सीमान्त क्षेत्र डुमक के ग्रामीण सड़क की मांग को लेकर हुए आंदोलित
PEN POINT, GOPESHWAR : सीमांत प्रदेश के सीमान्त जनपद चमोली के सीमान्त ब्लाक जोशीमठ के भी दूरस्थ गांव डुमक-कलगोठ के लिए सड़क कनेक्टविटी से जुड़ना आज भी सपना ही बना हुआ है.पीढ़ियां गुजर गई लेकिन गांव के लोगों को सड़क नसीब नही हो पाई. दरअसल इस गांव में सड़क की मांग करीब दो दशक पहले से की जा रही है.
गौतलब हो कि सड़क बनाने की कोशिशें यहाँ सन 1980 में शुरू हुई थी, लेकिन यह सड़क कभी दशोली ब्लाक के घिंगरान तो कभी कुंजो मैकोट से आगे नही बढ़ सकी. इलाके के लोगों की दूरदर्शी सोच यह थी कि यह सड़क दशोली ब्लाक से सीधा जोशीमठ ब्लाक के सुदूरवर्ती गांवों डुमक कलगोठ सन वैली को जोड़कर कल्प घाटी से सीधा अलकनंदा क्षेत्र में विष्णु प्रयाग पर बदरीनाथ हाई वे पर मिल सके, ताकि आगे जरूरत पड़ने पर यह सड़क केदारनाथ से बदरीनाथ धाम की यात्रा का विकल्प बनें, लेकिन ऐसा नही हो सका. यह सड़क अभी सिर्फ फाइलों में पीएमजीएसवाई दफ्तर की शोभा बढ़ा रही है, जिसका खामियाजा जोशीमठ के दुरस्थ गांव डुमक के लोगों को आज भी 15 किलोमीटर की विकट और दूहर चढ़ाई पार कर अपने गांव पहुच कर भुगतना पड़ता है. परेशान ग्रामीण प्रेम सिंह सनवाल बताते है कि इस चर्चित मोटर मार्ग सेंजि लगा मैकोट डुमक-बेमरू डुमक सड़क का निर्माण 2007/08 में स्वीकृत हुआ था. इस सड़क के निर्माण होने से दशोली और जोशीमठ प्रखंड के दर्जनों गांवों की लाईफ लाईन और दशा और दिशा बदलनी थी, ऐसे में PMGSY की अनदेखी के चलते आज यह सड़क मार्ग जस का तस पड़ा है.
बताया जा रहा की अभी इस मोटर मार्ग पर करीब 14 करोड़ खर्चा आया है, वही 2019 में इस सड़क का पुनरीक्षित प्लान किया गया, लेकिन विभाग ने इस कार्य को भी अब तक पूरा नहीं किया. प्रशासन ने पहले भी PMGYS के उच्च अधिकारीयों को जल्द इसका समरेखण विवाद सुलझाने के बावत ग्रामीणों से बैठक करने की बात कही, लेकिन इसके बाद भी इस दिशा में कुछ नही हुआ. ऐसे जिस तरह से जिम्मेदार विभाग इस सड़क से जुडी हुई फाइल को घुमाने का काम कर रहा है, उससे तो नहीं लगता है कि यह सड़क बनना इतना आसान है.
ग्रामीणों की माने तो उनकी सड़क की आस आज भी पूरी नही हुई जबकि एक पीढ़ी गुजर चुकी है, ऐसे में अब इस घाटी के ग्रामीण भारी आक्रोश में हैं. अब अपनी मांगों को लेकर यहाँ के दर्जनों गांव के लोग अन्द्लन करने को लेकर मजबूर हो चुके हैं. यहं ग्रामीणों ने हल्ला बोल पद यात्रा के साथ, धरना,प्रदर्शन, कैंडल मार्च, मशाल जुलूस, शुरू हो कर दिया है. इस मोटर मार्ग पर जल्द कार्य शुरू कराने के जन दबाव का आलम ये है कि अब ग्रामीण PMGSY के आला अधिकारीयों के क्रम वार पुतले दहन कर अपना विरोध जता रहे हैं. ग्रामीणों की एक जुटता और आक्रोश आने वाले दिनों में जनपद मुख्यालय पर एक बड़ा जन आंदोलन की और इशारा कर रहा है.
वहीं डुमक गांव को सड़क से जोड़ने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर पीएमजीएसवाई के अधिकारियों का पुतला फूंका। ग्रामीणों ने कहा कि जब तक सड़क का एलाइनमेंट (समरेखण) नहीं बदला जाता तब तक ये जन आंदोलन जारी रहेगा। मंगलवार को मांग को लेकर निकाली गई पदयात्रा अब उर्गम घाटी के देव ग्राम गांव पहुंची। ग्रामीणों ने यहां बैठक कर आंदोलन की रणनीति बनाई।
बांसा गांव में हुई बैठक में पदयात्रा दल के सदस्य योगंबर सिंह और अंकी भंडारी ने कहा कि शासन-प्रशासन की ओर से सैंजी लग्गा मैकोट-बेमरु-स्यूण-डुमक-कलगोठ सड़क निर्माण में अनावश्यक लेटलतीफी की जा रही है। आज भी ग्रामीणों को अपने गंतव्य तक जाने के लिए 20 किमी से अधिक की दूरी तय करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि गांव-गांव में पदयात्रा कर शासन-प्रशासन को नींद से जगाने का काम किया जा रहा है। 18 जनवरी को जिला मुख्यालय पर विशाल प्रदर्शन किया जाएगा। ग्रामीणों ने सैंजी लग्गा मैकोट सड़क से पर्यटन ग्राम थैंग को भी जोड़ने की मांग उठाई।