाजपा की भी महासंकल्प रैली का आयोजन हो रहा है जिसमें मुख्यमंत्री समेत भाजपा के तमाम बड़े नेता हिस्सा लेंगे, भाजपा का दावा है कि इस महासंकल्प रैली में दस हजार से भी ज्यादा भाजपा कार्यकर्ता शामिल होंगे। हालांकि, इस बात की भी चर्चा खूब हो रही है कि इन दोनों रैलियों में शामिल भीड़ से ही अंदाजा लगाया जा सकेगा कि उत्तराखंड के लोगों के मन में मूल निवास को लेकर क्या है।

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