लंबे इंतजार के बाद बर्फबारी बारिश, पर क्यों बढ़ने लगी है चिंता
– राज्य में बीते हफ्ते भर से बर्फबारी और बारिश का सिलसिला है जारी, दिसंबर और जनवरी के सूखे गुजरने के बाद फसलों और बागवानी पर मंडरा रहा था सूखे का खतरा
PEN POINT, DEHRADUN : उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में जहां हफ्ते भर से बर्फबारी का दौर जारी है तो निचले इलाकों में बादल खूब बरस रहा है। दिसंबर और जनवरी महीने में बारिश बर्फवारी न होने के कारण जहां खेती और बागवानी पर सूखे का संकट मंडरा रहा था लेकिन अब फरवरी की शुरूआत में ही मौसम का रूख बदला तो बीते पांच दिनों से बारिश बर्फवारी का दौर शुरू हो गया है। लेकिन लंबे इंतजार के बाद बारिश बर्फ की मुराद तो पूरी हुई लेकिन इसने किसान बागवानों की चिंता भी बढ़ा दी है। बीते सालों में मौसम में हो रहे इस बदलाव से खेती बागवानी पर भारी पड़ रहे हैं। बीते सालों में जलवायु परिर्वतन के चलते सूखी सर्दियां और उस पर बेमौसमी बारिश से बागवानी मंे फ्लवारिंग सीजन पर संकट पैदा कर दिया है वहीं बेमौसमी बारिश से फसलों के उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
राज्य में खेती बागवानी बीते सालों से बेमौसमी बारिश बर्फबारी और सर्दियों में सूखे से बुरी तरह प्रभावित हो रही है। जलवायु परिर्वतन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते सालों में दिसंबर जनवरी महीने के दौरान राज्य में सूखे जैसे हालात पैदा हो रहे हैं तो वहीं वसंत ऋतु राज्य में दस्तक देने को होती है बेमौसमी बारिश बर्फवारी ने किसानों बागवानों की मुसीबत बढ़ा दी है। उत्तराखंड में 6 लाख 47 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में ही खेती और बागवानी की जाती है। जिसमें से करीब 25 हजार हेक्टेयर भूमि पर सेब की बागवानी होती है जहां सालाना 62 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। लेकिन, बीते सालों से जलवायु परिर्वतन के चलते ‘मिनी क्लाइमेट चेंज’ जैसी स्थितियां पैदा हो गई है। लिहाजा, जहां मार्च अप्रैल में सेब के लिए फ्लावरिंग कंडीशन के लिए जहां मौसम में गर्माहट होनी जरूरी है तब बेमौसमी बारिश और बर्फवारी से पारे में लगातार गिरावट देखी जाती है लिहाजा बीते सालों में सेब के उत्पादन में भारी गिरावट देखने को मिली है। बीते साल ही बेमौसमी बारिश और बर्फबारी के चलते फ्लावरिंग कंडीशन के दौरान आदर्श तापमान स्थिति न मिलने से राज्य में सेब उत्पादन में पचास फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई।
वहीं, निचले इलाकों में बेमौसमी बारिश से गेहूं और सरसों की फसल पर भी संकट मंडराने लगा है। बीते साल भी बेमौसमी बारिश के चलते गेहूं और सरसों के उत्पादन में रेकार्ड कमी दर्ज की गई थी। अमूमन राज्य में गेहूं का उत्पादन साढ़े तीन हजार हेक्टेयर भूमि पर आठ लाख मीट्रिक टन से अधिक से दर्ज होता रहा है लेकिन बीते सालों में बेमौसमी बारिश के चलते उत्पादन में एक लाख मीट्रिक टन तक की कमी दर्ज की गई है।
ऐसे में जहां एक हफ्ते से राज्य में बारिश बर्फवारी से सूखे के हालात से निजात मिली है वहीं किसानों के लिए बीते सालों में मिले कड़वे अनुभवों के बाद एक बार फिर बेमौसमी बारिश बर्फबारी से बागवानी व कृषि उपज के लिए मुसीबतें पैदा होने लगी है।